#मुखोटा
कुदरत को छोड़ किसी व्यक्ति के शरीर की सुंदरता व करूपता देख कोई पैमाना नहीं बना है मन की गुणवत्ता के सामने, उस व्यक्ति को पहली बार देख-बोल से कभी अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता कि उसकी सोचना, उसके नित्य कर्म, उसके जीवन के नियम-असूल कैसे हो सकते हैं।
वो तो उस संग बिताये पल या उसके सगे-संबधियों से ही पता चल सकता है या उसके किये प्रशंसनीय अथवा निन्दनीय कार्यों की गूंज से, जो कि समाज में आग की तरह फैलते है।
कभी-कभी क्या, अब तो जब कभी भी दुविधा पड़ जाती है कि जो दिख रहा है वो सच है या वो जो सुनाई दे रहा है वो सच । इसका कारण भी है। आजकल कल की प्रयोजित शैली, जिसमें व्यक्ति स्वंय ही अपनी महिमा का जाप या तो ख़ुद करते हैं या पैसे की अत्याधुनिक मीडया मार्फ़त करवाये जाते है। जिससे असलियत का अंत पाना मुश्किल हो जाता है कि सच क्या है?
यह तो ऐसे हुआ कि जैसे एक व्यापारी किसी विपदा में फंस जाने पर उससे बच जाने की प्रार्थना करते व उससे बच जाने पर वो अपने गुरु जी को भेंट स्वरूप कुछ उपहार देने गया तो व्यापारी ने देखा कि आगे उस गुरु स्थान के आगे पीछे बीस-बाइस तरह के पाखंडी लोग उसके गुरु जैसा वेश बनाये बैठे थे तो उसे एक चाल खेल कर अपने गुरु की शिनाख्त करनी पड़ी।
ऐसा ही नये से नया ढंग जो लोग जनता को बेवकूफ बनाने के लिए अपनाते हैं । जैसे एक बार किसी ने आपको कहा कि कि एक ऐसी जगह है जहां आपको अपने मन पसन्द का खाना मिलता है, पर वहां जाकर आपने देखा कि उस स्थान पर उसी नाम की कई दुकानें खुली पड़ी हैं। जिससे आप परेशान हो गए। यहां यह तो हो नहीं सकता कि आप हर दुकान पर जाकर उस विशेष व्यंजन का स्वाद चख सकें। बस आप मन मसोस कर वापिस आ गए।
कहने का मतलब यह है कि हमें किसी के मन की सुंदरता को परखने के लिये समय लेना होगा। अचानक या पहली दृष्टि से किसी को मानना, पाना , या उस पर विश्वास कर लेना मुश्किल ही नहीं , नामुमकिन है। cont...
#Seriously
Gurmeet Singh Gambhir III
210618
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