Monday, 30 July 2012

[प्रकृति का संतुलन]

आज के विज्ञानिक युग में नई पीढ़ी सोचती है कि वह अपने ज्ञान से विश्व को कहाँ से कहाँ पहुंचा रही है । वह प्रकृति के हर रुप को बदलने की कोशिश मे लगी है । हम नदियों की धारा की दिशा को बदलने, वनस्पति को मनच्रहा रुप देने और द...ो भिन्न पौधों को जोड़ कर नई किस्में उगाने की कोशिश कर रहे हैं । जलवायु में परिवर्तन, प्रकृति का दुरपयोग और प्रदूष्ण अपने स्वभाविक चक्र से अपनी क्षतिपुर्ति और पुनर्जीवन लाती है । उसके पीछे एंक सुक्षम संतुलन काम करता है । हमारी दखलंदाजी से यह संतुलन टूट जाता है ।

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