Monday, 26 February 2018

DEALS 6

B-8/29/15 (Done 41,50) 
30118
00,51, Token Money
05,49, ByCheqe 5.49
07.00
01.40, ByCash
05,00,  ByChaqe 10.49
19,40 (22,60,)
15,00 Draft by bank)
00.31  (bal 06.79)
  _____________


   




C-5/10/15 (Done 41.20)
30118
00,51, Token Money
03,49, ByChaqe 3.49
08,50, ByCash
05,00, ByChaqe 8.49
17,50, (Bal; 23,70)

(15.50)
(06.30)
(01.50)=22.80-40


SBI A/C
1,80,000.00 by chaqe  (Cleared)

G-1/19/24
2500 WATER MOTOR
5000 Gogi (electricl meter)
----------
7500.00   (XXXXXX)




81/naj


  1. Bombay 59/- 
  2. B/Garh  275/-
  3. Bijnore 40/-
  4. Etawha 155/-
  5. Ranchi 70/-
  6. Chd 196/-
  7. Gbd 15/-
  8. Andhra 290/-
  9. Gowahati 34/-
  10. Patna. 5/-
  11. Msc   37/-
  12. C7/48/ 5+15+80+15=115 
  13. =1134.00

  1. Shnty   1000/-
  2. Jagmohan 1000/-

Bombay 16+4+10+5+20+7+24+10+2+56+20+4+22=201/-
B/Gargh 25=25
Bijnore 25+20+15+20+10+50+50+110+23+(8)=323/-
Etawa . 16+10+20+10+20+10+(5)=86/-
Ranch/ 10=10
Chd/ 40+13+ 16+13+20+30+25+35+90+33+33+ (20)+32(m)+35=378/-
MSC/ 8+6+20+34+8+24+7=107/-
Bhopal 10+42=52
C-7/48/15   80+5+15+15=115
1222+115=1337


Bombay; 6+
Chandigarh; 50+20+60+20+34
Bijnor; 19+237+10+40+36
Msc ; 8(jrnl) +17(ptna)5+(nice)
BGarh 10+(45)

Sunday, 25 February 2018

आस्तिक बनाम नास्तिक

ਆਸਤਿਕ ਬਨਾਮ ਨਾਸਤਿਕ

ਜਿਸ ਦਿਨ ਤੁਹਾਨੂੰ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਪੂਰੀ ਤਰਾਂ ਸਮਝ ਲੱਗ ਗਈ, ਤੁਹਾਨੂੰ ਨਾਸਤਿਕਤਾ ਮਹਿਸੂਸ ਹੋਣ ਲੱਗ ਜਾਵੇਗੀ ਤੇ ਤੁਸੀ ਲੋਕਾਂ ਦੀਆਂ ਨਜ਼ਰਾਂ ਵਿਚ ਨਾਸਤਿਕ ਹੋ ਜਾਵੋਗੇ, ਜਿਸ ਦਿਨ ਲੋਕ ਤੁਹਨੂੰ ਨਾਸਤਿਕ ਨਾਸਤਿਕ ਕਹਿ ਕਿ ਪੁਕਾਰਨ ਲੱਗ ਪਏ ਉਸ ਦਿਨ ਸਮਝ ਲੈਣਾ ਕਿ ਤੁਸੀਂ ਗੁਰੂ ਦੀ ਬਾਣੀ ਤੇ ਅਮਲ ਕਰਨ ਲੱਗ ਪਏ ਹੋ, ਤੇ ਸਭ ਝੂਠੇ ਤੇ ਪਖੰਡੀ ਸਮਾਜਕ ਰਸਮਾਂ ਰਿਵਾਜ਼ਾਂ ਤੋਂ ਦੂਰ ਚਲੇ ਗਏ ਹੋ ਜੋ ਕਿ ਲੋਕਾਂ ਦੀਆਂ ਨਜ਼ਰਾਂ ਵਿਚ ਰੱਬ ਨੂੰ ਖੁਸ਼ ਕਰਨ ਵਾਸਤੇ ਬਹੁਤ ਹੀ ਜਰੂਰੀ ਹੱਨ ।

ਆਸਤਿਕ ਸੰਤ - ਸਰਬੱਤ ਦਾ ਭਲਾ ਮੰਗੋ

ਨਾਸਤਿਕ - ਸਰਬੱਤ ਦਾ ਭਲਾ ਕਰੋ

ਆਸਤਿਕ ਸੰਤ - ਗੁਰਦੁਆਰੇ, ਮੰਦਰਾਂ ਦੇ ਵਿਚ ਸੋਨੇ ਅਤੇ ਇਮਾਰਤਾਂ ਲਈ ਸੰਗਤਾਂ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮਾਇਆ ਦਾਨ ਕਰਨ

ਨਾਸਤਿਕ - ਵਿਹਲੜਾ ਨੂੰ ਕੋਈ ਪੈਸਾ ਨਾ ਦਿਉ ਦਾਨ ਅੱਖਾਂ ਖੋਲ ਕੇ ਕਰੋ ਦਾਨ ਨਾਲ ਸਕੂਲ ਹਸਪਤਾਲ ਗਰੀਬ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਬਣਵਾਉ

ਆਸਤਿਕ ਸੰਤ - ਦੁੱਖ ਵੇਲੇ ਅਰਦਾਸ ਕਰੋ

ਨਾਸਤਿਕ - ਦੁੱਖ ਵੇਲੇ ਹੋਸਲਾ ਨਾ ਹਾਰੋ ਮਿਹਨਤ ਜਤਨ ਕਰੋ

ਅਾਸਤਿਕ ਸੰਤ-ਸੰਤਾਂ ਤੇ ਕਿੰਤੂ ਪ੍ਰੰਤੂ ਨਾ ਕਰੋ ਸੰਤ ਦੀ ਨਿੰਦਿਆ ਨਾਲ ਨਰਕਾਂ ਦੇ ਵਿਚ ਜਾਉਗੇ

ਨਾਸਤਿਕ - ਅੱਖਾਂ ਬੰਦ ਕਰਕੇ ਕੋਈ ਗੱਲ ਨਾ ਮੰਨੋ ਹਰ ਗੱਲ ਕਿਉ, ਕਿਵੇਂ, ਕਿੱਥੇ, ਕਦੋ ਤਰਕ ਦੀ ਛਾਨਣੀ ਵਿਚ ਛਾਣੋ ਭਾਵੇ ਕੋਈ ਵੀ ਗੱਲ ਕਿਸੇ ਮਹਾਨ ਵਿਅਕਤੀ ਨੇ ਕਹੀ ਹੋਵੋ ਨਰਕ ਸਵਰਗ ਕਿਤੇ ਨਹੀਂ ਜੋ ਕੁਝ ਹੈ ਇਥੇ ਹੀ ਹੈ ਗਲਤ ਨੂੰ ਗਲਤ ਕਹੋ ਤੇ ਸੱਚ ਦਾ ਸਾਥ ਦਿਉ

