Sunday, 22 January 2012

'लोग कया कहेंगे !

कोई मर  जाए तो उसका,
 सब कुछ समाप्त हो जाता है /
 हर बंधन टूट जाता है /
 कोई मर जाता तो,
 किसी की दूनिया मिट जाती है /
 किसी को दूनिया मिल जाती है /
 मरने के बाद कया,
 मरने वाले को, सब रोते हैं ?
 नहीं ! कोई नहीं रोता /
 जिसका सुख मरता,
 वही रोते हैं /
 हम कभीं भी किसी के लिए नहीं रोए/
 इस गरीब के लिए भी कौन रो रहा,
 सब लोक दिखावा है /
 दिखावा भी तो जरूरी है /
 मरने वाला चाहे नहीं देख रहा,
 पर 'लोग कया कहेंगे ?
 @गंभीर /

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