Tuesday, 31 January 2017

मन (psyche)

#मन (psyche)

गुरु को #तन और #धन, #मन को फॉलो करते है। यदि 'मन' समर्पण हो तो तन और धन सौपना कठिन नहीं है, मुश्किल मन सरेंडर करने में  ही है, पर सिख का प्रथम धर्म  मन को #गुर_अर्पण (Surrender) करना है । गुर अर्पण होते ही मन सहज ही निर-आकार निरंकारी हुक्म को समझ लेता है, तथा अपने जीवन #रास (आनंदित )कर लेता है ।

"मन बेचै सतिगुर के पासि।।
तिस सेवक के कारज रासि ।।"

मन', संकल्पों-विकल्पों की एक पोटली है। यह आत्मा तथा #हउमै (Ego) का मिश्रण है इसीलिए इसके सारे काम हउमै के अधीन पैदा होते हैं , ख्याल मन में ही आते हैं । यदि ख्याल मात्र ही मन को निरंकार  के अर्पण कर दें तो मन सहज स्वभाविक ही भेंट हो जाता है । ख्याल, स्वभाविक ही दूसरा नाम #भाणा_मनणा यानि रज़ा में रहना है । रज़ा में ही रहने का आंतरिक भाव हुक्म समझना है । हुक्म समझ पाना ही अपनी हउमै (ego) का अभाव है। इसी को ही #आपा_निवारन (Self-Control) यानि अपने पर प्रतिबंध और #हउमै_मेटणा (अहंकार मिटाना) कहा जाता है । जब हउमै मिट जाए, तब फिर;-

Monday, 30 January 2017

His Command Can't be Described.

#हुकम_न_कहिआ_जाई' (Part-3)
His Command Can't Be Described.

...पर जो 'हुकम न कहिआ जाई' है, समझा (बुझा) कैसे जाए?

यह #Ego (हउमै) से पैदा हुई है तथा  हुक्म समझने-बुझने से मिट जाती है ।
हुक्म को बुझना भी #दुखभंजन (Breaking Sorrow) है तथा #आंनद प्रदान करती है ।
तो फिर #हुकमी_बन्दा (Slave Person)बन कर हुक्म को बुझना ही रियल में सुखी होना है ।
इस परमात्मा में परात्म ने अपनी #हूँ को मिटाना है, अपना तन, मन सौंपकर, Surrender करना है।
हुक्म मानना तथा अपने पति-परमेश्वर पर #Sacrifice (क़ुर्बान) होना है, #सिख_मार्ग यही है;-

तन मन धन सभ सऊपि गुर कऊ,
हुकमि मंनिम पाईऎ।।

Cont..

Without the Guru's No Spirituous-Wisdom.

Water Remain Confined with The Pitcher,
But Without The Water, The Pitcher couldn't hv been Formed.

Just So,
The Mind's Restrained By Spiritual Wisdom,
But Without The Guru, There is No Spiritual-Wisdom.

जैसे,पानी घड़े (बर्तन) में ही पड़ा रह सकता है, पर पानी के बिना मिटटी का बर्तन नहीं बन सकता ।
तैसे, गुरु के ज्ञान (शिक्षा) से बंधा मन,एक स्थान टिकाव बना लेता है।
विकारों की ओर नहीं दौड़ता तथा गुरु के बिना ज्ञान पैदा नहीं होता ।


Sunday, 29 January 2017

The One Lord's The Divine Lord of all.;

The-One-Lord Krishna is
The-Divine-Lord of All;
He is The-Divinity of
The-Individual-Soul.

Nanak is Slave to Anyone,
Who Understands This- Mystery
Of The-All-Pervading-Lord;
He Himself is
The-Immaculate-Divine-Lord.

एक परमात्मा ही सभी देवताओं की आत्मा है। देवताओं के देवताओं की आत्मा है ।

जो मनुष्य प्रभु की आत्मा का रहस्य जान लेता है, नानक, उस मनुष्य का सेवक है और वो परमात्मा का रूप है

To Walk in The Way of His Will

हुक्म रजाई चलणा

प्रश्न; वो हुक्म, जो #नानक_लिखिआ_नालि /साथ लिखा है (With Written) कि जिस को जीव ने मीठा करके मानना है, वो क्या है तथा कैसे #बुझै/समझें (Understands) ?

साथ लिखा है #करम/कर्म (Task) हमारी #किरत/कमाई (Earning) है।

पूर्व कर्म अनुसार हमारा स्वभाव बना है,
जो जीव को विरसा/विरासत (Heritage) से प्राप्त है ।
कर्त अनुसार ही उसरिया/उभरा (Raise) स्वभाव ही जीव के दुखों व सुखों का लेख/खाता (Record) है ।

#प्रवाना/हुक्मनामा (Permit) है ।

जो #मन_मसवाणी/स्याही (Ink) ने #काइआ_कागद"/कोरा कागज़ (Empty Paper) पर जीव के साथ ही लिख दिया है ।
यह  कृत के रूप  में #निरंकार/निर-आकार (Formless) से लिखा हुक्म को जीव ने समझना है ।। इसीलिए गुरु जी ने कहा है :-

"नानक हुक्मै जे बुझै त  हउमै कहै न कोइ ।।२।।
Cont..

Saturday, 28 January 2017

#नाम

(पार्ट-1)

गुरु की शिक्षा का प्रमुख सिद्धान्त 'नाम' है, जो सिख  के आशय सर्वक्षेष्ठ मन्नत है ।

गुरु के ज्ञान अनुसार "नाम" कोई व्याकरण-संज्ञा  नहीं है । इस के मुताबिक परमात्मा की यह सर्व्यापक शक्ति है, जिस के द्वारा निरंकार हर एक स्थान मौजूद हो कर कण-कण में बस रहा है ।

"नाम" के इस सर्व-व्यापक तथा सर्व-प्रतिपालक  स्वरूप का लक्ष्य तथा निरंकार नाम का अभेद होना ही मनुष्य जीवन का परम्-प्रयोजन है ।

जहां तक संज्ञा-वाचक "नाम" का सम्बंध है---परमात्मा 'अनाम' भी है तथा सर्व-नाम भी ।

क्योंकि 'नाम', रूप और आकार से जुड़ा है, और ज़ाहिर है जिसका कोई 'नाम' है, उसका कोई रूप भी होना लाज़मी है।

अब सोचने वाली बात यह है कि यदि परमात्मा का कोई रूप या आकार नहीं है, तो फिर 'नाम' क्यों ? 