ਆਸਤਿਕ ਸੰਤ - ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਪੁੰਨ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਰੱਬ ਨਾਲ ਜੋੜਨਾ ਹੈ

ਨਾਸਤਿਕ - ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਕੰਮ ਮਨੁੱਖਤਾ ਨੂੰ ਅੰਧਵਿਸ਼ਵਾਸ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢਣਾ ਅਤੇ ਇਨਸਾਨੀਅਤ ਦੇ ਭਲੇ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਨਾ ਹੈ

ਆਸਤਿਕ ਸੰਤ - ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦਾ ਪਾਠ ਕਰਦੇ ਰਹੋ ਫਲਾਣੇ ਮੰਤਰ ਨਾ ਫਲਾਣੀ ਕੰਮ ਤੇ ਰਿੱਧੀਆ ਸਿੱਧੀਆਂ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ

ਨਾਸਤਿਕ - ਰਿੱਧੀਆ ਸਿੱਧੀਆਂ ਵਹਿਮ ਹਨ ਹਰ ਕੰਮ ਮਿਹਨਤ ਤੇ ਲਗਨ ਨਾਲ ਪੂਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥ ਵੀ ਪੜੋ ਉਹਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਚੰਗੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਦਾ ਅਨੁਸਰਣ ਕਰਕੇ ਜਨਤਾ ਦਾ ਭਲਾ ਕਰੋ ਤੋਤਾ ਰਟਨ ਬੇਵਕੂਫੀ ਹੈ

ਆਸਤਿਕ ਸੰਤ - ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰੋ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਧਾਉਣ ਲਈ ਹਰ ਸੰਭਵ ਯਤਨ ਕਰੋ

ਨਾਸਤਿਕ - ਇਨਸਾਨੀਅਤ ਹੀ ਸੱਚਾ ਧਰਮ ਹੈ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਇਨਸਾਨੀ ਭਲੇ ਲਈ ਜਾਗਰੂਕ ਕਰੋ

ਆਸਤਿਕ ਸੰਤ - ਵਿਰੋਧ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸਬਕ ਸਿਖਾਉਣ ਲਈ ਹਰ ਸੰਭਵ ਯਤਨ ਕਰੋ ਲੋੜ ਪੈਣ ਤੇ ਕਤਲ ਵੀ ਕਰਕੇ ਰੱਬ ਦੀਆਂ ਖੁਸ਼ੀਆ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰੋ

ਨਾਸਤਿਕ - ਵਿਚਾਰਾਂ ਨੂੰ ਵਿਚਾਰ ਵਟਾਂਦਰਾ ਕਰ ਕੇ ਕੱਟੋ ਜਬਾਨ ਨਾਲ ਵੀ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਦੁੱਖ ਨਾ ਪਹੁੰਚਾਉ

हाफ स्कूल बैग

जैसा कि सुनने में आ रहा है कि केंद्र सरकार सन 2019 से अपनी शिक्षा प्रणाली में कुछ बदलाव ला रही है जिसमें बच्चों पर शिक्षा का बोझ कम होगा यानी 'हाफ स्कूल बैग'। जिसके तहत विद्यार्थी अपने पसंदीदा सब्जेक्ट के नम्बरों को कमजोर सब्जेक्ट के नम्बरों में एक लोन के रूप में एडजस्ट कर सकेगा।

जिससे उस के मन मे इतनी मेहनत के बाद भी पानी फिरने और हींन भावना की कमी आएगी। बाद में वो विद्यार्थी अपने कमजोर सब्जेक्ट पर फिर से मेहनत कर अपने अमीर सब्जेक्ट के नम्बर लोटा सकेगा।
प्रस्ताव तो अच्छा है जिसे दिल्ली के चीफ मिनिस्टर पहले ही 26 जनवरी को सबके सामने ला चुके हैं।
चलो क्रेडिट कोई भी ले, स्कीम तो है बच्चों के फायदे की।

अच्छा है, जो बस्ता आधा होगा,बेशक पहल  किसी की भी हो, सभी बच्चों को अपना मन-भावन विषय मिलना ही चाहिये, चाहे दूसरे विषय के सहयोग से।

