रोज रोज के झगड़ों से तारीख़ भली;
वो लोग बेवकूफ नहीं है या थे जो कहते रहे हैं कि जो झगड़ेलू मसले जिनकी चिंगारी जब तक कायम है या जो हल न हो पा रहे हों उन्हें चिंगारी बुझने तक यानि वक़्त पर पेंडिंग छोड़ देना चाहिए।
हम भी जब प्रोपर्टी टाइप के अपने मसले कोर्ट ले जाते हैं तो वो भी हाथों हाथ कोई जजमेंट पास नहीं करते, एक 'स्टे' मिलता है और साथ मिलती है लंबी तारीख।
जिसने भी उन पेंडिंग केस जल्दबाजी में अपनी दखलन्दाजी की है , दूसरी पार्टी के साथ अपना भी नुकसान पाया है। इन छह सालों में छह पेंडिंग फ़ाइल के क्या निभटारे हुए ये हम जानते है। उल्टा नुकसान ही पाया है।
कोर्ट कचहरी के सभी मामलों पर कोई नज़र मारे तो अधिकतर प्रोपर्टी मसले थक हार कर पार्टियों ने आप ही बैठ कर निभटाये हैं कोर्ट के समझाने पर वर्ना दशक बीत जाते हैं।
ऐसे मसलों को जबरदस्ती छेड़ने का कारण या तो किसी दूसरे मसले से ध्यान डाइवर्ट का होता है या यूँही किसी को पंजाबी में कहते है न "खुर्क" उठती है कि बंदा रह नहीं पाता।
#Seriously
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