कई चीज़ें अरूप होती हैं, पर उनकी 'होंद' अवश्य होती है।
ऐसी चीजें रुप करके नहीं बल्कि गुणों करके पहचानी जाती हैं ।
जैसे विभिन्न किस्म की गैस । गैस अरूप है पर उनकी पहचान है, वो अपने अलग-अलग गुणों के कारण पहचानी जाती हैं ।
अरूप होते हुए भी वो अनूप हैं ।
अनाम होते हुए भी सर्वनामी है ।
उसका हर कर्म किसी न किसी गुण के लायक है।
वो सर्व-गुणों से भरपूर है ।
उसका हर एक 'कर्म-नाम' उसके 'गुण-वाचक' नाम है, उसकी सिफ़्त ही 'नाम' है।
उसकी सिफ़्त भी अंनत हैं--इसलिए उसकी प्रशंसा में लिए 'नाम' भी बेअंत हैं ।

इसीलिए सारे 'कर्म-नाम' कथन नहीं किये जा सकते ।
सच्चे गुरु परमात्मा की सिफ़्त (प्रशंसा) में लिए गये 'नामों ' के वर्णन में नहीं जाते तथा ना ही उनको इन प्रशंसा भरे नामों के रटने करने का कोई भर्म है, क्योंकि यह सभी एक निरंकार की प्रशंसा करने तथा गुण-गायन ही तो है ।
पर गुरु का शिष्य ने तो उस 'नाम' को धारणा है --जिस 'नाम' द्वारा वह सर्व-व्यापक हो कर कण-कण में बस रहा है

The Way of Yoga is.Spritiual Wisdom

#The_Way_of_Yoga_is
The Way of Spiritual Wisdom,;
The Vedas are the way of The Brahmins,.

The Way of The Khshatria is
The Way of Bravery;
The Way of The Shudras is
Service to Others.

The Way of All is
The Way of The One;
Nanak's a Slave to One
who knows This-Secrets
He Himself is The-Immaculate Divine.

#जोग_सबदंग_गिआन_सबदंग..

योगी का धर्म, ज्ञान प्राप्त करना है (ब्रह्म विचार)।
ब्राह्मण का धर्म वेद की विचार है ।
खत्री का धर्म शूरवीर वाले काम करने हैं ।
तथा सूद्र का धर्म दूसरों की सेवा करनी है ।
पर सभी का मुख्य धर्म यह है कि एक प्रभु का सिमरन करो ।
जो मनुष्य इस रहस्य को जानता है, नानक कहते हैं "मैं उसका सेवक और वो प्रभु का रूप है ।"

#Aasa_Di_Waar. #SGGS. Cont...


I am Sacrifice !

#MSacrifice, #AlmightyCreativePower.

Suffering's The-Medicine  &
There's The- Disease, Because
Where There's Pleasure,
There's No-Disire For-God.

U're The-Creator-Lord; I Can do Nothing,
Even if Try, Nothing Happens.

I M A Sacrifice to
Ur Almighty-Creative-Power Which's
Pervading EveryWhere,
Ur Limits Can't be Known.

Ur Light's in Ur Creatures &
Ur Creatures're in Ur Light,
Ur Almighty-Power's
Pervading EveryWhere.

U're The-True-Lord&Master;
Ur Parise's So-Beautiful ,
Who Sings it, is Carried Across.

#NanakSpeaks, The-Stories of 
The-Creator-Lord;
Whatever He's to Do, He Does.

#बलिहारी_कुदरति.

हे प्रभु!  आपकी सृष्टि आश्चर्यजनक है।
मुशिकल समय (जीव के रोग) इलाज़ बन जाता है, और ख़ुशी का समय दुख का कारण। यानि सच्चा आत्मिक सुख मिल जाए तो दुख नहीं रहता 
हे प्रभु! आप ही कर्ण-हार कर्ता हो, जो इस रहस्य को समझ सकते हो। मैं समर्थ नहीं हूँ कि समझ सकूँ ! यदि मैं अपने आप को ही जान लूँ अर्थात यह केवल ख्याल ही बना लूँ कि मैं आप को जान गया हूँ तो यह मेरा भृम है ।
हे सृष्टि के कर्ता, धर्ता, सर्व-व्यापी, सर्व-शक्तिमान,मैं आपके बलिहार जाता हूँ!
आपका कोई अंनत नहीं पाया जा सकता।
सारी सृष्टि में आपका ही निवास है, सभी जीव, आप ही से रोशन हैं,आप सब में ही व्यापक हो !
हे प्रभु! आप सदा स्थिर रहने वाले हो आप और आपकी सृष्टि प्रशंसनीय और सुंदर है!
जिस-जिस ने आपके गुण गाये हैं, वो जीव जन्म-मरण का संसार-समुन्द्र पार कर गया है ।
हे नानक! तूं भी कर्ता की प्रशंसा कर और कह कि हे प्रभु! आपको जो कुछ करना अच्छा लगता है, वो आप कर रहे हो । अर्थात आपके कार्यों पर किसी की भी दखलंदाज़ी नहीं है ।

#Aasa_Di_Waar.  #SGGS469 Cont...
Srigranth.org

Friday, 27 January 2017

आदत डालो

*सुनने*
की आदत डालो क्योंकि
ताने मारने वालों की कमी नहीं हैं।

*मुस्कराने*
की आदत डालो क्योंकि
रुलाने वालों की कमी नहीं हैं

*ऊपर उठने*
की आदत डालो क्योंकि
टांग खींचने वालों की कमी नहीं है।

*प्रोत्साहित*
करने की आदत डालो क्योंकि हतोत्साहित करने वालों की कमी नहीं है!!

*सच्चा व्यक्ति*
ना तो नास्तिक होता है ना ही आस्तिक होता है ।
सच्चा व्यक्ति हर समय वास्तविक होता है......