Monday, 19 February 2018

Dlip singh wasan

यह जीवन क्या है?
     भगवान की अवधारणा ने हमें सभी स्थितियों में जीवित रखा

               यह आदमी पाषाण युग से शुरू हुआ और अब वह आकाश तक पहुंच रहा है और दूसरी तरफ वह राज, महाराज, शासक और साम्राज्यवादियों के बीच पीड़ित था जो मानवता को विभाजित रखते थे और बड़ी संख्या में लोग गरीब रहते थे ताकि ये लोग शासकों की तर्ज पर, अमीर और शक्तिशाली उन पर काम करने के लिए सस्ती श्रम हो सकता था। और हम अपनी पौराणिक कथाओं, हमारे अपने इतिहास को देखते हैं और फिर दास 3 की अवधि के इतिहास में गरीब गरीब रहते थे और उन्हें उचित स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रशिक्षण, रोजगार और उचित मजदूरी नहीं दी गई थी और एक बार गरीबी एक घर में आई थी, तब उसके बाद की पीढ़ी घर गरीब लोगों के रूप में जारी रखा कुछ देशों में क्रांति हुई थी, लेकिन ऐसे क्रांतियों में विनाश और हत्याएं होती हैं और कुछ भी अलग नहीं हो सकता है और इसलिए कुछ लोगों ने ईश्वर की अवधारणा का आविष्कार किया और कहा कि इस धरती पर ये सभी दुःख मनुष्यों की रचना नहीं हैं, परन्तु ईश्वर ही है हमारी किस्मत और भाग्य लिखना और जो लोग इस धरती पर पीड़ित हैं, वे पिछले जन्मों में अपने बुरे कर्मों की वजह से पीड़ित हैं और इसलिए उन्होंने सलाह दी है कि सभी पीड़ितों को भगवान के प्रति समर्पित होना चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए और पिछले बुरे कर्मों के लिए प्रार्थना करना और बेहतर प्रार्थना करना चाहिए। अगली बार जीवन और भगवान में यह विश्वास उन्हें आत्महत्या करने से बचाया गरीब लोग रहते थे और अब भी जीवित हैं 'पशुओं की तुलना में सबसे खराब है, परन्तु वे आगे बढ़ रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि उन्हें अगली बार बेहतर जीवन मिलेगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में विकास के बावजूद लोग अभी भी अपनी किस्मत और भाग्य को अंतिम रूप से ले रहे हैं और वे अपने विचारों को परिवर्तित नहीं कर रहे हैं कि इस धरती पर कुछ लोग इन सभी कठिनाइयों को पैदा कर रहे हैं और राष्ट्रीय संपदा में अपने हिस्से को छीन रहे हैं। ।

                                

____________________________
       भारत के चुनाव एक व्यर्थ की एक्सरसाइज हैं;

               हमारे संविधान में दिए गए प्रावधानों के अनुसार, हमें पांच साल बाद चुनाव कराने होते हैं।1952 से इस रिहर्सल का बार-बार दोहराया गया है। राजनीतिक लोग आपस में सहयोगी व एक ही सोच के हैं।  उन्होंने राजनीति जिसको कभी समाज सेवा का रूप माना जाता था, को अपना व्यवसाय, पार्टी व टीम बना एक लक्ष्य "चुनाव में जीत" का रूप बना दिया है और वे लोग इस सेवा को अपने एक सुसज्जित व अनेक प्रकार से सुविधजनक दफ्तर में बैठ कर करना पसन्द करते हैं।

चुनाव इनके लिये फ्रेंडली मैच है। केंद्र से लेकर राज्य, यहां तक धार्मिक स्थल व कॉलोनी की कमेटियां उसी लाइन पर काम कर रही हैं। जहां अंग्रेज हुकूमत ने इसे छोड़ दिया था, पर इस देश से हटाए जाने के बाद इस राजनीति के नियमों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जा सका है। हमारे संविधान के निर्माता भी परिवर्तन पक्ष में थे। राजनीतिज्ञों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुभव, विशेषज्ञता आदि के नियमों का निर्धारण नहीं किया गया था। पर हमारे देश की आज़ादी के बाद का इतिहास की लिखतों से पता चलता है, कि कुछ परिवार और कुछ व्यक्तिगत स्वंयसेवी, संविधान निर्माताओं के चारों ओर चिपके लोगों ने इकट्ठा हो सिर्फ 'हां' की राजनीति व पुरुष प्रधान की व्यवस्था को बनाये रखना ठीक समझा।

वास्तव में इन परिवारों के लोगऔर व्यक्तिगत स्वयंसेवियों ने हमारे ऊपर शासन रहा है। इन्होंने कभी भी सरकारी ख़ज़ानों, राजनीतिक पार्टी फंडों से बने घर व दफ्तरों का सही इस्तेमाल करने का रूल या एजेंडा पारित करने की कोशिश नहीं की।

जनता को दिखाने के लिए रखे जाने वाले दरबार कुछ छोटे घरों में, पार्कों में , केवल छोटे मामलों के लिये ही दिखाए जाते रहे हैं।

मानते हैं कि देश में वास्तविक लोकतंत्र भी स्थापित किया गया है।हमने इन खानापूर्तियों दोनों ही प्रमुख दलों में देखा है। वे हमारे सामने सार्वजनिक तौर पर अब तक के सभी एक-दूसरे के काम की निंदा करते रहे हैं पर व्यक्तिगत समारोह में एक दूसरे को बुला, गिफ्ट सहित हाथ से हाथ मिला, गले मिल इकट्ठे भोजन, व कॉकटेल पार्टी करते हैं।

इसका अर्थ स्पष्ट है कि इस देश के लोगों के हित व समाज सुधार के लिए कुछ भी नहीं किया गया है। कहा जाता है कि 2019 के चुनावों में बदलाव आएगा, अब और कुछ ऐसा नहीं होगा। यदि हम इस चुनाव से बचते हैं तब भी पांच साल के दूसरे कार्यकाल को भी छतीस प्रकार के भोजन की थाली में सजा कर देने वाला जैसा काम है।  कंटिन्यू के लिए वर्तमान सेट देते हैं, तो भी देश और उसकी जनता को कुछ भी नहीं नया नहीं मिलेगा।

इस चुनाव कुछ भी नया नहीं लाएगा और केवल पुरुष बदल सकते हैं। इस व्यर्थ की प्रैक्टिस के लिए, हमें निंदा करना चाहिए जो कि बहुत मुश्किल है। अगली सरकार से कुछ भी नई उम्मीद नहीं है

                                

Saturday, 17 February 2018

Short verb

Informal Abbreviations:

1. Gonna
Going   to

2. Wanna
Want   to

3. Gotta
Got   to

4. Lemme
Let   me

5. Gimme
Give   me

6. Hafta
Have   to

7. Hasta
Has   to

8. Doncha
Don't   you

9. Dunno
Don't   know

10. Outta
Out   of

11. Kinda
Kind   of

Tuesday, 13 February 2018

गनबीर

वीर जी द्वारा 'वाहिगुरू आख' के इलावा कोई उधर से रिप्लाई नहीं आ रहा है, मुझे कोई सलाह दे विक्की। में बहुत परेशान हुन

