यह जीवन क्या है?
इस दुनिया के सभी बुद्धिजीव व महा पुरुषों के लिखे व कहे अंतिम शब्दों को भी जाने, तो उनका भी यही आखिरी निष्कर्ष है कि "कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को सही रास्ते पर डालने की प्रत्येक प्रकिर्या में आखिर असफल ही रहा है।
आइये, उनके इस निष्कर्ष तक पहुंचने की प्रकिर्या और इस नतीजे के कारणों की समीक्षा करें।
इसमें कोई दो राय नहीं कि सारा ब्रह्मांड (universal) एक शक्ति द्वारा बनाया गया है । जो भी आगे आया उसने इस माह शक्ति को विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नाम दिये। और साथ में मनुष्य ने यह भी एक मनोकाल्पनिक तथ्य तैयार किया कि एक शैतान भी है, जो उसको बुरे काम की ओर प्रेरित करता है। यही कारण है, यह आदमी अक्सर बुरे कामों में लिप्त है।
मनुष्य ने एक और विश्वास बनाया कि जो लोग पाप (बुरे काम) करते हैं उन्हें सर्वशक्तिमान द्वारा मरने के बाद दंडित किया जाता है। और जब सभी लोग मरते हैं, तो उन्हें उस शक्ति (भगवान) के न्यायालय में पेश किया जाता है, फिर मनुष्य के पूरे आचरण की जांच की जाती है और अंतिम निर्णय लिया जाता है।
अच्छे आचरण वाले मनुष्य स्वर्ग में आनंद लेने के लिए भेजे जाते हैं और बुरे आचरण नुमा रिकॉर्ड वाले मनुष्य नरक को पीड़ित करने के लिए भेजे जाते हैं।
बाद में, हमें यह भी बताया गया है कि धरती पर लगभग चौरासी लाख (84 Lakh) नस्ल के जीव रहते हैं। इस दुनिया में और गलत रिकॉर्ड वाले लोगों को इस धरती पर और फिर से विभिन्न प्रकार के जीवों की जुन में भेजा जाता है जिससे उन्हें इन जन्मों में आने की प्रताड़ित अवस्था से निंदा व पश्चाताप हो, और वो आगे से सावधान रहें।
इन विभिन्न धर्मों द्वारा पाप और पुण्य के नतीजे का कुछ इस तरह का वातावरण मिला है ।और यह भी पौराणिक इतिहास है कि धर्म विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग समय पर जन्म ले रहे हैं बेशक इनके यही नाम अलग-अलग हैं, लेकिन वास्तव में इनका कारण बुनियादी अवधारणाएं एक समान होना है।
विभिन्न समय पर आये बहुत से धर्म सुधारकों ने इन मानकों को सुधारने की कोशिश भी की, पर जब यह पाया गया कि शैतान ऊंचे पक्ष व स्तर पर क़ाबज़ है। कोई भी धर्म मनुष्य को सुधारने व नियंत्रित नहीं कर सकता है, तब शासकों ने पापऔर दुष्कर्म की सभी सूचियों को अपराधों और आपराधिक कदाचारों में परिवर्तित करना शुरू कर दिया । जिससे इन दूषित व्रती के लोगों को इस धरती पर ही दंडित करना शुरू कर दिया और इन सभी को सज़ा के लिये पुलिस,न्यायालयों और जेलों की इसी धरती पर ही स्थापना की।
लेकिन फिर भी आजतक इन सुधार के कानून की प्रक्रिया जारी है, पर ऐसा लगता है कि शैतान प्रवर्ती के लोग अभी भी उच्च पक्ष और ऊंचे स्तर पर स्थापित हैं और इनको सुधारने की प्रकिर्या में जेल की सज़ा, यहां तक कि मौत की सजा भी पूरी तरह से कामयाब नहीं कर सकी है।
अब इस मनुष्य ने कई नये प्रकार के अपराधों और भ्र्ष्टाचार के स्रोत्र बनाये हैं और पुराने वाले भी अभी भी सृजन प्रक्रिया में हैं और छिपाने की प्रक्रिया भी है।
अगर सभी पाप, अपराध और मनुष्यों के भ्रांतियां सामने भी आ जायें तो भी यह समाज सुधारक, पुलिस, अदालतों और ये जेल , फांसी तक न्याय के इस प्रशासन से निपटने की स्थिति में नहीं हैं।
दलीप सिंह वासन, एडवोकेट,
101-सी विकास कॉलोनी, पटियाला-पंजाब-भारत -147001
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