Monday, 28 November 2016

Quotes


Great minds are always feared by lesser minds.

The Christian does not think God will love us because we are good, but that God will make us good because He loves us.

She looked at nice young men as if she could smell their stupidity.

You can't measure the mutual affection of two human beings by the number of words they exchange.

Music expresses that which cannot be put into words and that which cannot remain silent

You're an idiot." "I've never claimed to be otherwise.

Nowadays people know the price of everything and the value of nothing.

Don't ever tell anybody anything. If you do, you start missing everybody.

I will not let anyone walk through my mind with their dirty feet.

People haven't always been there for me but music always has.

My bounty is as boundless as the sea, My love as deep; the more I give to thee, The more I have, for both are infinite.

A day without laughter is a day wasted.

My bounty is as boundless as the sea, My love as deep; the more I give to thee, The more I have, for both are infinite.

From there to here, from here to there, funny things are everywhere!

Women want love to be a novel. Men, a short story.

Be careful of love. It'll twist your brain around and leave you thinking up is down and right is wrong.

It is easier to forgive an enemy than to forgive a friend.

When you do things from your soul, you feel a river moving in you, a joy.

Tuesday, 8 November 2016

37 japji

#Karma-khand" (Work/Task-Section) In this stage the devotees, who are always happy,

करम खंड की बाणी जोरू ।।
तिथै, होरु न कोई होरु ।।

तिथै, जोध महाबल सूर ।।
तिन महि रामु रहिआ भरपूर ।।

परमात्मा  की कृपा वाली उस  अवस्था की बनावट 'बल' है, भाव, जब मनुष्य  पर परमात्मा की कृपा-दृष्टि होती है तथा उसके अंदर ऐसा बल पैदा होता है कि विष्य-विकार उसे प्रबावित नहीं कर सकते क्योंकि उस अवस्था में मनुष्य के अंदर परमात्मा के बिना कोई दूसरा बिल्कुल ही नहीं रहता ।

उस अवस्था में जो मनुष्य हैं वे योद्धा, महाबली तथा शूरवीर हैं, उनके रोम-रोम में परमात्मा बस रहा है ।

तिथै, सीतो  सीता, महिमा माहि ।।
ता के रूप, न कथने जाहि ।।

ना ओहि मरहि न ठागे जाहि ।।
जिन कै, रामु वसै, मन माहि ।।

परमात्मा की कृपा कि उस अवस्था में पहुंचे हुये मनुष्यों की प्रशंसा (गुण-कीर्तन ) में लगा रहता है ।
उनकी काया ऐसी कंचन जैसी हो जाती है कि उनके सुंदर रूप का वर्णन नहीं किया जा सकता ।
उनके मुख पर नूर ही नूर चमकता है ।

इस अवस्था में जिन के मन में परमात्मा बसता है, वे आत्मिक मौत नहीं मरते तथा माया उनको ठग नहीं सकती ।

तिथै भगत वसहि, के लोअ ।।
करहि अनंदु, सचा मनि सोइ ।।

इस  अवस्था में कई भवनों के भक्त जन बस्ते हैं. जो सदा प्रफुल्लत रहते हैं, क्योंकि वह सच्चा परमात्मा उनके मन में मौजूद है ।

सचि खंडि वसै  निरंकारु ।।
करि करि वेखै, नदरि निहाल ।।

सच्च खंड में भाव, परमात्मा के साथ एक रूप होने वाली अवस्था में मनुष्य के अंदर वह परमात्मा आप ही बसता है, जो सृष्टि को रचकर कर्पा कि दृष्टि से उसकी संभाल करता है ।

