Tuesday, 9 October 2012

महंगाई


महंगाई की असल मार उन लोगों पर पड़ती है जिनके पास इसके विरोध और अनशन के लिए टाइम ही नहीं है, उनके लिए वो टाइम बहुत कीमती है / और जो लोग अनशन इत्यादि में वक्त जाया करते हैं वो या तो एक खाली बैठने के शौकीन लोग हैं या मौकापरस्त / क्योंकि महंगाई के साथ रोजगार के अवसर भी बहुत हैं, बस आवश्यकता है मेहनती लोगों की /

बीस-पच्चीस वर्ष पहले जो व्यक्ति ५०००/- रूपए मासिक वेतन पाने से सुखी था, आज वह ६००००/- तनखाह से भी नाखुश है / क्योंकि वो व्यक्ति अपनी आमदन का ५० % खर्च अपनी सम्पन्नता और दिखावे के लिए कर रहा है /


महंगाई उन लोगों के किये है जो दो टाइम भोजन के लिए दैनिक मजदूरी करते हैं न की उनके लिए जिन्होंने अपनी सात पुश्तों की रोजी-रोटी का ठेका ले रखा है/
  • महंगाई उन लोगों के किये है जो दो टाइम भोजन के लिए मजदूरी करते हैं न कीउनके लिए जिन्होंने अपनी सात पुश्तों की रोजी-रोटी का ठेका ले रखा है/


    जब तक हम स्वयं अपने घर पड़ा जरूरत से अधिक सोना और जरूरत से ज्यादा खाली जमीन का मोह नहीं छोड़ेंगे या वह वस्तु जिनकी कीमतें आसमान छू रही हैं, महंगाई का स्तर गिरना असंभव है/यह भी एक किस्म की जमाखोरी है/

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