*छोटी छोटी बातें*
दिल में रखने से
बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं"

*कभी पीठ पीछे आपकी बात चले*
तो घबराना मत .बात तो
"उन्हीं की होती है"..
जिनमें कोई " बात " होती है

*"निंदा"*
उसी की होती है जो"जिंदा" हैँ मरने के बाद तो सिर्फ "तारीफ" होती है।

ਆਸਤਿਕ ਬਨਾਮ ਨਾਸਤਿਕ!

ਆਸਤਿਕ ਬਨਾਮ ਨਾਸਤਿਕ
ਆਸਤਿਕ ਸੰਤ - ਸਰਬੱਤ ਦਾ ਭਲਾ ਮੰਗੋ

ਨਾਸਤਿਕ - ਸਰਬੱਤ ਦਾ ਭਲਾ ਕਰੋ

ਆਸਤਿਕ ਸੰਤ - ਗੁਰਦੁਆਰੇ, ਮੰਦਰਾਂ ਦੇ ਵਿਚ ਸੋਨੇ ਅਤੇ ਇਮਾਰਤਾਂ ਲਈ ਸੰਗਤਾਂ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮਾਇਆ ਦਾਨ ਕਰਨ

ਨਾਸਤਿਕ - ਵਿਹਲੜਾ ਨੂੰ ਕੋਈ ਪੈਸਾ ਨਾ ਦਿਉ ਦਾਨ ਅੱਖਾਂ ਖੋਲ ਕੇ ਕਰੋ ਦਾਨ ਨਾਲ ਸਕੂਲ ਹਸਪਤਾਲ ਗਰੀਬ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਬਣਵਾਉ

ਆਸਤਿਕ ਸੰਤ - ਦੁੱਖ ਵੇਲੇ ਅਰਦਾਸ ਕਰੋ

ਨਾਸਤਿਕ - ਦੁੱਖ ਵੇਲੇ ਹੋਸਲਾ ਨਾ ਹਾਰੋ ਮਿਹਨਤ ਜਤਨ ਕਰੋ

ਅਾਸਤਿਕ ਸੰਤ-ਸੰਤਾਂ ਤੇ ਕਿੰਤੂ ਪ੍ਰੰਤੂ ਨਾ ਕਰੋ ਸੰਤ ਦੀ ਨਿੰਦਿਆ ਨਾਲ ਨਰਕਾਂ ਦੇ ਵਿਚ ਜਾਉਗੇ

ਨਾਸਤਿਕ - ਅੱਖਾਂ ਬੰਦ ਕਰਕੇ ਕੋਈ ਗੱਲ ਨਾ ਮੰਨੋ ਹਰ ਗੱਲ ਕਿਉ, ਕਿਵੇਂ, ਕਿੱਥੇ, ਕਦੋ   ਤਰਕ ਦੀ ਛਾਨਣੀ ਵਿਚ ਛਾਣੋ ਭਾਵੇ ਕੋਈ ਵੀ ਗੱਲ ਕਿਸੇ ਮਹਾਨ ਵਿਅਕਤੀ ਨੇ ਕਹੀ ਹੋਵੋ ਨਰਕ ਸਵਰਗ ਕਿਤੇ ਨਹੀਂ ਜੋ ਕੁਝ ਹੈ ਇਥੇ ਹੀ ਹੈ ਗਲਤ ਨੂੰ ਗਲਤ ਕਹੋ ਤੇ ਸੱਚ ਦਾ ਸਾਥ ਦਿਉ

ਆਸਤਿਕ ਸੰਤ - ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਪੁੰਨ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਰੱਬ ਨਾਲ ਜੋੜਨਾ ਹੈ

ਨਾਸਤਿਕ - ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਕੰਮ ਮਨੁੱਖਤਾ ਨੂੰ ਅੰਧਵਿਸ਼ਵਾਸ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢਣਾ ਅਤੇ ਇਨਸਾਨੀਅਤ ਦੇ ਭਲੇ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਨਾ ਹੈ

ਆਸਤਿਕ ਸੰਤ - ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦਾ ਪਾਠ ਕਰਦੇ ਰਹੋ ਫਲਾਣੇ ਮੰਤਰ ਨਾ ਫਲਾਣੀ ਕੰਮ ਤੇ ਰਿੱਧੀਆ ਸਿੱਧੀਆਂ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ

ਨਾਸਤਿਕ - ਰਿੱਧੀਆ ਸਿੱਧੀਆਂ ਵਹਿਮ ਹਨ ਹਰ ਕੰਮ ਮਿਹਨਤ ਤੇ ਲਗਨ ਨਾਲ ਪੂਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥ ਵੀ ਪੜੋ ਉਹਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਚੰਗੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਦਾ ਅਨੁਸਰਣ ਕਰਕੇ ਜਨਤਾ ਦਾ ਭਲਾ ਕਰੋ ਤੋਤਾ ਰਟਨ ਬੇਵਕੂਫੀ ਹੈ

ਆਸਤਿਕ ਸੰਤ - ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰੋ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਧਾਉਣ ਲਈ ਹਰ ਸੰਭਵ ਯਤਨ ਕਰੋ

ਨਾਸਤਿਕ - ਇਨਸਾਨੀਅਤ ਹੀ ਸੱਚਾ ਧਰਮ ਹੈ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਇਨਸਾਨੀ ਭਲੇ ਲਈ ਜਾਗਰੂਕ ਕਰੋ

ਆਸਤਿਕ ਸੰਤ - ਵਿਰੋਧ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸਬਕ ਸਿਖਾਉਣ ਲਈ ਹਰ ਸੰਭਵ ਯਤਨ ਕਰੋ ਲੋੜ ਪੈਣ ਤੇ ਕਤਲ ਵੀ ਕਰਕੇ ਰੱਬ ਦੀਆਂ ਖੁਸ਼ੀਆ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰੋ

ਨਾਸਤਿਕ - ਵਿਚਾਰਾਂ ਨੂੰ ਵਿਚਾਰ ਵਟਾਂਦਰਾ ਕਰ ਕੇ ਕੱਟੋ ਜਬਾਨ ਨਾਲ ਵੀ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਦੁੱਖ ਨਾ ਪਹੁੰਚਾਉ

