Sunday, 4 July 2021

जिंदगी का फलसफा।

जिंदगी का फलसफा।

यदि हम कहें कि हमें अपना नया व्यापार चलाने को कैपिटल मनी के लिए किसी की मदद की जरूरत है तो वो एक पहली सोच ही गलत होगी कि इससे व्यापार चल निकले गा। 

उसके लिए हमें पैसा ब्याज पर लेना होगा। इससे पहला लाभ तो यह होगा कि व्यापार चलते ही मूल और ब्याज दोनों के वापिस करने की नीयत बनी रहेगी, 

दूसरा लाभ यह होगा कि व्यापार ध्यान से होगा कि कोई नुकसान न हो। न उधारी पैसा इधर उधर लगेगा, न वस्तु घटिया क्वालिटी की होगी कि समय की अवधि से अधिक बची न रहे। 
अवधि से मतलब वस्तु खाने की है तो बासी न हो, यदि वस्तु सीज़न के हिसाब से ही तो उसी मौसम में बिक जाए। जिससे मूल तो जाएगा ही ब्याज भरने लायक न रहेगें।

पैसा ब्याज पर लेने को भी जो प्रकिर्या है उसमें भी शर्त होती है कि या तो कर्ज़ के अमाउंट के बराबर की कोई महंगी वस्तु हो, या उस बराबर की वैल्यू रखते व्यक्ति की लिखित गारंटी।

 क्योंकि फाइनेंस के व्यापार में लगे लोग अपनी तरफ से कोई रिस्क नहीं उठाते। यदि कोई धोखा दे जाए तो बात अलग है। पर धोखा भी कोई जानबूझ कर नहीं खाता । उसी के विभाग का ही कोई कर्मी कर्ज़ लेने वाले से मिला होता है या फिर कर्ज़ लेने वाले की चालाकी , जिससे ऐसे धोखे हो जाते हैं।

बात हो रही थी कि कर्ज के अमाउंट के बराबर की गारंटी की। आम आदमी चाहे तो न उसके पास मूल होता है न गारंटी। व्यापार के अतिरिक्त और भी कई डिपार्टमेंट हैं जिसमें पैसा ही पैसे को खींच पाता है। 

ये तो रही धंधे की बात। अब आते हैं इसी पैसे के विरोधी "प्यार' की, जो ये सब लेन-देन, घाटा-नफा नहीं देखता। या यूं कह लीजिए कि प्यार अंधा होता है। पर जिस प्यार में धंधे की बात होती दिख जाए तो वो भी एक धोखा है जो दोनों पक्षों में से कोई एक तो दे ही रहा होता है।

जिस प्यार की मैं बात कर रहा हूँ वो भी जरूरी नहीं कि केवल प्रेमी-प्रेमिका अथवा पति-पत्नि के संबध का हो । इसमें पक्के मित्र, सगे सम्बधी, सभी जज़्बाती रिश्ते आ जाते हैं जो प्यार व विश्वास से बचपन से जुड़े हैं।

इन जज़्बाती रिश्तों से घायल या ठुकराए हुए लोग पानी तक नहीं मांग पाते। जबकि व्यापारी लोग जैसे तैसे देर सवेर फिर से उठ खड़े होते हैं क्योंकि उन्होंने अपने बच्चे पालने होते हैं। पर प्यार व विश्वास से टूटे लोग  अपनी जिंदगी के नजारे तक गवा बैठते हैं।

बेशक उनके पास पैसा, जमीन जयदाद, शोहरत की कमी न भी हो पर वो आत्मिक सुख व शांति उनसे बिछुड़ चुकी होती है जिसके दुबारा मिलने के चांस न के बराबर होते हैं।

तब उन्हें एक अदद चीज़ की जरूरत होती है वे है सावंतना से भरी बातचीत, जो उन्हें सहनशील बनाए रखे। पर जो मिल सकती है अपनों से । वो अपने बेशक उनके मामले न सुलझा पा रहे हों पर  सहानुभूति के दो शब्द जरूर बोल कर उन दुखी आत्माओं को दो पल की खुशी ला सकते हैं। 

#SERIOUSLY

No comments:

Post a Comment