आप मेरे से बात क्यों नहीं करते। इस मुशिकल घड़ी में मैं और कहां जाऊं। मैं आपसे कोई पैसे नहीं मांग रहा हूँ, सिर्फ सलाह मांगनी है। ठीक है, मेरे से पहले गलती हुई जो जबरदस्ती जोनी की शादी आप के मना करने में करवाई। उस गलती की सज़ा जीते जी अपने बेटे को नहीं भुगतने दूंगा।  मैं निक्की को अपनी बेटी मानते हुये उसकी दूसरी शादी जिसको वो अभी भी चाहती है, का खर्चा करने को तैयार हूं । जगजीत को भी जो जायज हो पैसे दे दूंगा । यदि अगमदीप हमारा है तो उसे हमें सोंप दें नहीं तो लिखा पढ़ी करवा दें । मुड़ कर हम आपको अपनी शक्ल तक नहीं दिखाएंगे। वैसे भी हमने अपने मकान बेच दिए हैं। कहीं दूर सकून में रहने का विचार है। प्लीज बात तो करें गुरमीत 12/2/2018

Saturday, 10 February 2018

1122018

#Sachkhand Sri #Harmandar Sahib Vikhy #AmritVele Hoiya Aj Da Pavitar #HukamNama Sahib Ji (in  #ਪੰਜਾਬੀ #Hindi & #English ) #ਅੰਗ457 #11Feb
                  *ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥*  
                           *ਸਲੋਕੁ ॥*

*ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਜਪੰਤਿਆ  ਕਛ ਨ ਕਹੈ ਜਮਕਾਲੁ ॥ ਨਾਨਕ ਮਨੁ ਤਨੁ ਸੁਖੀ ਹੋਇ ਅੰਤੇ ਮਿਲੈ ਗੋਪਾਲੁ ॥੧॥*
ਭਾਈ! ਪਰਮਾਤਮਾ ਦਾ ਨਾਮ ਸਿਮਰਦਿਆਂ ਮੌਤ ਦਾ ਡਰ ਪੋਹ ਨਹੀਂ ਸਕਦਾ (ਆਤਮਕ ਮੌਤ ਨੇੜੇ ਨਹੀ ਆ ਸਕਦੀ)। ਹੇ ਨਾਨਕ! ਸਿਮਰਨ ਦੀ ਬਰਕਤਿ ਨਾਲ ਮਨ ਸੁਖੀ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤੇ ਆਖ਼ਰ ਪਰਮਾਤਮਾ ਭੀ ਮਿਲ ਪੈਂਦਾ ਹੈ।੧।
                           *ਛੰਤ ॥*

