*Countdown*.
जैसे कि हम सब देख रहे हैं कि पेट्रोल-डीजल का दाम आसमान छू रहा है यानि सौ के नज़दीक पहुचने को है। तो अब हमारा ध्यान उस के इस ग्राफ से हटता जा रहा है। कि ऐरो का निशान कितना ऊपर को गया, बल्कि अब हमारी नज़र उस हंड्रेड पर टिक रही है कि कब वो ऐरो उस निशान को छूता है।
ऐसे ही जब महामारी के शुरुवाती दिन थे तो हम पहले अंतराष्ट्रीय ग्राफ को देखते थे। फिर इंडिया के ग्राफ पर ध्यान गया फिर जब धीरे धीरे अपने शहर के नज़दीक आया तो नज़र गिणती पर टिक गई। जब गिनती लाख तक पहुचने लगी तो लगा कि कुल मिलाकर करोड़ लोग सकर्मित तो जरूर होंगे। मतलब मेरा कि गिनती उल्टी चलती नज़र आई कि अब पिछला रिकॉर्ड टूट कर राउंड फिगर पर आया कि आया।
यही बात हमारा गाड़ी के सफर के दौरान होती है कि सफर शुरू होते समय डिस्टिनेश की दूरी पर ध्यान रहता है फिर सफर खत्म होते होते ध्यान बाकी बची नज़दीकी पर चला जाता है।
बिल्कुल यही प्रोसीजर हमारी लाइफ का है कि शुरुआत हंसी खुशी से हुई कि सफर बहुत लंबा है और जिंदगी बहुत बड़ी। पर पचास पचपन से यही सफर काउंट डाउन होने लगते ही अपने अंदर की चिंताएं शुरू हो जाती हैं कि अब सफर पूरा हुआ कि हुआ।
*Seriously*
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