गुरु का याद ,सम्मान व उनने दिखाए उद्देश्य।
बचपन से जवानी तक न जाने कितने शिक्षक, अर्थात गुरु हमारे रास्ते ज्ञान रूपी रोशनी देते उन स्ट्रीट लाइट की तरह आये होंगे जो अपने सिमित दायरे में रह हमें फोकस कर साथ छोड़ जाते रहे। उनकी शिक्षा रूपी रोशनी का दायरा आगे दूसरी स्ट्रीट लाइट तक का था । वे पोल हमें एक दूसरे के हवाले करते चले गए।
और न ही इधर हम उन शिक्षको से शिक्षा ग्रहण करने के बाद न कभी मिले न वहां कुछ समय ठहर कर उनकी सुध बुध ली। क्योंकि उनकी शिक्षा ही हमारे लिये ऐसी प्रेरणा थी कि हम अपना लक्ष्य प्राप्त करें न कि उनके साथ बैठ अपना समय व्यर्थ गवाएं ।
उनकी यादें वह सम्मान अपनी जगह है और रहेगा।
#Seriously
No comments:
Post a Comment