Thursday, 22 December 2016

जन्म_मरण_का_चक्रव्यू_और_मुक्ति_मार्ग

#जन्म_मरण_का_चक्रव्यू_और_मुक्ति_मार्ग ।

हमें हमारे इस संसार-समुन्द्र यानि जन्म-मरण के चक्रव्यू से पार यानि मुक्ति के लिये किसी जादू, मन्त्र, योग, व्रत, साधना, तपस्या, बलि की आवश्यकता नहीं है।

इस चक्रव्यू को तोड़ने के लिए,सृष्टि ने ही हमारे अपने अंदर पहले से ही उन सारी शक्तियों से भर रखा है ।

जिन की हमे इस  संसार में रहते परस्पर अपने व्यवहार से प्रदर्शित करना है , जो हमारी इस कर्म भूमि में दिए गए टास्क की उतीर्णता के पैमाने से नापी जाएगी।

वो शक्तियां हमारे अंदर से कब और कैसे निकलेंगी, यह ज्ञान की बात है, और ज्ञान सच्चे गुरु द्वारा दी गई शिक्षा से ज्ञात होगा ।

उस गुरु,उसकी शिक्षा और उस शिक्षा पर आधारित विचारधारा का दूसरा नाम, को हमने सिख धर्म के दस गुरुओं की ज्योत "श्री गुरु ग्रन्थ साहिब" को अध्ययन कर जान सकते है , और वो भी "एक शिष्य" होने के नाते ।

व्यवहारिक रूप में 'एक शिष्य' को जिसका हमारे गुरु द्वारा परिभाषित नाम "सिख" है,को इन्हीं गुरु ग्रन्थ साहिब की विचारधारा के विधान मुताबिक़ चलने वाले को कहा गया है।

बस! अब देखते हैं, आपकी पारखी नज़र इस "गुरु ग्रन्थ" को अध्ययन करने को 'कब' और 'कैसे' प्रेरित करतीहै ।

क्योंकि हम सिखों का मानना है कि इसी विचारधारा पर हम सब के 'एक' होने, इस दुनिया में रहते सामाजिक रिश्ते कायम रखने और आध्यात्मिक जीवन की नई सोच से अपने व्यवहार में व्यापक परिवर्तन लाकर अपनी अगले भविष्य के लिये जो असल में मुक्ति मार्ग है,उसे पाने की कोशिश की जा सकती है ।

##Seriously
Gurmeet Singh Gambhir
:23:12:2016   05:12 AM

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