Monday, 2 October 2017

जिंदगी के मौसम चार.....

जिंदगी के मौसम चार...
हम सभी जानते हैं कि एक पूर्ण वर्ष चार अलग-अलग मौसमों में बंटा हुआ है ।1. सावन 2. बसंत  3 पतझड़ 4. बरसात ।

जिसमें पतझड़, हर साल में इस ब्रह्मांड की शुरुआत के बाद से होते आए हैं, इस कुदरती चक्र के दौरान कुछ पेड़ों की मृत्यु हो जाती है और कुछ नए पेड़ उग आते हैं, लेकिन एक शक्ति जिसे भगवान कहा जाता है, द्वारा बनाई गई प्रकृति यूँ ही चलती रहती है और कोई भी इस चक्र परिवर्तन को रोक नहीं सकता है।

इसी तरह हमारेे जीवन चक्र के परिवर्तन में यही एक ही सिद्धांत  काम करता है, कि हमारा अपना जीवन चार अलग-अलग हिस्सों में विभाजित है बचपन, युवा, बुढ़ापा और आखिरकार मौत।

जन्म के इस वर्तमान चक्र की तुलना में हमारे से पास्ट और भविष्य में पुनः शुरू होता आया है नया व पुराना जन्म और पुनर्जन्म के इन सभी चक्रों के दौरान हम सभी लोग, प्रकृति और अन्य जीव एक दूसरे से इस यात्रा  के दौरान मिलते रहे हैं।

अभी इस वर्तमान जीवन में यह हमारा अपना कर्तव्य है कि जीवन के इन परिवर्तनों को प्रकृति के रूप में और सुंदर बनाना है। जब हम फिर से किसी अन्य जीवन में परिवर्तित हो जाते हैं, तो हमें इस परिवर्तन से  नफरत या डरना नहीं  चाहिए क्योंकि प्राकृतिक तत्व हम सभी के लिए सहयोग करते हैं। 

यदि हम इस जीवन में कुछ अपवित्र अथवा अप्रकृतिक करते हैं तो यह हमें सोच के रखना चाहिए कि हमारा अभी का बाकी व अगला जीवन दूषित हो जाएगा।
अब भी बहुत समय है कि पर्ण कर सकें हमें अपनी अगली यात्रा के लिए अपनी ज़िंदगी सुंदर बनाना 


  

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