#InLifeAndDeath
#WeDontHaveAnyPower,
आखणि जोरू, चुपै नह जोरू ।।
जोरू न मंगणि, देणि न जोरू ।।
जोरू न जीवणि, मरणि नह जोरू ।।
जोरू न राजि मालि मनि सोरू ।।
बोलने में तथा चुप रहने में भी हमारा कोई अपना वश नहीं है ।
न ही मांगने में हमारी कोई मर्जी चलती है तथा न ही देने में ।
जीवन में तथा म्रत्यु में भी हमारी कोई सामर्थ्य काम नहीं आती ।
इस राज्य तथा पदार्थ (एश्वर्य आदि का सामान के प्राप्त करने में भी हमारा कोई जोर नहीं चलता जिस राज्य एश्वर्य के कारण हमारे मन में अहंकार का शोर होता है ।
जोरू न सुरती गिआनि वीचारि ।।
जोरू न जुगती छुटै संसारू ।।
जिसु हथि जोरू, करि वेखै सोइ ।।
नानक, उतमु नीचु न कोइ ।।३३।।
आत्मक जाग्रति में, ज्ञान में तथा विचार में रहने की भी हमारी सामर्थ्य नहीं है ।
उस युक्ति में रहने के लिये भी हमारा वश नहीं है, जिस कारण जन्म-मरण समाप्त हो जाता है ।
वही परमात्मा रचना रच कर उस कि हर तरह से संभाल करता है, जिस के हाथ में सामर्थ्य है ।
हे नानक ! अपने आप में न कोई मनुष्य उत्तम है तथा न ही कोई नीच ।
भाव, मनुष्य को सदाचारी या दुराचारी बनाने वाला प्रभु आप ही है, यदि सिमरन कि बरकत से यह निश्चय बन जाये तो ही परमात्मा से जीव कि दूरी मिटती है ।34।
भाव:- सुमार्ग पर चलना या कुमार्ग पर चलना, जीवों के अपने वश कि बात नहीं ।
जिस प्रभु ने पैदा किये हैं, वही इन पुतलियों को खेल खिला रहा है ।
अत: यदि कोई जीव प्रभु का गुण-कीर्तन कर रहा है तो यह प्रभु कि अपनी कर्पा है; यदि कोई इस तरफ से हटा हुआ है तो भी यह स्वामी कि रज़ा है ।
यदि हम उसके दर से देह पदार्थ मांगते हैं तो यह प्रेरणा भी वह स्वयं ही करने वाला है, तथा फिर देह पदार्थ देता भी आप ही है ।
यदि कोई जीव राज्य तथा धन के नशे में मस्त पड़ा है, यह भी रज़ा प्रभु की है ।
यदि किसी की चित्त्व्रती प्रभु के चरणों में है तथा जीवन-युक्ति निर्मल है, तो यह कर्पा भी प्रभु की ही है ।
#गुरुनानक, #जपुजीसाहिब #SGGS
Cont.
No comments:
Post a Comment