#Courtesy #Whatsapp

Thursday, 26 January 2017

Dilgeer

https://openlibrary.org/authors/OL3647438A/Harjinder_Singh_Dilgeer

Wednesday, 25 January 2017

शब्द अर्थ

Creator   बनाने वाला रचनाकार
Glorious यश, गुणगान
Soreregin. Prbhu
Praises  प्रशंसा जय जय कार
Merciful।   किरपालु
Full-filler पूर्ण भराव
devotees भक्तों
Beloved lord प्राणपति
Whatever। जो कुछ
treasure of mercy,  कृपा का खजाना करपनिध
Every Breath. सांस सांस
Cherisher।  पालनहारा
Attain पाना
devotional   भक्ति
worship, पूजा
Sus tence ance। उपजीविका
Begs।  भीख मांगना
Com passion et.  दयालु
Be-love-ed जानम परमप्रिय

Un-faith,-obable विशाल  अ- ,"नाप

Peace शान्ति
Pleasure। ख़ुशी
To Will       मैहर
Obey।  अनुसरण
Infinite.  अंनत
exalted। ऊँचा
Lofty   बुलनd
Peace giver  शांतिदूत

Absorbedतल्लीन

Fear

#डर   #निर्मल_भय2  (#प्रभु_का_भय)

गुरमत अनुसार 'दुनियावी-भय' का त्याग जरूरी है, पर यह तब तक संभव नहीं, जब तक परमात्मा के 'निर्मल-भय' ग्रहण न किया जाए। सो गुरसिख को :निर्मल-भय' में रह कर जीवन व्यतीत करने की शिक्षा दी गई है। इस के बिना नाम जपने की लग्न नहीं रह सकती :-
"भय' बिन_ लागि न लगई ना मन निरमल_ होइ।।" 427

कबीर जी  ने इस 'निर्मल-भय' की लग्न को ही जगाया, तथा मन को प्रोत्साहित करने के लिए कहा कि:-

"कबीर सूता किआ करहि, जागि रोइ 'भै' दुख।।" 1371

जब मन में 'निर्मल-भय'  पैदा होता है, तो 'विषय-विकार' भाग खड़े होते हैं । स्वभाव में तब्दीली आ जाती है। पहले वाला 'सांसारिक-भय' मिट जाता  है, तथा उसकी जगह 'आत्मक-बल' पैदा हो जाता है :-

"ड्डा डर उपजै डर_ जाइ
ता डर माहि डर_रहिआ समाई ।।" 1093

निर्मल भय से बिना मनुष्य 'आत्मिक-अवस्था' में मुर्दा है ।

"जिन कउ अंदर गिआन नही, 'भै' की नाही बिंद।।
नानक, मुइआ का किआ मारणा, जि आपि मारै गोबिंद।।"1093

भक्ति का बेस 'निर्मल-भय' से ही बनता है :-

"भै' ते उपजै भगति, प्रभ अंतर होइ शांति।।

'निर्मल-भय' रखने वाला मनुष्य परमात्मा को 'हाज़िर-नाज़िर' मानता है, तथा उसको 'अंग-संग' जानता है। इसीलिए वो 'निर-आकार' (निरंकार) को ही 'कर्ता' मानकर सभी कर्म अथवा कार्य, निरंकार की कला समझता है, जब कर्ता ही सब आप है, तो डर क्या?

"डरीऐ' तां जे किछ_आपद_ कीचै"..308

जो 'निरभउ' को जपते हैं, उनके सभी डर नाश हो जाते हैं, वो भी निरभउ निरंकार के समक्ष हो कर 'सांसारिक-भय' से मुक्त हो जाते हैं ।

"निरभउ जपै, सगल भउ_ मिटै।।"..293

Hereafter,SocialStatus n #PowerMean #Nothing

#Hereafter
#SocialStatus n #PowerMean #Nothing

Evil Actions become Publicly Known;
O Nanak, The-True-Lord Sees Everything.

Everyone Makes The-Attempt,
But that Alone Happens which The-Creator Lord Does. 

In The-World Hereafter, Social-Status&Power Mean Nothing;
Hereafter, The-Soul is New. 

Those Few, Whose Honor's
Confirmed, are Good.  

#अगै_जाति_न_जोर_है..

नानक कहते है, जो बात प्रभु द्वारा लिखकर तह कर दी गई है, वो तो होकर रहेगी, क्योंकि वो सच्चा प्रभु हर-एक जीव की स्वंय देख-रेख कर रहा है ।
सभी जीव अपनी-अपनी ज़ोर-अज़माइश करते हैं, पर होता वही है जो कर्ता के हाथ में है ।
परमात्मा की दरग़ाह में न तो किसी ऊँची-नीच जाति का फर्क है, न ही किसी का दबाव क्योंकि वहां उन जीवों से सामना होता है, जिनसे कोई जान-पहचान नहीं ।
परमात्मा के दरबार में केवल उन्हीं जीवों का आदर-सत्कार होता है जिनके कर्मों के लेख यानि संसारी काम अच्छे हैं ।

