कभी आप खाली समय किन्ही अनगिनत नोटों की गडी लेकर उसकी गिनती करते हुए १०० की गिनती तक गिनें और हर गिनती के साथ-साथ अपने इष्ट का नाम भी ले | यदि आप की गिनती और प्रभु का नाम लेते गडबडाते नही हैं तो आप में प्रभु के मिलन की क्षमता ओरों से अधिक है वर्ना अभ्यास जारी रखिए |
संसार में संतों, महात्माओं, उपदेश देने वालों कि कमी नहीं है, परन्तु अपना कल्याण करने में हमारी स्वयं कि लग्न एवं श्रद्दा ही काम आती है |
जो व्यक्ति पूर्ण आस्था व श्रद्दा के साथ अपने इष्ट प्रभु का स्मरण करता है, बड़ी से बड़ी शक्ति भी उसका अहित नहीं कर सकती |
आत्म तत्व का साक्षात्कार किया हुआ व्यक्ति ही सच्चा गुरू कहलाने लायक है | वही हमारी जीवात्मा को परमपिता परमात्मा का रहस्य बता सकता है | इस गुण का धारणी शत-प्रतिशत गुरू नानक देव जी है
कभी हमने सोचा है कि मन्दिर-गुरदवारे में बजाई जाने वाली ढोलकी या तबला किसी जानवर की चमड़ी से बनाया जाती हैं । और इन्हें बनाने वाले लोग निम्न जाति के समझे जाते हैं ।
छुआ-छूत को मानने वाले लोग तथा आपस में भेद-भाव रखने वाले लोग इस स्पर्शता को क्या कहेंगे ?
क्या कभी हमनें सोचा है कि जब हमारे किसी नजदीकी सगे-सम्बंधी का अंतिम समय आता है, तो हमारे बड़े-बूढे उस जा चूके मनुष्य का बोरिया-बिस्तर, पहने हुये कपड़े घर से बाहर रखने को क्यों कहते हैं ?
या फिर उस शरीर पर पहने हुये कीमती गहनें तथा उस द्वारा छोड़ी गई जमीन-जयदाद को भी फैंक देने को कयूँ नही कहते ?
महंगाई की असल मार उन लोगों पर पड़ती है जिनके पास इसके विरोध और अनशन के लिए टाइम ही नहीं है, उनके लिए वो टाइम बहुत कीमती है / और जो लोग अनशन इत्यादि में वक्त जाया करते हैं वो या तो एक खाली बैठने के शौकीन लोग हैं या मौकापरस्त / क्योंकि महंगाई के साथ रोजगार के अवसर भी बहुत हैं, बस आवश्यकता है मेहनती लोगों की /
बीस-पच्चीस वर्ष पहले जो व्यक्ति ५०००/- रूपए मासिक वेतन पाने से सुखी था, आज वह ६००००/- तनखाह से भी नाखुश है / क्योंकि वो व्यक्ति अपनी आमदन का ५० % खर्च अपनी सम्पन्नता और दिखावे के लिए कर रहा है /
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