तिथै, खंड मंडल वरभंड ।।
जे को कथै, त अंत न अंत ।।

तिथै लोअ लोअ  आकार ।।
जिव जिव हुकमु तिवै तिव कार ।।

वेखै विगसै, करि वीचारु ।।
नानक, कथना करड़ा सारु ।।३७।।

इस अवस्था में, भाव, परमात्मा के साथ एक रूप हो जाने वाली अवस्था में मनुष्य को अनन्त खण्ड, अनन्त मंडल तथा असीम ब्रहमंड दीखते हैं ।
इतने अनन्त कि यदि कोई मनुष्य उनका कथन करने लगे तो उनका अन्त नहीं होता ।
उस अवस्था में अनन्त भवन तथा आकार दीखते हैं, जिन सब में उसी तरह व्यवहार चल रहा है जैसे परमात्मा का हुक्म होता है ।
भाव, इस अवस्था में पहुँच कर मनुष्य को प्रत्येक स्थान  पर   परमात्मा कि रज़ा काम कर रही दिखाई देती है ।
उसको प्रत्यक्ष दिखाई देता है कि परमात्मा विचार करके सब जीवों की संभाल करता है तथा खुश होता है ।

हे नानक ! इस अवस्था का वर्णन करना बहुत कठिन है | भाव, यह अवस्था ब्यान नहीं हो सकती , अनुभव ही की जा सकती है ।।३७।।

भाव:- परमात्मा के साथ एक रूप हो चुकी आत्मिक अवस्था में पहुंचे हुये जीव पर परमात्मा कि कर्पा का दरवाज़ा खुलता है, उसको सब अपने ही अपने दिखाई पड़ते हैं , हर तरफ प्रभु  ही दिखाई देता है ।

ऐसे मनुष्य का ध्यान सदा प्रभु कि सिफत-सालाह (गुण-कीर्तन) में जुड़ा रहता है । अब माया उसे ठग नहीं सकती, आत्मा बलवान हो जाती है, प्रभु  से दूरी नहीं हो सकती ।
अब उसको प्रत्यक्ष प्रतीत होता है कि अनन्त कुदरत की रचना कर के प्रभु सबको अपनी रज़ा में चला रहा है तथा सब पर कृपा-दृष्टि कर रहा है ।

#जपूजिसहिब, #गुरुनानक  Cont..

Thursday, 3 November 2016

Bookworm

#BookLoversMightLiveLonger

A study recently found that so-called bookworms are less likely to suffer early death than those who do not read books regularly. What do you think?

ज्ञान अवस्था की बरकत

#TheStateOfKnowledgeOfSwell,
#AsTheWholeWorldLooks
#A_JointFamily,

गिआन खंड महि, गिआन परचंडु ।।
तिथै, नाद बिनोद कोड अनंदु ।।

ज्ञान खंड में भाव मनुष्य कि ज्ञान अवस्था में ज्ञान ही बलवान होता है ।
इस अवस्था में मानों सब रागों, तमाशों, तथा कोतुकों का आनंद (स्वाद) आ जाता है ।
#LaborClause;  #सरम_खंड

सरम खंड की बाणी रूपु ।।
तिथै घाड़ति घड़ीऐ, बहुतु अनूपु ।।

ऊधम-अवस्था की बनावट सुंदरता है ।

भाव, इस अवस्था में आकर मन दिन-ब-दिन सुंदर बनना शूरू हो जाता है ।

इस अवस्था में नई घाड़त के कारण मन बहुत सुंदर घड़ा जाता है ।

ता किआ गला, कथीआ न जाहि ।।
जे को कहै पीछै पछुताई ।।

उस अवस्था की बातें ब्यान नहीं की जा सकती ।
यदि कोई मनुष्य ब्यान करता है, तो पीछे पछताता है क्योंकि वह ब्यान करने में असमर्थ रहता है ।

तिथै घड़ीऐ, सुरति मति मनि बूधि ।।
तिथै घड़ीऐ, सूरा सिधा की सुधि ।।३६।।

उस मेहनत वाली अवस्था में मनुष्य की सुरति तथा मति घड़ी जाती है, भाव, चित्तवर्ती (सुरति) तथा मति ऊँची हो जाती है तथा मन में जाग्रति आ जाती है ।

