हम जब अपने PC में कुछ फीड कर सेव करते हैं तो उम्मीद रखते हैं कि जब कभी जरूरत होगी वो हमारे द्वारा दिये कमांड से हूबहू सामने रख देगा।
पर जब हम अपने मस्तिष्क में कुछ भरते हैं तो पक्का नहीं कि वास्तव में हमें जब जरूरत होगी, सामने लाएगा या नहीं।
कारण क्लियर है कि मनुष्य के दिमाग के साथ मन जुड़ा है। उस मन में जज्बात व भावनाएं होती हैं।
यह भावना अकेली कमांड से नहीं चलती। वो इसमें कुछ अच्छा या बुरा क्या है कि असल जानकारी जोड़ती है। वो जानकारी हमे अपनों से मिले ज्ञान से मिलती हैं जो आगे चलकर संस्कार को साथ लेकर जुड़ती हैं।
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