कबीर;
ता सिउं प्रीति करि,
जा को ठाकुर 'राम'।।
पंडित,राजे,भूपती,
आवहिं कउने काम।।२४।।
हे कबीर, उस मनुष्य से दोस्ती कर, जो अपना अधिकतर समय सत संगियों के साथ उस परमात्मा की याद में, जो हमारा प्रित पालक है, गुज़ारता है। इसके अतिरिक्त स्वंय ज्ञान का पंडित,अच्छी पदवी वाला व्यक्ति, या करोड़ों की जमीनों का मालिक,उस वक्त किसी काम नहीं आएंगे। जैसे कि पिछले श्लोक में कबीर जी ने 'राम पदार्थ" के व्यापारी से ही अपनी खरीदारी कर, जिसने कि अंतिम समय तक अपनी सांझ बनाए रखनी है।
Be in love & friendship with only that one, whose Master is the Lord.
The Pandit, (The Religious Scholars) Kings, Landlords--what good is love for them? #Kabeer_Says
Friday, 28 April 2017
भक्त कबीर जी के श्लोक (24)
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