Wednesday, 4 October 2017

गरीबी और पिछड़ापन

गरीब और पिछड़े पन वाले परिवारों से बहुत से समाज और राजनीतक दल वाले अव्मान्नीय व्यहवार करते हैं, जिनसे ये वर्ग बहुत दुखी है /
हमें यह मानना होगा कि  किसी पूर्व नियोजित योजना के तहत इन वर्ग के लोगों का बड़ी संख्या में अशिक्षित होना,   शासक, समृद्ध, और शक्तिशाली लोगों की सेवा के लिए रखा गया है /

 एक बार नहीं कई बार इन परिवारों की  गरीबी और पिछड़ेपन की निंदा की गई है , पर उपरोक्त तरह के तीन लोगों ने समाज की जनता और अपने समर्थकों में  इस तरह से ज़ाहिर होते हैं कि ये इस देश में गरीबी और पिछड़ेपन के जन्म और इनकी व्रद्दी से इतने गहरे स्तर तक दुखी हैं कि पूछो ही मत/
देश की स्वतंत्रता और हमारे देश के बने  लोकतंत्र, के पिछले सत्तर सालों से इनका  जीवन स्तर को बदला नहीं जा सका है , यही नहीं इनका राजनीतिक लोगों ने इनकी ग़रीबी और पिछड़ेपन का नाजायज़ इस्तेमाल, झूठे  वादों, आश्वासन देने, तथा  वोट पाने के लिए किया। पिछले सात दशकों के दौरान किए गए दिखावे के सभी प्रयासों से गरीब लोगों की संख्या और पिछड़े लोगों की संख्या में वृद्धि ही होई है /
 आज तक इनके लिए कोई आकलन नहीं किया गया है और न ही कोई मापदंड बनाया गया है  कि इन पीड़ित परिवार में आने वाली न्यूनतम आय क्या होनी चाहिए, जिसके साथ वे गरीबी और पिछड़ेपन से बाहर आ सकते हैं। सत्ता में रहने वाले लोगों को  लगातार हो रही खा ने पीने की वस्तुओं की  कीमतों में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए, इनकी आय के स्तर में भी वृद्धि होनी चाहिए, लेकिन फिर भी हमारे समाज का बड़ा हिस्सा दोनों वर्गों को समाप्त करने की कोशिश कर रहा है /
इस विषय पर बहुत ही गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है  कि किसी प्रकार भी इन गरीब और पिछड़े पन के वर्ग को एक स्वतंत्र और एक लोकतांत्रिक देश में जीवन जीने का अधिकार मिलना ही  चाहिए।

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