#ਅਗੈ_ਜਾਤਿ_ਨ_ਜ਼ੋਰ_ਹੈ.
ਹੇ ਨਾਨਕ! ਜੋ ਗੱਲ ਰੱਬ ਵਲੋਂ ਥਾਪੀ ਜਾ ਚੁਕੀ ਹੈ ਉਹੀ ਹੋ ਕੇ ਰਹੇਗੀ, ਕਿਉਂਕਿ ਉਹ ਸੱਚਾ ਪ੍ਰਭੂ ਹਰੇਕ ਜੀਵ ਦੀ ਆਪ ਸੰਭਾਲ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ।
ਸਾਰੇ ਜੀਵ ਆਪੋ ਆਪਣਾ ਜ਼ੋਰ ਲਾਂਦੇ ਹਨ, ਪਰ ਹੁੰਦੀ ਉਹੀ ਹੈ ਜੋ ਕਰਤਾਰ ਕਰਦਾ ਹੈ।
ਰੱਬ ਦੀ ਦਰਗਾਹ ਵਿਚ ਨਾ ਕਿਸੇ ਉੱਚੀ ਨੀਵੀਂ ਜਾਤ ਦਾ ਵਿਤਕਰਾ ਹੈ, ਨਾ ਹੀ ਕਿਸੇ ਦਾ ਧੱਕਾ ਚੱਲ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਓਥੇ ਉਹਨਾਂ ਜੀਵਾਂ ਨਾਲ ਵਾਹ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਓਪਰੇ ਹਨ । ਭਾਵ, ਉਹ ਕਿਸੇ ਦੀ ਉੱਚੀ ਜਾਤ ਜਾਂ ਜ਼ੋਰ ਜਾਣਦੇ ਹੀ ਨਹੀਂ, ਇਸ ਵਾਸਤੇ ਕਿਸੇ ਦਬਾਉ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦੇ।
ਓਥੇ ਉਹੋ ਕੋਈ ਕੋਈ ਮਨੁੱਖ ਭਲੇ ਗਿਣੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਰਮਾਂ ਦਾ ਲੇਖਾ ਹੋਣ ਵੇਲੇ ਆਦਰ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਭਾਵ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਜਗਤ ਵਿਚ ਭਲੇ ਕੰਮ ਕੀਤੇ ਹੋਏ ਸਨ, ਤੇ ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਰੱਬ ਦੇ ਦਰ ਤੇ ਆਦਰ ਮਿਲਦਾ ਹੈ

#Aasa_Di_Waar. #SGGS469
Srigranth.org

We're #Easily_Absorbed in #you.

#We're #Easily_Absorbed in #you.
#O_Lord!

Only Those Whose KARMA You hv pre-Ordained frm The-Very-Beginning, O Lord, Meditate on You. 

Nothing's in The power of These Beings; You Created The various worlds.

Some, You Unite with Yourself&Some, You Lead Astray.

By Guru's Grace You're Known; Through Him, You Reveal Yourself.

We're Easily Absorbed in You.

#सहजे_ही_सचि_समाइआ
हे प्रभु! जिन मनुष्यों पर धुर से बक्शीश होती है, उन्होंने ही मालिक को, भाव,तुझे ही ध्यान किया है।
इन जीवों के अपने बस कुछ नहीं है कि तुझे सिमर सकें। तूं ने विभिन्न रंगों के जगत की रचना की है ।
प्रभु कई जीवों को अपने चरणों में जोड़ कर रखा है, पर कई जीवों को तो तूने बिछोड़ा हुआ है ।
जिस बड़े भाग्य वाले जीव के ह्रदय में प्रेम में अपने आप की सूझ बूझ दी है, उसने सच्चे गुरु की कृपा से तुझे पहचान लिया है ।
तथा वो मनुष्य, सहजि स्वभाव अपने असल से "एक" (तल्लीन), हो गया है ।

#ਸਹਜੇ_ਹੀ_ਸਚਿ_ਸਮਾਇਆ
ਹੇ ਪ੍ਰਭੂ! ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਮਨੁੱਖਾਂ ਉੱਤੇ ਤੂੰ ਧੁਰੋਂ ਬਖ਼ਸ਼ਸ਼ ਕੀਤੀ ਹੈ, ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਹੀ ਮਾਲਕ ਨੂੰ ਭਾਵ, ਤੈਨੂੰ ਸਿਮਰਿਆ ਹੈ।
ਇਹਨਾਂ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਆਪਣੇ ਇਖ਼ਤਿਆਰ ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਹੈ ਕਿ ਤੇਰਾ ਸਿਮਰਨ ਕਰ ਸਕਣ । ਤੂੰ ਰੰਗਾ-ਰੰਗ ਦਾ ਜਗਤ ਪੈਦਾ ਕੀਤਾ ਹੈ;
ਕਈ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਚਰਨਾਂ ਵਿਚ ਜੋੜੀ ਰੱਖਦਾ ਹੈਂ, ਪਰ ਕਈ ਜੀਆਂ ਨੂੰ ਤਾਂ ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਨਾਲੋਂ ਵਿਛੋੜਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ।
ਜਿਸ ਵਡਭਾਗੀ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਹਿਰਦੇ ਵਿਚ ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਆਪ ਦੀ ਸੂਝ ਪਾ ਦਿੱਤੀ ਹੈ, ਉਸ ਨੇ ਸਤਿਗੁਰੂ ਦੀ ਮਿਹਰ ਨਾਲ ਤੈਨੂੰ ਪਛਾਣ ਲਿਆ ਹੈ,
ਅਤੇ ਉਹ ਸਹਿਜ ਸੁਭਾਇ ਹੀ ਆਪਣੇ ਅਸਲੇ ਵਿਚ ਇਕ-ਮਿਕ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ।

#Aasa_Di_Waar. #SGGS469



Sunday, 22 January 2017

If The Fear of God.

#If_TheFear_of_God....

There's Famine of The-Truth, Falsehood Previls& The-Blackness of TheDark Age of KALYUG  hs Turned Men into Demons.

These who Planted their Seed hv Departed with  honor;
Now how can The-Shettered Seed Sprout.

If The-Seed's whole& it's The-Proper Season, then The-Seed'll Sprout.

O Nanak, Without Treatment,
The-Raw-Fabric can't b Dyed.

In The-Fear of God, It Bleached White,
If The-Treatment of Modesty is applied to  The-Cloth of The-Body.

#O_Nanak, If One is Imbued with Devotional-Worship His-Reputation is not False.
#Assa_Di_Waar.  #SGGS468. Cont.
Srigrnth.org

Saturday, 21 January 2017

I am a fool & I know nothing,...

#I_M_A_Fool, #I_Know_Nothing,
#HowCan #I_FindYourLimits?

What Can I Decribe, O Lord&Master?
You're The-Most-Infinite of The-Infinite,

I Praise The-Lord's Name, Day&Night;
This Alone is My Hope&Support.,

I'm Fool & I Know Nothing;
How can I Find your Limits?

#ServantNanak is The-Slave of
The-Lord. The-Water-Carrier of The-Slaves of The-Lord.

