मनुष्य जन्म कीमती जन्म है , जिसने दुबारा (दूसरी बार) नहीं आना | इस जीवन को बसंत ऋतू वाही लोग समझते है जिन को प्रभु नाम की सूझ-बुझ है |
-गुरु नानक | ११६८|
मनुष्य के लिए वही ऋतू सुंदर है जब यह 'नाम' सिमरता है | नाम-सिमरन के बिना कुदरत की बदलती हुई ऋतू भी इसको आत्मक सुख नहीं दे सकती | आदमी के चाल-चलन के मुताबिक़ ही उसको सुख-दुःख मिलते हैं | सिमरण करने वाले मनुष्य सुखों के भागीदार होते हैं |
-गुरु नानक | १२५४|
जिस तरह मछली तथा बबीहा पानी से सुख लेते हैं | इसी तरह मनुष्य की आत्मक खुराक प्रभु का सच्चा नाम है | प्रभु के नाम में ही मनुष्यों की और प्राप्तियों की जीत होती है |
-गुरु नानक | १२७४|
मनुष्य जीवन का कोई भरोसा नहीं , कब दुनिया से रुक्सत हो जाएँ | श्री गुरु नानक देव जी ने बहुत बढ़िया तरीके से समझाया है की मनुष्य जीवन कागजी किला है | इस की सजावट, शोभा, पल-छीन में चली जाती है | यदि छोटी-सी बूंद भी इस पर पड जाए , अर्थात मनुष्य के उपर लगा दाग उस की शक्सियत ख़त्म
कर देता है | प्रभु का नाम ही उसे पाक पवित्र रखता है |१२७४|
मनुष के लिए सन्देश बनता है की मनुष्य विषय- विकारों से दूर रहे | जो मनुष्य विकारों से पार हो जाते हैं, उन पर परमात्मा की मेहर रहती है |
-गुरु नानक |१४१०|
मनुष के लिए सन्देश बनता है की मनुष्य विषय- विकारों से दूर रहे | जो मनुष्य विकारों से पार हो जाते हैं, उन पर परमात्मा की मेहर रहती है |
-गुरु नानक |१४१०|
प्रभु का नाम ही सच्चा तीर्थ है | मन को शुद्ध करने के लिए प्रभु का नाम जरूरी है | प्रभु के नाम के साथ मनुष्य सच्चा सुच्चा बनता है | जिस के साथ उसका जीवन सफल चलता है |
-गुरु नानक | १४१० |
हे मनुष्य ! यह खुबसुरत ऋतू, महीने आते-जाते रहते हैं | मनुष्य अहंकार को त्यागे | प्रभु के नाम वाली खुशहाल ऋतू सदा ही रहती है |
-गुरु नानक | ११६८|SGGS |
वाहिगुरू के सच्चे शब्द के साथ ही भवसागर पार किया जा सकता है | नाम-सिमरन के बिना मंजिल को नहीं पाया जा सकता है |
-गुरु नानक | १११३| SGGS|
सारी सृष्टि , धरती, आकाश, पाताल को उस प्रभु का ही आसरा है | उसके बेअंत गुणों कर के सब को कुछ न कुछ मिल रहा है | जीव- प्राणी जो पैदा किये हैं, उनका वो ही पालन हार है | मनुष्य को अपने किये कर्म उपर घमंड नहीं होना चाहिए क्योंकि सब कुछ प्रभु आप कर रहा है |
-गुरु नानक| १११२|sggs |
गुरु शब्द द्वारा ही मनुष्य उस प्रभु की प्राप्ति तक पहुँच सकता है |
-गुरु नानक| ११११|SGGS |
गुरु द्वारा ही मनुष्य को सही रास्ता मिलता है, जो व्यक्ति, साधक अंतर-आत्मा के साथ भीगा है, वो ही सच्चे नाम का मालिक है |
-गुरु नानक| ११११|SGGS|
-SGGS |
-गुरु नानक| ११०९|sggs|
-गुरु नानक |११०७|
मनुष्य की जिन्दगी की सारी कारगुजारी हवा, पानी, चाँद, सूरज के साथ है | धरती के बहुत उपकार हैं | जिससे जीवन-मृत्यु जुडी हुई है | मनुष्य को पानी, हवा, धरती को नमस्कार करना चाहिए | जिसकी बदोलत हम हैं | उस प्रभु की बदोलत जीवन है, जिस को शुभ अमल, अच्छे कर्मों से गुजारा जाए |
