गुरु ग्रन्थ साहिब के अनुसार गुरु नानक जी ने अपनी वाणी में पंडित (पुजारी) को संबोधित करते हुए कहा हैं कि यदि तुम्हारे शास्त्रों के अनुसार कलयुग का समय आ गया है तो फिर तीर्थ, व्रत आदि कर्मकांड का रास्ता छोड़ कर परमात्मा के गुणों का व्यख्यान करना करना चाहिए, जो कि तुम्हारे धर्म शास्त्रों में लिखा है। वैसे भी पिछले तीन युगों के प्रभाव अब समाप्त हो चुके हैं।
इसीलिए हे पंडित जी ! परमात्मा के आगे यही प्रार्थना करो कि "हे प्रभु! यदि कृपा करनी है तो अपने गुणों की कृपा करो, यही प्राप्त करने योग्य है।"
#आख_गुणा (प्रभु के गुण कहो) #कलि_आईऐ (यदि कलयुग भी आया मान लिया जाए)।।
#तिह_जुग_केरा (उन ही योगों का) #रहिआ_तपावसु (प्रभाव समाप्त हो गया है)
#जे_गुण_देहि_त_पाईऐ।। (यदि वो गुण दे तो प्राप्त करें)
#तिह_जुग_केरा (उन ही योगों का) #रहिआ_तपावसु (प्रभाव समाप्त हो गया है)
#जे_गुण_देहि_त_पाईऐ।। (यदि वो गुण दे तो प्राप्त करें)
#SGGS_902.
ਜਿਸ ਅਸਲ ਕਲਿਜੁਗ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਕੀਤਾ ਹੈ ਉਸ ਕਲਿਜੁਗ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਹੀ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਮਨਾਂ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਖੇਡਦਾ ਹੈ ਕਿਸੇ ਖ਼ਾਸ ਥਾਵਾਂ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਖੇਡ ਸਕਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਸਤਜੁਗ ਤ੍ਰੇਤਾ ਦੁਆਪੁਰ ਆਦਿਕ ਸਾਰੇ ਹੀ ਸਮਿਆਂ ਵਿਚ ਉਹੀ ਚੰਦ੍ਰਮਾ ਚੜ੍ਹਦਾ ਆਇਆ ਹੈ, ਉਹੀ ਤਾਰੇ ਚੜ੍ਹਦੇ ਆ ਰਹੇ ਹਨ, ਉਹੀ ਸੂਰਜ ਚਮਕਦਾ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਉਹੀ ਧਰਤੀ ਹੈ ਤੇ ਉਹੀ ਹਵਾ ਝੁਲਦੀ ਆ ਰਹੀ ਹੈ।
(जिस वास्तविक कलयुग का जिक्र हुआ है , वो कलयुग का प्रभाव ही जीवों के मन में खेल खेलता है। किसी विशेष स्थान पर नहीं खेल सकता। क्योंकि सत्य युग, त्रेता, दुआपर,सभी के समय से ही वही चंद्रमा, तारे चढ़ते आ रहे हैं। वही सूरज चमकता आ रहा है, वही धरती है, वही हवा झूल रही है। )
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