Sunday, 1 April 2012

मूर्ति पुजा और भगत धन्ना जी

सिक्ख धर्म की विचारधारा में स्पष्ट रूप में मूर्ति पुजा का खंडन किया गया है. तो सवाल उठता है कि भगत धन्ना जी के बारे में आम धारणा बनी हुई है कि 'इन्होंने पत्थर की पूजा से प्रमेश्वर को प्राप्त किया था' जब्कि गुरु ग...ोबिंद सिंह जी ने कहा है : 'किछ पाहन (पत्थर) मै परमेशर नाहीं |' ये कैसे हुआ ?
भगत धन्ना जी, जिनके कुल तीन शब्द क्षी गुरु गरंथ साहिब में दर्ज हैं. दो आसा तथा एक धनासरी राग में. यह तीनों शब्द गुरबाणी की विचारधारा से पूर्ण रूप से मिलते हैं. इनमें कहीं भी भगत जी ने यह नहीं कहा कि उन्होंने पत्थर या मूर्ति पूजा करके परमेश्वर की प्राप्ती की है. भगत जी तो स्पष्ट कहते हैं कि 'मैं (धंन्ने ने), प्रभू प्यारों की संगत से प्रभू के नाम-धन को प्राप्त किया है और उस प्रभू में लीन हो गया हूँ:
धंने धनु पाइआ धरणीधर, मिलि जन संत समानिआ ||४||१|| (४८७)

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