'राम पदारथ' पाइ कै ,
"कबीरा, गांठि न खोल।।
नही पटण, नही पारखू,
नही गाहक,नही मोल।।२३।।
इस श्लोक में भक्त कबीर जी अपने आप को समझाने की चेष्टा में कहते है कि "हे कबीर, यदि तुम्हें परमात्मा का नाम रूपी खज़ाना मिल गया है अथवा यदि तुम नाम भक्ति से उस अवस्था में पंहुच गए हो कि तुमने प्रभु को पा लिया है, तो इस संसार में जगह जगह इस बात का ढिंढोरा मत पीट, क्योंकि इस दुनिया रूपी बाज़ार में न कोई पारखी है, न कोई ग्राहक,और न ही कोई इस नाम रूपी पदार्थ का मूल्य ही पा सके। कारण हर कोई इस दुनिया के मोह पदार्थों में इतना मस्त है कि इनमें से किसी को इस अमूल्य वस्तु की कोई क़दर नहीं ।
O Kabeer, The Treasure of The Lord's Name is obtained But do not undo its knot.There is no market to sell it. No appraiser.No customer &Noprice.
Thursday, 27 April 2017
भक्त कबीर जी के श्लोक (23)
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