Thursday, 3 November 2016

ज्ञान अवस्था की बरकत

#TheStateOfKnowledgeOfSwell,
#AsTheWholeWorldLooks
#A_JointFamily,

गिआन खंड महि, गिआन परचंडु ।।
तिथै, नाद बिनोद कोड अनंदु ।।

ज्ञान खंड में भाव मनुष्य कि ज्ञान अवस्था में ज्ञान ही बलवान होता है ।
इस अवस्था में मानों सब रागों, तमाशों, तथा कोतुकों का आनंद (स्वाद) आ जाता है ।
#LaborClause;  #सरम_खंड

सरम खंड की बाणी रूपु ।।
तिथै घाड़ति घड़ीऐ, बहुतु अनूपु ।।

ऊधम-अवस्था की बनावट सुंदरता है ।

भाव, इस अवस्था में आकर मन दिन-ब-दिन सुंदर बनना शूरू हो जाता है ।

इस अवस्था में नई घाड़त के कारण मन बहुत सुंदर घड़ा जाता है ।

ता किआ गला, कथीआ न जाहि ।।
जे को कहै पीछै पछुताई ।।

उस अवस्था की बातें ब्यान नहीं की जा सकती ।
यदि कोई मनुष्य ब्यान करता है, तो पीछे पछताता है क्योंकि वह ब्यान करने में असमर्थ रहता है ।

तिथै घड़ीऐ, सुरति मति मनि बूधि ।।
तिथै घड़ीऐ, सूरा सिधा की सुधि ।।३६।।

उस मेहनत वाली अवस्था में मनुष्य की सुरति तथा मति घड़ी जाती है, भाव, चित्तवर्ती (सुरति) तथा मति ऊँची हो जाती है तथा मन में जाग्रति आ जाती है ।

सरम (श्रम) खंड में देवताओं तथा सिद्धों वाली अक्ल  मनुष्य के अंदर बन जाती है |३६|

भाव:- ज्ञान अवस्था की बरकत से जैसे जैसे सारा जगत एक सांझा परिवार दिखता है , जीव प्राणियों की सेवा की मेहनत (श्रम) सिर पर उठाता है, मन की पहली तंग-दिली हटकर विशालता तथा उदारता की घाड़त में, मन नए सिरे से सुंदर घड़ा जाता है, मन में एक नई जाग्रति आती है, चित्तवर्ती  ऊँची होने लगती है ।

#जपुजीसाहिब  #गुरुनानक #SGGS

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