हे मेरे स्वामी, तूं बेअंत (अपर आपरो) गुणों का मालिक है। हम तेरे कौन-कौन (किआ) से गुणों का व्यख्यान (विथरह) करें?
हम तो तेरे नाम की दिन-रात प्रशंसा (सालाहह) ही करते हैं, हमारे जीवन की यही आशा (आस) और आधार (आधारों) है।
हम मुर्ख हैं, हम कुछ (किछु) नहीं जानते (जाणहा) कि तेरा अंत (पारो) कैसे (किव)  पाया (पावह) जा सकता है?
दास नानक तेरा सेवक है, एक पानी भरने वाला (पनिहारो), केवल दासों का दास है ।

#Aasa_Di_Waar. #SGGS450. Cont..
srigranth.org

Thursday, 19 January 2017

One knows the truth only when..

#One_Knows_The_Truth_Only...
One Knows The Truth Only When
The Truth's in Heart.
The Filth of Falsehood
Departs & The-Body's washed clean.

One Knows The-Truth Only When
He Bears Love to The-Lord.
Hearing The-Name, The-Mind's Enraptured;
Then He Attains The-Gate of Salvation.

One Knows The-Truth Only When
He Knows The-True Way of Life.
Preparing The-Field of His-Body, The-Plants, The-Seed of The-Creator.

One Knows The-Truth Only When
He Receives True-Instructions,
Showing Mercy to other Beings,
He Makes Donation to Charities.

One Knows The-Truth Only When
He Dwells to Sacred-Shrine of
Pilgrimage of His Own Soul.

#Aasa_Di_Waar. #SGGS467
Srigranth.org

ਬਾਬਾ ਨਾਨਕ.. ਕੱਲ ਰਾਤੀ ਮੇਰੇ ਸੁਪਨੇ ਦੇ ਵਿੱਚ ਆਇਆ..

ਬਾਬਾ ਨਾਨਕ.. ਕੱਲ ਰਾਤੀ
ਮੇਰੇ ਸੁਪਨੇ ਦੇ ਵਿੱਚ ਆਇਆ..
ਕਹਿੰਦੇ ..ਕਾਕਾ ਮੇਰੀ ਸੋਚ ਦਾ
ਆਹ ਕੀ ਹਾਲ ਬਣਾਇਆ ..?

ਮੈਂ ਕਿਹਾ ..ਬਾਬਾ ਜੀ ਅਸੀ
ਆਪਣਾ ਫ਼ਰਜ਼ ਨਿਭਾਈ ਜਾਨੇ ਆ .
ਤੁਹਾਡੀ ਖੁਸ਼ੀ ਲਈ ਰੋਜ਼ ਹੀ..
ਫੋਟੋ ਅੱਗੇ ਮੱਥੇ ਘਸਾਈ ਜਾਨੇ ਆ..!

ਦਾਤਾਂ ਲੈਣ ਲਈ ਤੁਹਾਡੇ ਤੋਂ..
ਤੁਹਾਡੇ ਅੱਗੇ ਧੂਫਾਂ ਧੁਖਾਈ ਜਾਨੇ ਆ..
ਥੋੜੇ ਥੋੜੇ ਸਮੇਂ ਬਾਅਦ..
ਅਖੰਡਪਾਠ ਵੀ ਤਾਂ ਕਰਾਈ ਜਾਨੇ ਆ..!!

ਤੁਹਾਡੇ ਦੁਆਰੇ 'ਤੇ ਵੀ ਅਸੀ
ਕਰੋੜਾ ਰੁਪਏ  ਲਗਾਈ  ਜਾਨੇ ਆ.
ਸੁੱਖਣਾ ਸੁੱਖ ਤੇਰੀ ਬਾਣੀ ਅੱਗੇ..
ਰੇਸ਼ਮੀ ਰੁਮਾਲੇ ਰੋਜ਼ ਚੜਾਈ ਜਾਨੇ ਆ..!!

ਸੁਬਹਾ ਸ਼ਾਮ ਅੱਧਾ ਅੱਧਾ ਘੰਟਾ
ਪਾਠ ਦਾ ਫ਼ਰਜ਼ ਨਭਾਈ  ਜਾਨੇ ਆ..
ਤੁਹਾਡੇ ਜ਼ਨਮ ਦਿਨ 'ਤੇ ਵੀ
ਦੀਵੇ ਬਾਲ.. ਪਟਾਕੇ ਚਲਾਈ ਜਾਨੇ ਆ..!!

ਪਹਿਰਾਵੇ ਭੇਸ 'ਚ ਕੱਚ ਨਾ ਰਹੇ..
ਪੂਰਾ ਦਿੱਖ'ਤੇ ਜੋਰ ਲਗਾਈ ਜਾਨੇ ਆ.
ਤੁਸੀ ਪਤਾ ਨੀ ਕਿਓੰ  ਖੁਸ਼ ਨੀ..
ਅਸੀ ਤਾਂ ਹਰ ਰਸਮ ਨਿਭਾਈ ਜਾਨੇ ਆ..!!

ਬਾਬਾ ਬੋਲਿਆ..
ਮੈਂ ਕਦ ਆਖਿਆ ਸੀ
ਮੇਰੇ ਵਿਚਾਰਾਂ ਨੂੰ ਰੱਟੇ ਲਾਇਓ..
ਮੈਂ ਦੱਸੋ ਕਿੱਥੇ ਲਿਖਿਆ ਏ..
ਭਾੜੇ 'ਤੇ ਮੇਰੇ ਵਿਚਾਰ ਪੜਾਇਓ..!!

ਮੈਂ ਕਦ ਆਖਿਆ ਸੀ..
ਮੇਰੀ ਫੋਟੋ ਨੂੰ ਧੂਫਾਂ ਲਾਇਓ.!

ਮੈਂ ਕਿੱਥੇ ਲਿਖਿਆ ਏ.
ਮੇਰੇ ਦਿਨ 'ਤੇ ਪਟਾਕੇ ਚਲਾਇਓ..!

ਮੇਰੀ ਸਮਝ 'ਚ ਕਿੱਥੇ ਹੈ
ਕਿ  ਮੰਦਰਾਂ 'ਤੇ  ਧੰਨ  ਵਹਾਇਓ.!!

