Friday, 17 November 2017

ईर्षा व द्वैष

खुशी को कायम रखने के लिये दूसरों से दुर-व्यहवार न करें वर्ना पीड़ा-दुख का पथ खुलेगा,व उसके लिये सोची बुरी बात स्वंय पर घटित हो सकती है।
...ऐसा मनोवैज्ञानिक कहते हैं।
किसी का बुरा चाहना, बुरा सोचना, हमें प्रसन्न नहीं रख सकता।
ईर्ष्या और द्वैष की अग्नि में जलते रहने वाला व्यक्ति के चहरे पर सदैव मैलापन (dinginess) नज़र आएगी और  एक बिना कहे जाने वाली बेचैनी छाई रहेगी। तीसरा लक्षण उसका तनावग्रस्त रहना है।

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