मेरा स्वार्थ
आज जब लिखने बैठा हूँ तो नहीं मालूम कि विषय क्या रहेगा। वो भी उस मूमेंट तक कि कीबोर्ड सामने है और मेरी उस पर दौड़ने को तैयार फिंगर्स, जो अपने ऊपर पड़ने वाले दिमाग द्वारा जारी निर्देश के इशारे को भांप रही हैं जैसे को रेस लगाने को तैयार खिलाड़ी जिसे एक ग्रीन लाइट वाली वेटिंग क्लोज्ड वाली विसल का।
तो आज बात करता हूँ अपनी, जिसे समय बिताने को करना है एक काम, जो मेरा एक दिन और बिता दे, वो भी खुशी-खुशी इस डिजायर के साथ कि घर व बच्चों के काम में कोई विघ्न न हो, कोई बैड न्यूज़ न आए।
बहुत समय से मेरी एक समस्या है कि एक तो मेरी नींद कम हो गई है दूसरा, जो है भी, वो नींद तीन चार टुकड़ों में बंट-सी गई है। जिससे शरीर में जो एवरेज नींद का रिलैक्स व फ्रेशनेस होती थी वो अब नहीं रही।
भला हो अपनी पढ़ाई-लिखाई की योग्यता का जो समय रहते कंप्यूटर-मोबाइल से काम करना सीख लिया कि जिसने जब चाहे नींद खुलने व खाली बैठे कुछ सोचने के बजाय सोशल मीडिया के साथ अपडेटेड हो लेते हैं। जिसके लिए न केवल देर सवेर किसी घर के सदस्य को डिस्टर्ब होता है और न हीं किसी पड़ोसी का डोर खटखटाने व रिलेटिव को मिलने जाने पर महंगे फ्यूल का खर्च।
जब चाहा मोबाइल से अपने मित्र-सगे संबधी से संपर्क बना लिया। यदि एक बिजी होगा तो दूसरा तो फ्री हो ही सकता है न!
मेरे लिए लिखने को चाहूँ तो बहुत कुछ है पर यदि पढ़ने वाला इंटरेस्ट न ले तो अधिक लंबा लेख नहीं लिखना मजबूरी बन जाता है। उसके लिए थोड़ी थोड़ी देर में लाइक व कमैंट्स पर नज़र जाना भी एक स्वार्थ होता है, पर क्योंकि यह स्वार्थ किसी पैसे या प्रोफेशन के साथ नहीं जुड़ा है तो निश्चिन्त हो जाता हूँ कि आपसे रिक्वेस्ट करके मैं कोई पाप नहीं कमा रहे हूं। यदि मुझे अपने विचार बदलने की भी जरूरत है तो कोई भी फ्रेंड बताने में हिचकिचाए नहीं। स्पष्ट कर दें।
#Seriously
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