ਮੈਂ ਤਾਂ ਸਿਰਫ ਇਹ ਚਾਹਿਆ ਸੀ..
ਮੇਰੇ  ਵਿਚਾਰਾਂ  ਨੂੰ  ਅਪਨਾਇਓ..

ਮੇਰਾ ਚਿਹਰਾ ਹੋ ਗਿਆ ਬੱਗਾ ਸੀ..
ਮੈਂ ਵਿਚੋਂ ਈ  ਬੋਲਣ  ਲੱਗਾ ਸੀ..
ਪਰ ਫਿਰ ਬਾਬਾ ਬੋਲ ਪਿਆ..

ਤੁਸੀ ਮੈਨੂੰ ਮੰਨੀ ਜਾਨੇ ਆ..
ਪਰ ਮੇਰੀ ਨਹੀਂ ਤੁਸੀ ਮੰਨੀ..!!
ਮੇਰੀ ਸੋਚ--ਵਿਚਾਰਧਾਰਾ ਤੋਂ
ਤੁਸੀ ਸਭ ਖਿਸਕਾਉਦੇ ਕੰਨੀ..!

ਇਕ ਤੁਹਾਥੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਵੇਲਾ ਸੀ..
ਗੁਰਦੁਆਰੇ ਭਾਵੇਂ ਕੱਚੇ ਸੀ..
ਸਿਖਿਆ ਮੇਰੀ ਅਮਲ 'ਚ ਸੀ..
ਤੇ ਸਿੱਖ ਮੇਰੇ ਪੱਕੇ ਤੇ ਸੱਚੇ ਸੀ..!!

ਸੰਗਮਰਮਰ- ਸੋਨੇ ਲਾ ਲਾ ਕੇ..
ਭਾਵੇਂ ਮੇਰੇ ਮੰਦਰ ਪਾ ਲਏ ਪੱਕੇ..
ਦਿਖਾਵੇ ਅਡੰਬਰ ਅਮਲੋਂ ਖਾਲੀ..
ਮੇਰੇ ਸਿੱਖ  ਸਿਖਿਆ  ਤੋਂ  ਕੱਚੇ..!!

ਮੈਂ ਫੋਟੋ-ਬੁੱਤ ਪੂਜਾ ਰੋਕੀ ਸੀ..
ਫੋਟੋ ਮੇਰੀ ਦੀ ਪੂਜਾ ਕਰੀ ਜਾਂਦੇ ਉ..!

ਮੈਂ ਰੋਕਿਆ ਸੀ  ਅੰਧਵਿਸ਼ਵਾਸ਼ਾਂ ਤੋਂ..
ਧਾਗੇ -ਤਵੀਜ਼ਾਂ ਤੋਂ ਡਰੀ ਜਾਂਦੇ ਓੰ..!!

ਮੈਂ  ਜਾਤ- ਗੋਤ  ਛਡਾਈ ਸੀ..
ਤੁਸੀ ਨਾਵਾਂ ਨਾਲ ਸਜਾਓੰਦੇ ਹੋ..!!

ਮੈਂ ਕਿਰਤੀ ਲਾਲੋ ਲੲੀ ਲੜਿਆ  ਸੀ..
ਤੁਸੀ ਭਾਗੋ ਨੂੰ ਜੱਫੀਆਂ ਪਾਓੰਦੇ ਹੋ ..!!

ਮੈ ਕਿਹਾ-ਰਾਜੇ ਸ਼ੀਹ ਮੁਕੱਦਮ ਕੁੱਤੇ..
ਤੁਸੀ ਤਖਤਾਂ' ਤੇ ਬਿਠਾਓੰਦੇ ਹੋ..!!

ਮੈਂ ਸੱਜਣ ਠੱਗ ਭਜਾਏ ਸੀ..
ਤੁਸੀ ਹਾਰ ਤੇ ਵੋਟਾਂ ਪਾਓਂਦੇ ਹੋ..!!

ਛੋੜੇ ਅੰਨ ਕਰੇ ਪਾਖੰਡ ..ਪੜ ਕੇ
ਤੁਸੀ ਖੁਦ ਵੀ ਵਰਤ ਰਖਾਓੰਦੇ ਹੋ..!!

ਵੰਡਕਾਣੀ ਤੇ ਅਨਯਾ ਵੇਖ
ਬੜੀ ਹੀ ਸ਼ਾਤੀ ਨਾਲ ਜਿਉਂਦੇ ਹੋ..

ਪਹਿਰਾਵਾ ਭੇਸ ਹੀ ਸਿੱਖੀ ਨਹੀਂ..
ਤੁਸੀ ਕਿਹਨੂੰ ਬੁੱਧੂ ਬਨਾਓੰਦੇ ਹੋ..?

ਸਿਖਿਆ ਮੇਰੀ ਕੋਈ ਮੰਨੀ ਨਾ..
ਪਰ ਮੇਰੇ ਸਿੱਖ ਕਹਾਉਂਦੇ    ਹੋ ..!!

ਮੇਰੇ ਲਈ ਤਾਂ ਦੋਸਤੋ..
ਇਹ ਝਜੋੜਨ ਵਾਲਾ ਖੂਆਬ ਸੀ..
ਸੁਪਨਾ ਸੀ ਜਾਂ ਸ਼ਾਇਦ..
ਇਹ ..ਮੇਰੀ ਜ਼ਮੀਰ ਦੀ ਹੀ ਅਵਾਜ਼ ਸੀ..!!
      ********
Paramjeet Kaur

Wednesday, 18 January 2017

अपरंपर

#नाम (पार्ट-9)   #अपरंपर

मनुष्य के मनोरथ में #अंतरस्थ_नाम को साक्षात करके #अपरंपर_नाम" तक पहुंचना है।

अब प्रश्न यह है कि "कैसे" ?