*ਮਿਲਉ ਸੰਤਨ ਕੈ ਸੰਗਿ ਮੋਹਿ ਉਧਾਰਿ ਲੇਹੁ ॥ ਬਿਨਉ ਕਰਉ ਕਰ ਜੋੜਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਦੇਹੁ ॥ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਮਾਗਉ ਚਰਣ ਲਾਗਉ ਮਾਨੁ ਤਿਆਗਉ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹ ਦਇਆ ॥ ਕਤਹੂੰ ਨ ਧਾਵਉ ਸਰਣਿ ਪਾਵਉ ਕਰੁਣਾ ਮੈ ਪ੍ਰਭ ਕਰਿ ਮਇਆ ॥ ਸਮਰਥ ਅਗਥ ਅਪਾਰ ਨਿਰਮਲ ਸੁਣਹੁ ਸੁਆਮੀ ਬਿਨਉ ਏਹੁ ॥ ਕਰ ਜੋੜਿ ਨਾਨਕ ਦਾਨੁ ਮਾਗੈ ਜਨਮ ਮਰਣ ਨਿਵਾਰਿ ਲੇਹੁ ॥੧॥*
ਹੇ ਹਰੀ! ਮੈਂ ਦੋਵੇ ਹੱਥ ਜੋੜ ਕੇ ਤੇਰੇ ਦਰ ਤੇ ਅਰਦਾਸ ਕਰਦਾ ਹਾਂ, ਮੈਨੂੰ ਆਪਣੇ ਨਾਮ ਦੀ ਦਾਤਿ ਬਖ਼ਸ਼। ਮੈਨੂੰ ਵਿਕਾਰਾਂ ਤੋਂ ਬਚਾਈ ਰੱਖ ਮੇਹਰ ਕਰ ਮੈਂ ਤੇਰੇ ਸੰਤ ਜਨਾਂ ਦੀ ਸੰਗਤਿ ਵਿਚ ਟਿਕਿਆ ਰਹਾਂ। ਹੇ ਹਰੀ! ਮੈਂ ਤੈਥੋਂ ਤੇਰਾ ਨਾਮ ਮੰਗਦਾ ਹਾਂ। ਜੇ ਤੂੰ ਮੇਹਰ ਕਰੇਂ ਤਾਂ ਮੈਂ ਤੇਰੇ ਚਰਨੀਂ ਲੱਗਾ ਰਹਾਂ, ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਅੰਦਰੋਂ ਅਹੰਕਾਰ ਤਿਆਗ ਦਿਆ। ਹੇ ਤਰਸ-ਸਰੂਪ ਪ੍ਰਭੂ! ਮੇਰੇ ਉਤੇ ਮੇਹਰ ਕਰ, ਮੈਂ ਤੇਰੀ ਸ਼ਰਨ ਪਿਆ ਰਹਾਂ, ਤੇ ਤੇਰਾ ਆਸਰਾ ਛੱਡ ਕੇ ਕਿਸੇ ਪਾਸੇ ਨਾਹ ਦੌੜਾਂ। ਹੇ ਸਭ ਤਾਕਤਾਂ ਦੇ ਮਾਲਕ! ਹੇ ਅਕੱਥ! ਹੇ ਬੇਅੰਤ! ਹੇ ਪਵਿਤ੍ਰ-ਸਰੂਪ ਸੁਆਮੀ! ਮੇਰੀ ਇਹ ਅਰਦਾਸ ਸੁਣ। ਤੇਰਾ ਦਾਸ ਨਾਨਕ ਤੈਥੋਂ ਇਹ ਦਾਨ ਮੰਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਮੇਰਾ ਜਨਮ ਮਰਨ ਦਾ ਗੇੜ ਮੁਕਾ ਦੇ।੧।
*ਅਪਰਾਧੀ ਮਤਿਹੀਨੁ ਨਿਰਗੁਨੁ ਅਨਾਥੁ ਨੀਚੁ ॥ ਸਠ ਕਠੋਰੁ ਕੁਲਹੀਨੁ ਬਿਆਪਤ ਮੋਹ ਕੀਚੁ ॥ ਮਲ ਭਰਮ ਕਰਮ ਅਹੰ ਮਮਤਾ ਮਰਣੁ ਚੀਤਿ ਨ ਆਵਏ ॥ ਬਨਿਤਾ ਬਿਨੋਦ ਅਨੰਦ ਮਾਇਆ ਅਗਿਆਨਤਾ ਲਪਟਾਵਏ ॥ ਖਿਸੈ ਜੋਬਨੁ ਬਧੈ ਜਰੂਆ ਦਿਨ ਨਿਹਾਰੇ ਸੰਗਿ ਮੀਚੁ ॥ ਬਿਨਵੰਤਿ ਨਾਨਕ ਆਸ ਤੇਰੀ ਸਰਣਿ ਸਾਧੂ ਰਾਖੁ ਨੀਚੁ ॥੨॥*
ਹੇ ਪ੍ਰਭੂ! ਮੈਂ ਗੁਨਾਹਗਾਰ ਹਾਂ, ਅਕਲੋਂ ਸੱਖਣਾ ਹਾਂ, ਗੁਣ-ਹੀਨ ਹਾਂ, ਨਿਆਸਰਾ ਹਾਂ, ਮੰਦੇ ਸੁਭਾਵ ਵਾਲਾ ਹਾਂ। ਹੇ ਪ੍ਰਭੂ! ਮੈਂ ਵਿਕਾਰੀ ਹਾਂ, ਬੇ-ਤਰਸ ਹਾਂ, ਨੀਵੀਂ ਕੁਲ ਵਾਲਾ ਹਾਂ, ਮੋਹ ਦਾ ਚਿੱਕੜ ਮੇਰੇ ਉਤੇ ਆਪਣਾ ਦਬਾਉ ਪਾ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਹੇ ਪ੍ਰਭੂ! ਭਟਕਣਾ ਵਿਚ ਪੈਣ ਵਾਲੇ ਕਰਮਾਂ ਦੀ ਮੈਲ ਮੈਨੂੰ ਲੱਗੀ ਹੋਈ ਹੈ, ਮੇਰੇ ਅੰਦਰ ਅਹੰਕਾਰ ਹੈ, ਮਮਤਾ ਹੈ, ਇਸ ਵਾਸਤੇ ਮੌਤ ਮੈਨੂੰ ਚੇਤੇ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦੀ।ਮੈਂ ਇਸਤ੍ਰੀ ਦੇ ਚੋਜ-ਤਮਾਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਮਾਇਆ ਦੇ ਮੌਜ-ਮੇਲਿਆਂ ਵਿਚ ਗ਼ਰਕ ਹਾਂ, ਮੈਨੂੰ ਅਗਿਆਨਤਾ ਚੰਬੜੀ ਹੋਈ ਹੈ। ਹੇ ਪ੍ਰਭ! ਮੇਰੀ ਜਵਾਨੀ ਢਲ ਰਹੀ ਹੈ, ਬੁਢੇਪਾ ਵਧ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਮੌਤ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਮੇਰੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੇ ਦਿਨ ਤੱਕ ਰਹੀ ਹੈ। ਤੇਰਾ ਦਾਸ ਨਾਨਕ ਤੇਰੇ ਦਰ ਤੇ ਬੇਨਤੀ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਮੈਨੂੰ ਤੇਰੀ ਹੀ ਆਸ ਹੈ, ਮੈਨੂੰ ਨੀਚ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਦੀ ਸ਼ਰਨ ਰੱਖ।੨।
*ਭਰਮੇ ਜਨਮ ਅਨੇਕ ਸੰਕਟ ਮਹਾ ਜੋਨ ॥ ਲਪਟਿ ਰਹਿਓ ਤਿਹ ਸੰਗਿ ਮੀਠੇ ਭੋਗ ਸੋਨ ॥ ਭ੍ਰਮਤ ਭਾਰ ਅਗਨਤ ਆਇਓ ਬਹੁ ਪ੍ਰਦੇਸਹ ਧਾਇਓ ॥ ਅਬ ਓਟ ਧਾਰੀ ਪ੍ਰਭ ਮੁਰਾਰੀ ਸਰਬ ਸੁਖ ਹਰਿ ਨਾਇਓ ॥ ਰਾਖਨਹਾਰੇ ਪ੍ਰਭ ਪਿਆਰੇ ਮੁਝ ਤੇ ਕਛੂ ਨ ਹੋਆ ਹੋਨ ॥ ਸੂਖ ਸਹਜ ਆਨੰਦ ਨਾਨਕ ਕ੍ਰਿਪਾ ਤੇਰੀ ਤਰੈ ਭਉਨ ॥੩॥*
