जीवन को बनाने या बिगाड़ने में वयक्ति के दृष्टिकोण का बहुत बड़ा योगदान होता है कियोंकि जैसा हमारा दृष्टिकोण होता है वैसी ही हमारी सोच भी होती है. विचारों के अनुसार हमे परिणाम मिलते हैं और संकल्प के अनुसार फल मिलता है. संकुचित सोच निराशा को जन्म देती है, सकरात्मक सोच मन में उललास और उमंग भरती है.
कुछ लोग अपने लिए ही जीते है. उन्हें अपनी परेशानी के सामने किसी दूसरे की दुख तकलीफ दिखाई ही नहीं देती. ऐसे लोग कभी खुश नहीं रहते, कियोंकि ये लोग किसी को कुछ भी देने में नहीं लेने में विश्वास रखते हैं.
लंबा जीवन जीने से वयक्ति अच्छा जीवन ही जीए. जीवन में जिस क्षण मनुष्य किसी की भलाई का संकल्प ले वही जीवन का बहुमूल्य क्षण होता है. महान कूटनीतिज्ञ चाणक्य के पैर में कांटा चूभ गया. उनहोंने कांटों की जड़ में मट॒ठा इसलिए भर दिया ताकि औरों को कांटों की चूभन बरदाश्त न करनी पड़े.
कुछ लोग अपनी उपलब्धियों, हालात, और परिस्थितियों से कभी खुश नहीं होते. जयादा पाने के लालच में उनके पास जो है, वह उसे भोगने से भी वंचित रह जाते हैं. जीवन को सही ढंग से जीने के लिए जरूरी है कि जीवन के हर मोड़, हर पड़ाव को उस की हकीकत के साथ सविकार किया जाए अनयथा शिकायतों के चलते इस जीवन को नरक बनने में देर नहीं लगती.
कुछ लोग अपने लिए ही जीते है. उन्हें अपनी परेशानी के सामने किसी दूसरे की दुख तकलीफ दिखाई ही नहीं देती. ऐसे लोग कभी खुश नहीं रहते, कियोंकि ये लोग किसी को कुछ भी देने में नहीं लेने में विश्वास रखते हैं.
लंबा जीवन जीने से वयक्ति अच्छा जीवन ही जीए. जीवन में जिस क्षण मनुष्य किसी की भलाई का संकल्प ले वही जीवन का बहुमूल्य क्षण होता है. महान कूटनीतिज्ञ चाणक्य के पैर में कांटा चूभ गया. उनहोंने कांटों की जड़ में मट॒ठा इसलिए भर दिया ताकि औरों को कांटों की चूभन बरदाश्त न करनी पड़े.
कुछ लोग अपनी उपलब्धियों, हालात, और परिस्थितियों से कभी खुश नहीं होते. जयादा पाने के लालच में उनके पास जो है, वह उसे भोगने से भी वंचित रह जाते हैं. जीवन को सही ढंग से जीने के लिए जरूरी है कि जीवन के हर मोड़, हर पड़ाव को उस की हकीकत के साथ सविकार किया जाए अनयथा शिकायतों के चलते इस जीवन को नरक बनने में देर नहीं लगती.
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