सवाल :- मनुष्य और परमात्मा के बीच जो दूरी बढ़ रही है, वह कैसे हट सकती है ?
जवाब :- परमात्मा का हुक्म मानना, उसके स्वभाव के साथ अपना स्वभाव मिलाना (जैसे, यदि बेटा, बाप का कहना मानता रहे तो बाप-बेटे में कोई फर्क नहीं रह जाता ) दान करना, तीर्थ स्नान करना, या प्रणायाम करके अपनी उम्र बढ़ाने से यह अंतर दूर नहीं हो सकता (१-७)
सवाल :- परमात्मा के हुक्म मानने का तरीका क्या है ?
जवाब :- जैसे जैसे मनुष्य गुरू के बताए रास्ते पर चलकर परमात्मा का भजन करता है, तैसे तैसे उसको परमात्मा की मिट्ठी लग्न लगती है | सो रजा में, हुक्म में चलने के लिये जीव को परमात्मा की सिफत-सालाह में अपना ध्यान जोड़ना है | ध्यान भी इतना जोड़ना है कि मन परमात्मा में पतीज जाये | सिफत सालाह में से निकलने कि चिंता न करें |(८-१५)
गुरू नानक, जपु जी साहिब |
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