ਹੇ ਪ੍ਰਭੂ! ਹੇ ਮੁਰਾਰੀ! ਮੈਂ ਅਨੇਕਾਂ ਜਨਮਾਂ ਵਿਚ ਭਟਕਿਆ ਹਾਂ, ਮੈਂ ਕਈ ਜੂਨਾਂ ਦੇ ਵਡੇ ਦੁੱਖ ਸਹਾਰੇ ਹਨ। ਧਨ ਤੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਭੋਗ ਮੈਨੂੰ ਮਿੱਠੇ ਲੱਗ ਰਹੇ ਹਨ, ਮੈਂ ਇਹਨਾਂ ਨਾਲ ਹੀ ਚੰਬੜਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹਾਂ। ਅਨੇਕਾਂ ਪਾਪਾਂ ਦਾ ਭਾਰ ਚੁੱਕ ਕੇ ਮੈਂ ਭਟਕਦਾ ਆ ਰਿਹਾ ਹਾਂ, ਅਨੇਕਾਂ ਪਰਦੇਸਾਂ ਵਿਚ ਜੂਨਾਂ ਵਿਚ ਦੌੜ ਚੁਕਿਆ ਹਾਂ ਦੁੱਖ ਹੀ ਦੁੱਖ ਵੇਖੇ ਹਨ। ਹੁਣ ਮੈਂ ਤੇਰਾ ਪੱਲਾ ਫੜਿਆ ਹੈ, ਤੇ, ਹੇ ਹਰੀ! ਤੇਰੇ ਨਾਮ ਵਿਚ ਮੈਨੂੰ ਸਾਰੇ ਸੁਖ ਮਿਲ ਗਏ ਹਨ। ਹੇ ਰੱਖਿਆ ਕਰਨ ਦੇ ਸਮਰਥ ਪਿਆਰੇ ਪ੍ਰਭੂ! ਸੰਸਾਰ-ਸਮੁੰਦਰ ਤੋਂ ਪਾਰ ਲੰਘਣ ਲਈ ਮੈਥੋਂ ਹੁਣ ਤਕ ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਿਆ, ਅਗਾਂਹ ਨੂੰ ਭੀ ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕੇਗਾ। ਹੇ ਨਾਨਕ! (ਆਖ-ਹੇ ਪ੍ਰਭੂ!) ਜਿਸ ਮਨੁੱਖ ਉਤੇ ਤੇਰੀ ਕਿਰਪਾ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ਆਤਮਕ ਅਡੋਲਤਾ ਤੇ ਸੁਖ ਆਨੰਦ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਉਹ ਸੰਸਾਰ-ਸਮੁੰਦਰ ਤੋਂ ਪਾਰ ਲੰਘ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।੩।
*ਨਾਮ ਧਾਰੀਕ ਉਧਾਰੇ ਭਗਤਹ ਸੰਸਾ ਕਉਨ ॥ ਜੇਨ ਕੇਨ ਪਰਕਾਰੇ ਹਰਿ ਹਰਿ ਜਸੁ ਸੁਨਹੁ ਸ੍ਰਵਨ ॥ ਸੁਨਿ ਸ੍ਰਵਨ ਬਾਨੀ ਪੁਰਖ ਗਿਆਨੀ ਮਨਿ ਨਿਧਾਨਾ ਪਾਵਹੇ ॥ ਹਰਿ ਰੰਗਿ ਰਾਤੇ ਪ੍ਰਭ ਬਿਧਾਤੇ ਰਾਮ ਕੇ ਗੁਣ ਗਾਵਹੇ ॥ ਬਸੁਧ ਕਾਗਦ ਬਨਰਾਜ ਕਲਮਾ ਲਿਖਣ ਕਉ ਜੇ ਹੋਇ ਪਵਨ ॥ ਬੇਅੰਤ ਅੰਤੁ ਨ ਜਾਇ ਪਾਇਆ ਗਹੀ ਨਾਨਕ ਚਰਣ ਸਰਨ ॥੪॥੫॥੮॥*
ਹੇ ਭਾਈ! ਪਰਮਾਤਮਾ ਨੇ ਤਾਂ ਉਹ ਬੰਦੇ ਭੀ ਵਿਕਾਰਾਂ ਤੋਂ ਬਚਾ ਲਏ ਜਿੰਨਾਂ ਨੇ ਸਿਰਫ਼ ਆਪਣਾ ਨਾਮ ਹੀ ਭਗਤ ਰਖਾਇਆ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਸੱਚੇ ਭਗਤਾਂ ਨੂੰ ਤਾਂ ਸੰਸਾਰ-ਸਮੁੰਦਰ ਦਾ ਕੋਈ ਸਹਮ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਸਕਦਾ। ਸੋ, ਹੇ ਭਾਈ! ਜਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭੀ ਹੋ ਸਕੇ ਆਪਣੇ ਕੰਨਾਂ ਨਾਲ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦੀ ਸਿਫ਼ਤਿ ਸਾਲਾਹ ਸੁਣਦੇ ਰਿਹਾ ਕਰੋ। ਹੇ ਗਿਆਨਵਾਨ ਬੰਦੇ! ਆਪਣੇ ਕੰਨਾਂ ਨਾਲ ਤੂੰ ਪ੍ਰਭੂ ਦੀ ਸਿਫ਼ਤਿ ਸਾਲਾਹ ਦੀ ਬਾਣੀ ਸੁਣ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ  ਤੂੰ ਮਨ ਵਿਚ ਨਾਮ-ਖਜ਼ਾਨਾ ਲੱਭ ਲਏਂਗਾ। ਹੇ ਭਾਈ! ਭਾਗਾਂ ਵਾਲੇ ਹਨ ਉਹ ਮਨੁੱਖ ਜੇਹੜੇ ਸਿਰਜਣਹਾਰ ਹਰੀ ਪ੍ਰਭੂ ਦੇ ਪ੍ਰੇਮ-ਰੰਗ ਵਿਚ ਮਸਤ ਹੋ ਕੇ ਉਸ ਦੇ ਗੁਣ ਗਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਹੇ ਭਾਈ! ਹੇ ਸਾਰੀ ਧਰਤੀ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਬਣ ਜਾਏ, ਜੇ ਸਾਰੀ ਬਨਾਸਪਤੀ ਕਲਮ ਬਣ ਜਾਏ, ਤੇ ਜੇ ਹਵਾ ਲਿਖਣ ਵਾਸਤੇ ਲਿਖਾਰੀ ਬਣ ਜਾਏ, ਤਾਂ ਭੀ ਬੇਅੰਤ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਅੰਤ ਨਹੀਂ ਪਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ। ਹੇ ਨਾਨਕ! ਆਖ- ਮੈਂ ਉਸ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦੇ ਚਰਨਾਂ ਦਾ ਆਸਰਾ ਲਿਆ ਹੈ।੪।੫।੮।