सरम (श्रम) खंड में देवताओं तथा सिद्धों वाली अक्ल  मनुष्य के अंदर बन जाती है |३६|

भाव:- ज्ञान अवस्था की बरकत से जैसे जैसे सारा जगत एक सांझा परिवार दिखता है , जीव प्राणियों की सेवा की मेहनत (श्रम) सिर पर उठाता है, मन की पहली तंग-दिली हटकर विशालता तथा उदारता की घाड़त में, मन नए सिरे से सुंदर घड़ा जाता है, मन में एक नई जाग्रति आती है, चित्तवर्ती  ऊँची होने लगती है ।

#जपुजीसाहिब  #गुरुनानक #SGGS

Wednesday, 2 November 2016

आखिर पत्नी क्या है..?*

*पूरा पढ़ें मज़ा नही आया तो .$&@^#¥¥#%।*

*आखिर पत्नी क्या है..?*

😛
*फौजी:* सारे दुश्मन हमसे डरते हैं और हम बीवी से !

😛
*मोची:* मैं जूतों की मरम्मत करता हूं और बीवी मेरी !

😛
*टीचर:* मैं कॉलेज में लैक्चर देता हूं और घर में बीवी से सुनता हूं !

😛
*ऑफिसर:* मैं ऑफिस में बॉस हूं और घर में बीवी का नौकर !

😛
*जज:* मैं कोर्ट में फैसला सुनाता हूं और घर में इंसाफ के लिए तरसता हूं !

😛
*दुकानदार :* मैं दुनिया को बनाता हूँ फिर घर में पत्नी मुझे बनाती है !

😛
*डॉक्टर :* मैं दुनिया को ठीक करता हूँ और घर में बीवी मुझे ठीक करती है !

😛
*फेसबुकिया :* मैं दुनिया को पकाता हूँ और घर में बीवी मुझे पकाती है !

😛
*अकाउंटेंट :* मैं दुनिया का हिसाब रखता हूँ और बीवी मेरा हिसाब बराबर करती है !

😛
{फैसला आपके हाथ में है.. *कुंवारे* रहो *खुश* रहो *No wife easy life*}

*जो शादी कर चुके हैं वो सब्र करें ।*

*शादी के बाद पत्नी कैसे बदलती है,*

*जरा गौर कीजिए :*

😛
*पहले साल :* मैंने कहा जी खाना खा लीजिए , आपने काफी देर से कुछ खाया नहीं ।

😛
*दूसरे साल :* जी खाना तैयार है , लगा दूं ?

😛
*तीसरे साल :* खाना बन चुका है , जब खाना हो तब बता देना ।

😛
*चौथे साल :* खाना बनाकर रख दिया है , मैं बाजार जा रही हूं , खुद ही निकाल कर खा लेना ।

😛
*पांचवे साल :* मैं कहती हूं आज मुझ से खाना नहीं बनेगा , होटल से ले आओ ।

😛
*छठे साल :* जब देखो खाना , खाना और खाना , अभी सुबह ही तो खाया था ।

😛
*शादी के बाद पति कैसे बदलते है,*

*जरा गौर कीजिए*

😛
*पहले साल :* dear संभलकर उधर गड्ढा हैं

😛
*दूसरे साल :* अरे यार देख के उधर गड्ढा हैं

😛
*तीसरे साल :* दिखता नहीं उधर गड्ढा हैं

😛
*चोथे साल : अंधी हैं क्या गड्ढा नहीं दिखता*

😛
*पांचवे साल :* अरे उधर -किधर मरने जा रही हैं गड्ढा तो इधर हैं ..

😂😝 *मुस्कुराते रहिये...*😝😀😛

*हंसना ही जिन्दगी है।*
*वरना शांत तो मुर्दे रहते हैं।*

*Tribute to all married man*

घरवाली के ताने जब हद से बाहर हो जाये तो तत्काल जूता उठाए
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पहने और घर से बाहर निकल जाये

बीच में आपने जो सोचा है उसके लिए 56 इंच का सीना चाहिए

कहते है की जब इंसान के पाप का घड़ा भर जाता हैं तब उसकी मृत्यु हो जाती हैं

उसी तरह जब इंसान की खुशियों का घड़ा भर जाता हैं तब उसकी शादी हो जाती हैं !!!!

