#सरदार_असरदार_होते_हैं!
क्या कारण है कि दूसरे लोगों का सिख व सिख समुदाय के प्रति चुटकला, टिप्पणी, कटाक्ष, भेदभाव व शारीरक हमले के बावजूद इनका वज़ूद घटने के बजाए दुगना-तिगुना हुआ है?
सबसे ताज़ा मिसाल अमेरिका में एक शहर एश्लैण्ड में भारतीय मूल के एक 'द किंग डिनर' रेस्तरां मालिक जो कि एक सिख है, पर एक ग्राहक ने उस पर एक नक्सली टिप्पणी कर डाली। ग्राहक ने उसके यहां खाना खाने के बाद एक फीड बैक में अपने बिल भुगतान के बाद अपने पैसे को एक आतंकी संस्था 'अल कायदा' को फंड देने की बात कही और बकायदा फेसबुक पर पोस्ट भी कर दी।
इस पोस्ट पर हैरानगी जताते हुए उस सिख ने जवाब में अपना कमेंट लिख कर डर जताया कि कहीं इस ग्राहक के समर्थक इस रेस्तरां में एकत्र हो मेरा 2010 से बसा आशियाना न उजाड़ दें!
वो स्थान कोई भारत तो है नहीं कि ऐसे भेदभाव भरे कटाक्ष को कोई गंभीरता में नहीं लेता।पर सरदार जी की इस कमेंट से मानो, वहां अमेरिका में तो जैसे हड़कंप मच गया ।
आसपास के अमेरिकी व सभी समुदाय के लोगों ने उस रेस्तरां व सिख मालिक के समर्थन में एकत्र हो उससे सहानुभूति व सुरक्षा दिलाने का वादा किया ।
यही नहीं बात फैलने पर हफ्ते दो हफ्ते में उस साधारण रेस्तरां का रश व आमदनी भी दोनी-चौगनी हो गई। जिनका उस सिख परिवार ने शुक्रिया अदा किया है।
#Courtesy
नवभारत टाइम्स
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