              *आसा महला ५ ॥*

                       *सलोकु ॥*

*हरि हरि नामु जपंतिआ कछु न कहै जमकालु ॥ नानक मनु तनु सुखी होइ अंते मिलै गोपालु ॥१॥ छंत ॥ मिलउ संतन कै संगि मोहि उधारि लेहु ॥ बिनउ करउ कर जोड़ि हरि हरि नामु देहु ॥ हरि नामु मागउ चरण लागउ मानु तिआगउ तुम्ह दइआ ॥ कतहूं न धावउ सरणि पावउ करुणा मै प्रभ करि मइआ ॥ समरथ अगथ अपार निरमल सुणहु सुआमी बिनउ एहु ॥ कर जोड़ि नानक दानु मागै जनम मरण निवारि लेहु ॥१॥*

*हे भाई! परमात्मा का नाम सुमिरन करने से मौत का डर भयभीत नहीं कर सकता (आत्मिक मौत नजदीक नहीं आ सकती)। हे नानक! (सिमरन की बरकत से) मन सुखी रहता है, हृदय सुखी हो जाता है, और, आखिर में परमात्मा भी मिल जाता है।१। छंत। हे हरी! मैं दोनों हाथ जोड़ कर (तुम्हारे दर पर) बनती करता हूँ , मुझे अपने नाम की दात बक्शो। मुझे विकारों से बचाय रखो (कृपा करो) मैं तुम्हार संत जानो की संगत में रहूँ। हे हरी! मैं तुम्हारा नाम मांगता हूँ। अगर तुम कृपा करो तो मैं तुम्हारे चरणों में लगा रहूँ, (और अपने अंदर से) अहंकार त्याग दूँ। हे तरस-सवरूप प्रभु! (मेरे ऊपर कृपा करो, मैं तुम्हारी सरन में रहूँ, और (और तुम्हारा आसरा छोड़ कर) किसी और के पास न भागूं । हे सब ताकतों के मालिक! हे अकथ! हे बयंत! हे पवित्र-सवरूप स्वामी! मेरी यह अरदास सुन। तेरा दास नानक तुमसे यही दान मांगता है की मेरा जनम मरण का चक्र ख़तम कर दो।*

*English Translation :*

*AASAA, FIFTH MEHL, SHALOK:*

*If you chant the Naam, the Name of the Lord, Har, Har, the Messenger of Death will have nothing to say to you. O Nanak, the mind and body will be at peace, and in the end, you shall merge with the Lord of the world. || 1 || CHHANT: Let me join the Society of the Saints — save me, Lord! With my palms pressed together, I offer my prayer: give me Your Name, O Lord, Har, Har. I beg for the Lord’s Name, and fall at His feet; I renounce my self-conceit, by Your kindness. I shall not wander anywhere else, but take to Your Sanctuary. O God, embodiment of mercy, have mercy on me. O all-powerful, indescribable, infinite and immaculate Lord Master, listen to this, my prayer. With palms pressed together, Nanak begs for this blessing: O Lord, let my cycle of birth and death come to an end. || 1 || I am a sinner, devoid of wisdom, worthless, destitute and vile. I am deceitful, hard-hearted, lowly and entangled in the mud of emotional attachment. I am stuck in the filth of doubt and egotistical actions, and I try not to think of death. In ignorance, I cling to the pleasures of woman and the joys of Maya. My youth is wasting away, old age is approaching, and Death, my companion, is counting my days. Prays Nanak, my hope is in You, Lord; please preserve me, the lowly one, in the Sanctuary of the Holy. || 2 || I have wandered through countless incarnations, suffering terrible pain in these lives. I am entangled in sweet pleasures and gold. After wandering around with such great loads of sin, I have come, after wandering through so many foreign lands. Now, I have taken the protection of God, and I have found total peace in the Name of the Lord. God, my Beloved, is my protector; nothing was done, or will ever be done, by myself alone. I have found peace, poise and bliss, O Nanak; by Your mercy, I swim across the world-ocean. || 3 || You saved those who only pretended to believe, so what doubts should Your true devotees have? By every means possible, listen to the Praises of the Lord with your ears. Listen with your ears to the Word of the Lord’s Bani, the hymns of spiritual wisdom; thus you shall obtain the treasure in your mind. Attuned to the Love of the Lord God, the Architect of Destiny, sing the Glorious Praises of the Lord. The earth is the paper, the forest is the pen and the wind is the writer, but still, the end of the endless Lord cannot be found. O Nanak, I have taken to the Sanctuary of His lotus feet. || 4 || 5 || 8 ||*

Friday, 9 February 2018

प्रार्थना और पुजारी वर्ग

भगवान भी मनुष्य को संतुष्ट नहीं कर सकते; (व्यंग्य)

            मनुष्य इच्छाओं, आशाओं और मांगों से भरा पड़ा है और इन पदार्थों के कारण, आदमी वर्तमान में बहुत निचले स्तर तक पहुंच चुका है। जब मनुष्य अपनी सारी इच्छाओं, आशाओं और मांगों को अपने आत्मबल पर प्राप्त नहीं कर सका, तो उसने ईश्वर की अवधारणा को बनाया, उसके समक्ष प्रार्थना करना शुरू कर दिया। क्योंकि जब वह स्वयं सभी मांगों को प्राप्त करने में सक्षम नहीं था, तो उसने स्वंय ही किसी और को प्रार्थना करने के काम पर रखना शुरू कर दिया।

निश्चित रूप से इन स्वार्थी लोगों के इस काम के लिये एक अलग पुजारी वर्ग सामने आया, जिसने इस काम को एक पेशा, व्यापार, बना लिया। पैसे और रोजगार के लिये  दूसरों की "भगवान से प्रार्थना" की इस फील्ड को अपनाया, पर इस पुजारी वर्ग के लोग प्रार्थना करवाने वालों की मांगों को स्वीकार कराने की सिफारिश के लिए भगवान को खुश नहीं कर सके, बल्कि वे स्वंय, दूसरों के लिए प्रार्थना करने वाले लोग अमीर और तन्दरुस्त हो गये ।