*जिंदगी के 8 हिस्से होते है...*

*1. पढाई*

*2. खेल*

*3. मौज मस्ती*

*4. प्यार*

*5. शादी*

*6.*

*7.*

*8.*

क्या ढूंड रहे हो...?

*शादी होने के बाद खतम...!*

*सब कुछ खतम...!! गेम ओव्हर... भाई.....*

*बीवियाँ मनमोहन सिंह बना देती है.*
*वरना पैदा तो सभी मोदी ही होते है*

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👉☝😄😀😃😁😁😁😁😁😁😁😁😘😘

🎭 *आ हंस लें ज़रा* 👻

Tuesday, 1 November 2016

#करमी_करमी_होइ_विचारु

#At_itsDoor_isDecided
#AccordingToTheirDeeds.

राती रुती थिति वार ।।
पवण पाणी अगनी पाताल ।।
तिसु विचि,
धरती थापि रखी धरमसाल ।।
तिसु विचि,
जीअ जुगति के रंग ।।
तिन के नाम अनेक अनंत ।।

रातें, ऋतुएं, तिथियाँ तथा वार, हवा, पानी, आग, पाताल -- इन सब के समुदाय में परमात्मा ने धरती को धर्म अर्जित करने का स्थान बना कर स्थापित कर दिया है ।

इस धरती पर कई युक्तियों तथा रंगों के जीव बस्ते हैं, जिनके अनेक तथा अनगिनत ही नाम हैं ।

#करमी_करमी_होइ_विचारु ।।
सचा आपि, सचा दरबारू ।।
तिथै सोहनि पंच परवाण ।।
नदरी करमि पवै  निसाणु ।।

अनेक नामों वाले तथा रंगों वाले जीवों के अपने अपने किये हुये कर्मों के अनुसार प्रभु के दर पर फैंसला होता है, जिस में कोई गलती नहीं होती, क्योंकि न्याय करने वाला परमात्मा आप  सच्चा है, उस का दरबार भी सच्चा है ।

उस दरबार में संत जन प्रत्यक्ष रूप से सुशोभित होते हैं तथा कर्पा- दृष्टि रखने वाले परमात्मा की कर्पा से उन संत-जनों को मस्तक पर बडप्पन का निशान चमक आता है।

कच पकाई, ओथै पाइ ।।
नानक, गइआ जापै जाइ ।।३४।।

यहाँ संसार में किसी का बड़ा या छोटा कहलवाना कोई अर्थ नहीं रखता ।

इनका कच्चा होना या पक्का होना परमात्मा के दर पर जा कर मालुम होता  हैं ।

हे नानक ! परमात्मा के दर पर जाकर ही समझ आती है की असल में कौन पक्का है तथा कौन कच्चा है ।34।

भाव: जिस मनुष्य पर प्रभु की कर्पा होती है, उसको पहले यह राह समझ आती है कि मनुष्य इस धरती पर कोई खास कर्तव्य पूरा करने के लिये आया है ।
यहाँ जो अनेक जीव पैदा होते हैं, इन सब के अपने अपने कर्त कर्मों के अनुसार यह फैंसला होता है कि किस किस ने मनुष्य जन्म के मनोरथ को पूरा किया है ।
जिस कि मेहनत कबूल होती है, वे प्रभु कि हजूरी में आदर पाते हैं ।
यहाँ संसार में किसी का बड़ा या किसी का छोटा होना कोई अर्थ नहीं रखता ।

#गुरुनानक #जपुजीसाहिब  #पौड़ी34
#SGGS

नोट: उपयुर्क्त विचार आत्मिक मार्ग में जीव कि पहली अवस्था है, ज्यां वह अपने कर्तव्य को पहचानता है | इस आत्मिक अवस्था का नाम 'धर्म खंड' है |