Friday, 21 April 2017

भगत कबीर जी के श्लोक (14)

कबीर;
जह जह° हउं फिरिओ,
कउतक ठाउ ठाइं।।
इक राम सनेही, बाहरा*,
ऊजर मेरै भांई।।१४।।
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*जह /जहां/Wherever, कउतक/कौत्तक/Wonders, सनेही/प्रेमी,भक्त/Devotee, बाहरा/बिना/Without,
*उजर/उजाड़/Wilderness,
हे कबीर,मैं जहां जहां भी गया ,प्रत्येक जगह पर दुनिया के रंग तमाशे देखे, पर मेरे प्रभु से प्रेम करने वाले भक्तों के बिना सारी दुनिया,जंगल  उजाड़ ही दिखती है, क्योंकि यहां सभी जगह माया के भौतिक पदार्थों का वास है, धर्म का कोई निशान नहीं।
Wherever I go, I See Wonders Everywhere, But Without The Devotees of The One Lord, It is all Wilderness. Kabeer Says

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