-गुरु नानक |८७७|
दुनिया के सुंदर और प्रतीक नजारे बताते हैं की यदि मनुष्य प्रभु से जुदा रहे तो उसकी जिन्दगी संवर जाती है | मनुष्य की जिन्दगी तो सागर किनारा, कद-पेड़ , अँधेरी, तूफ़ान, (दुःख-तकलीफ) से गिर जाये| इस के लिए प्रभु को याद रखो | मानवता के काम आओ |
-गुरु नानक |८४०|
श्री गुरु नानक देव जी ने बहुत ही सुंदर कुदरती प्रतीक ले कर मनुष्य को समझाया है की जिस तरह सुहावनी बूंद ठण्ड दाल देती है, प्र्र्भु का 'नाम' भी जैसे ह्रदय में ठंडक लाता है | साजन के मिलने से सच्ची प्रीत होती है, वैसे प्रभु के दर्शन से मनुष्य को अधिआत्म्क तृप्ति होती है | मनुष्य को उस प्रभु से सच्चा लगाव होना चाहिए |११०७|
-गुरु नानक |
कद-काठी के ऊँचे व्यक्ति के पास जो गुण नहीं, वो किसी के काम नहीं आता तो वो बेकार है |समाज में उसकी कोई कदर नहीं | जिसका कोई सुख नहीं, वो व्यक्ति भी क्या है ? निचली चीज़ मीठी है तो उस में अच्छाई के गुण होते हैं | निम्रता तथा गुणों वाले इंसान में अच्छाई के सारे तत्व हैं |
-गुरु नानक | ४७०|
सिंबल का पेड़ सुर्ख लाल रंगों से भरपूर होते हुए भी खुशबु रहित होता है | जिस का कोई सुख नहीं होता | आदमी अपनर हरी के नाम को लोगों तक पहुंचाए, भलाई के काम आदि तभी मनुष्य का सच्चा जीवन है |७२८|
-गुरु नानक |
गुरु नानक | १४७|
मनुष्य को भी कुदरत की प्रशंसा करनी चाहिए, उस की मर्यादा में रहे, उसका नाम जपे, जिस ने सारी सृष्टि बनायी है
-गुरु नानक | ११|
मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों के हिसाब से ही सब कुछ मिलता है | आदमी जिस तरह के कर्म करता है, उसको फल भी उसी तरह का मिलता है | मनुष्य नेक कर्म करे |
-गुरु नानक |
वो परमात्मा, कण-कण में विराजमान है तथा कुदरत की सारी हस्ती उसकी कर्पा कारण है | मनुष्य को कुदरत के नियमों तथा अनुशासन से सबक लेना चाहिए | कुदरत दान करती है, दान लेती नहीं | आकाश, धरती, पानी, हवा, अग्नि आदि मनुष्य को दान करते हैं | मनुष्य भी दूसरों की मदद करे |
-गुरु नानक|
जिस परमात्मा ने सारी सृष्टि की रचना की है | सब का पालन हार है, उसको मनुष्य सदा याद रखे तथा उसके नाम में साधना लीन रहे तो ही मनुष्य का जन्म सफल हो सकता है |
-गुरु नानक |४१८|
मनुष्य को खुबसुरत प्रतीकों से समझाया गया है कि धरती जैसा धर्म हो, धर्म दानी हो, निस्वार्थ हो, बस दे ही दे, ले कुछ भी ना , सच्च जैसा धर्म हो, धरती जैसे इसकी पूजा हो, धरती जैसी सहनशक्ति हो, |
सच्चाई को बीज की तरह समझ, जिस तरह बीज धरती से पैदा क्र हरियाली देता है, मनुष्य ! तु भी ऐसा बन | इस तरह की कर्म रुपी खेती कर जो तेरा कर्म शुद्ध- सुखदायक हो |
- गुरु नानक |४२१|
जो साधक, जो मनुष्य उस प्रभु से मिलजुल जाते हैं वो धन्य पुरुष हैं | उनको किसी में कोई फर्क नजर नहीं आता | सब बराबर नजर आते हैं | मनुष्य को सच्चे रास्ते चल कर मानवता को प्यार करना चाइये |
-गुरु नानक |४७१|
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