धरती पर व्यक्ति अपने लिए प्रार्थना करने के लिए दूसरे को तैनात करता है, जबकि  वह स्वंय भी भगवान के सामने उन बहुत सारी गुप्त प्रार्थनाओं के व्यक्तिगत होता है। जिसे उसने उस विशेष पुजारी वर्ग के लोगों को नहीं बताया था।

यदि भगवान एक प्रार्थना स्वीकार करता भी हैं, तो मनुष्य एक और प्रार्थना के साथ आगे बढ़ने लगता है। और वह 'बढ़ती मांग प्रणाली' अभी भी चल रही है।

आज का आदमी बेशक अपने मुहं से न कहे, अपने आस-पास के समाज द्वारा पापों, अपराधों और भ्रष्टाचार के रूप में घोषित कई पदार्थों की इच्छा रखता है।

लगता है, शायद इसीलिये भगवान को मनुष्य की बार-बार नई प्रार्थनाओं की वजह से भागना अथवा पंजाबी में कहते हैं न कि 'पिंड छुड़ाना' कारण है।

इस आदमी की मांगों के लिए सबसे ज्यादा भगवान हिंदुस्तान में है और बढ़ भी रहे हैं  वह भी इस आदमी के लिए निराशा का कारण है।

 

Tuesday, 6 February 2018

ਸੰਜਮ ਅਰ ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ ਦਾ ਮੇਲ

ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਸਰਕਾਰੀ ਅਤੇ ਪ੍ਰਾਈਵੇਟ ਸਕੂਲਾਂ ਦੇ ਮਾਹੌਲ ਉਪਰ ਦਸਵੀਂ ਅਤੇ ਬਾਹਰਵੀਂ ਦੇ ਬੋਰਡ ਪ੍ਰੀਖਿਆਵਾਂ ਹਾਵੀ ਹਨ। ਸਾਰੇ ਟੀਚਰ ਆਪਣੇ ਆਪਣੇ ਸੁਬਜੈਕਟ  ਦਾ ਰਿਵਿਜਨ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ ਸੋ ਸਰਕਾਰੀ ਅਤੇ ਗੈਰ ਸਰਕਾਰੀ ਕੌਂਸਲਰ ਵੀ ਵਿਧਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਬੋਰਡ ਪ੍ਰੀਖਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਤਨਾਵਮੁਕਤ ਅਤੇ ਸਹਿਜਤਾ  ਨਾਲ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੋਣ ਦੇ ਪ੍ਰਯੋਜਨ ਹਿਤਾਂ ਕਾਊਂਸਲਿੰਗ ਦੇਣ ਵਿਚ ਬਿਜ਼ੀ ਹਨ।

10 Things to say instead of - Stop Crying

10 Things to say instead of - Stop Crying

किसी को दिलासा देने के लिए आप इन सब वाक्यों का इस्तेमाल कर सकते हैं:

1. It's ok to be sad - दुखी होना बुरा नहीं है
2. This must be really hard for you. - मैं जानता/जानती हूँ ये तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल होगा
3. I'm here for you - मैं तुम्हारे साथ हूँ
4. Tell me about it - मुझे इसके बारे में बताओ
5. I hear you - मैं समझ रहा/रही हूँ तुम क्या कह रहे हो
6. That was really sad - वह बहुत बुरा था
7. I will help you work it out - मैं आपको उसे ठीक करने में मदद करूँगा
8. I'm listening - मैं सुन रहा/रही हूँ
9. I want to be here for you. I'll stay close so you can find me when you're ready. - मैं तुम्हारे लिए यहाँ रहना चाहता हूँ. मैं पास रहूँगा ताकि जब तुम्हे मेरी ज़रूरत हो, मैं साथ ही रहूं.
10. It doesn't feel fair - ये ठीक नहीं लगता

Saturday, 3 February 2018

आतिमक ज्ञान

#TodayEditorial

मनुष्य, परमात्मा की बनाई सर्वश्रेष्ठ कृति है।
मनुष्य को बनाने में परमात्मा ने अपनी सभी कला, कुशलता लगा दी।
मनुष्य को अच्छा तन, मन तथा बुद्धि प्रदान की।
मनुष्य ने परमात्मा द्वारा दी गई बुद्ध कुशलता से अपने को ख़ूब विकसित किया।

पर अभी तक मनुष्य, अपनी इस बुद्ध कुशलता की चेतन अवस्था का पूर्ण रूप से लाभ नहीं ले पाया, जो कि केवल अध्यात्मक ज्ञान से संभव है। और यह ज्ञान पूर्ण रूप से सच्चे गुरु की शिक्षा निर्देशन से हो सकता है। एक सच्चा गुरु ही ब्रह्म ज्ञान की राह दिखा सकता है।

इसलिये मनुष्य को सच्चे गुरु "गुरु ग्रन्थ साहिब जी" की शिक्षा ग्रहण करने की बहुत आवश्यकता है।

#Seriously

स्वर्ग

बुजुर्ग पति-पत्नी एक साथ गुज़र गए। जब ऊपर पहुँचे तो चित्रगुप्त ने बहीखाता देख कर एक दूत से कहा, "इन्हें स्वर्ग में ले जाओ।"

दूत उन्हें स्वर्ग में ले गया। एक आलीशान बंगले में ले जाकर बोला, "आप दोनों यहां रहेंगे। यहां हर तरह का आराम है। हर तरह की सुविधा उपलब्ध है। नौकर-चाकर हमेशा आपकी सेवा में रहेंगे। और हां, आप जो भी जब भी खाना पीना चाहें, आपको मिलेगा।"

बुजुर्ग ने पूछा, "अगर हम बीमार हो गए तो डॉक्टर कहां मिलेगा?"

दूत ने बताया, "स्वर्ग में कभी कोई बीमार नहीं होता।"

बुजुर्ग लंबी सांस छोड़ते हुए पत्नी से बोला, "अगर हम लोग अपने डॉक्टर की बात न मान कर, फल-सब्जियों की बजाय, अपनी मनमर्जी की चीजें खाते पीते, तो कई साल पहले यहां पहुंच जाते।"