Monday, 12 July 2021

जिज्ञासा

#जिज्ञासा
जिस सदी में हम जी रहे है, मैं नहीं समझता इससे पहले जो हमारे पूर्वज पिछली सदियों में जीकर गए हैं, ने इस जैसी बेहतर जिंदगी देखी होगी। बेशक उनके समय में उनसे पिछले वालों से बेहतर हो। बात हो रही है तकनीक की। तरक्की तो हुई पर बहुत धीमी रफ्तार से कि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन की यात्रा में उस ख़ोज को पूर्ण रूप से नहीं देख  पाया, बेशक वो जीया भी अनुपात से ऊपर उठ कर हो।

पर आज के समय में जिसे हम नया युग भी कह सकते हैं, की आधुनिक प्रणाली जिस स्पीड में विकसित हुई कि माना जा सकता है कि जिस किसी ने उस व्यवस्था की खोज की उसका लुत्फ भी उठाया। नहीं तो जो हमारे पूर्वज कर गए उनके साथ तो 'दादा खरीदे, पोता इस्तेमाल करे' की कहानी बनी।

क्या आप जानते हैं इस विकास का मुख्य कारण क्या हो सकता है? वो है ज्ञान का प्रकाश। जो इस समय के लोगों को शिक्षा से आया। वो शिक्षा जो मिली उसका क्रेडिट न केवल उन लोगों को जाता है जो प्रेरणा बने बल्कि उन लोगों को भी जाता है जिनके उठाये जाने अनजाने वो कदम थे जिनसे नए युग के विद्यार्थियों में जिज्ञासा बनी कि जो वो हमें पिछली ऐतिहासिक कथा कहानियां सुना रहे हैं   वो तर्क हीन हैं।

आज का विद्यार्थी (विद्यार्थी इसलिए क्योंकि  उसे अपने जन्म लेते ही गोद कम कैमरे की क्लिक अधिक सुनाई दी, व चहरे की जगह दिखी स्क्रीन, चाहे वे मोबाइल की हो या टी वी, जिन्होंने उसे जिज्ञासु बनाया) अपनी आंख खुलने पर अपने बचपन में मिट्टी आटे के खिलौनों से नहीं खेला। उसको जो खिलौना हमने उपलब्ध करवाया वो पुर्जो से बना था। उस बच्चे को जिज्ञासा में उस खिलौनें के रंग डिज़ाइन को प्रेफर नहीं किया बल्कि वो मूवमेंट क्या कर रहा है, उस पर ध्यान गया। फिर जिज्ञासा जागी उसके अंदर से आती आवाजों की, फिर जागी तमन्ना उसे खोल कर देखने की कि आखिर वो हिलडुल कैसे रह है।

जबसे हम सब मे लॉक डाउन की आदत पड़ी है न केवल हम ऑनलाइन  की निर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं बल्कि हमारे बच्चे  जो दोस्त, रिश्तेदार,स्कूल, मैदान, पार्क जैसे लोग व जगह तो भूल ही गये हैं जहां एक दूसरे से मिलना ,छूना, खेलना, पढ़ना, बातचीत करना जैसी एक्टिविटी से कुछ अलग किस्म का ज्ञान मिलता था। जो पढ़ाई से अलग ही है।

Cont...
जुलाई 13, 2021
#Seriously

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