नीचे दी गई गुरु नानक जी की #सीध_गोष्ट" में लिखी प्रश्नोत्तरी इस लॉक को खोलने में सहायक सिद्ध हो सकती है ।

गुरु नानक जी एक ओर जगह फ़रमाते हैं कि हर कोई #शब्द_सुरति के भेद को नहीं जान सकता , पर जब तक इस भेद को बुझ के अमल में न लाया जाए ।
#गुर_शब्द में ध्यान करना तथा अपने आप को लेकर 'शब्द' को कमाना ही #शब्द_सुरति_संजोग है। यह एक ऐसी #कला है, जिस में कलाकार अपना आप गवां कर जो ज़ज़्बा पैदा करता है कि केवल और केवल कलही रह जाती है, कलाकार नहीं रहता । इसको "शब्द" में मर मिटना भी कहते हैं यही है दरअसल "शब्द-सुरति-संजोग ।

"शब्द गुरु है और सुरति चेला है ।"  प्रेम के रास्ते चल कर सुरति ने गुरु उपदेश को धारण करना है । शब्द सहारे सारा अहं मिटाकर ' नाम' में विलीन होना है । पर प्रश्न उठता है "यह सब कुछ कैसे हो?-- 'सुरति के टिकाव के लिए जरूरी है--- एक  ध्यान अवस्था की। "सावधान एकाग्र चित्त"  होने की । "मन को मन में टिकाने की" । यह केवल कहने मात्र से नहीं, करने योग्य है ।

अगला चैप्टर #साधना" है ।

without You, Lord,  everything is totally false. 

False is the king,

false are the subjects; 

false is the whole world.  

False is the mansion, 

false are the skyscrapers;

 false are those who live in them.

False is gold, and 

false is silver;

 false are those who wear them.  

False is the body, 

false are the clothes; 

false is incomparable beauty.  

False is the husband, 

false is the wife; they mourn and waste away. 

The false ones love falsehood, and

 forget their Creator.  

With whom should I become friends, 

if all the world shall pass away?  

False is sweetness,

false is honey; 

through falsehood, 

boat-loads of men have drowned.

Nanak speaks this prayer: 

without You, Lord, 

everything is totally false. 


ਇਹ ਸਾਰਾ ਜਗਤ ਛਲ ਰੂਪ ਹੈ (ਜਿਵੇਂ ਮਦਾਰੀ ਦਾ ਸਾਰਾ ਤਮਾਸ਼ਾ ਛਲ ਰੂਪ ਹੈ), (ਇਸ ਵਿਚ ਕੋਈ) ਰਾਜਾ (ਹੈ, ਤੇ ਕਈ ਲੋਕ) ਪਰਜਾ (ਹਨ)। ਇਹ ਭੀ (ਮਦਾਰੀ ਦੇ ਰੁਪਏ ਤੇ ਖੋਪੇ ਆਦਿਕ ਵਿਖਾਣ ਵਾਂਗ) ਛਲ ਹੀ ਹਨ।

(ਇਸ ਜਗਤ ਵਿਚ ਕਿਤੇ ਇਹਨਾਂ ਰਾਜਿਆਂ ਦੇ) ਸ਼ਾਮਿਆਨੇ ਤੇ ਮਹਲ ਮਾੜੀਆਂ (ਹਨ, ਇਹ) ਭੀ ਛਲ ਰੂਪ ਹਨ, ਤੇ ਇਹਨਾਂ ਵਿਚ ਵੱਸਣ ਵਾਲਾ (ਰਾਜਾ) ਭੀ ਛਲ ਹੀ ਹੈ।

ਸੋਨਾ, ਚਾਂਦੀ (ਅਤੇ ਸੋਨੇ ਚਾਂਦੀ ਨੂੰ ਪਹਿਨਣ ਵਾਲੇ ਭੀ) ਭਰਮ ਰੂਪ ਹੀ ਹਨ,

ਇਹ ਸਰੀਰਕ ਅਕਾਰ, (ਸੋਹਣੇ ਸੋਹਣੇ) ਕੱਪੜੇ ਅਤੇ (ਸਰੀਰਾਂ ਦਾ) ਬੇਅੰਤ ਸੋਹਣਾ ਰੂਪ ਇਹ ਭੀ ਸਾਰੇ ਛਲ ਹੀ ਹਨ (ਪ੍ਰਭੂ-ਮਦਾਰੀ ਤਮਾਸ਼ੇ ਆਏ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ੁਸ਼ ਕਰਨ ਵਾਸਤੇ ਵਿਖਾ ਹਿਹਾ ਹੈ)।

(ਪ੍ਰਭੂ ਨੇ ਕਿਤੇ) ਮਨੁੱਖ (ਬਣਾ ਦਿੱਤੇ ਹਨ, ਕਿਤੇ) ਇਸਤ੍ਰੀਆਂ; ਇਹ ਸਾਰੇ ਭੀ ਛਲ ਰੂਪ ਹਨ, ਜੋ (ਇਸ ਇਸਤ੍ਰੀ ਮਰਦ ਵਾਲੇ ਸੰਬੰਧ-ਰੂਪ ਛਲ ਵਿਚ) ਖਚਿਤ ਹੋ ਕੇ ਖ਼ੁਆਰ ਹੋ ਰਹੇ ਹਨ।

ਇਹ ਸਾਰਾ ਜਗਤ ਹੈ ਤਾਂ ਛਲ, ਪਰ ਇਹ) ਛਲ (ਸਾਰੇ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ) ਪਿਆਰਾ ਲੱਗ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਸ਼ਹਿਦ (ਵਾਂਗ) ਮਿੱਠਾ ਲੱਗਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਹ ਛਲ ਸਾਰੇ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਡੋਬ ਰਿਹਾ ਹੈ।


(ਇਸ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟਮਾਨ) ਛਲ ਵਿਚ ਫਸੇ ਹੋਏ ਜੀਵ ਦਾ ਛਲ ਵਿਚ ਮੋਹ ਪੈ ਗਿਆ ਹੈ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਇਸ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਭੁੱਲ ਗਿਆ ਹੈ।

(ਇਸ ਨੂੰ ਯਾਦ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਗਿਆ ਕਿ) ਸਾਰਾ ਜਗਤ ਨਾਸਵੰਤ ਹੈ, ਕਿਸੇ ਨਾਲ ਭੀ ਮੋਹ ਨਹੀਂ ਪਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ।


(ਹੇ ਪ੍ਰਭੂ!) ਨਾਨਕ (ਤੇਰੇ ਅੱਗੇ) ਅਰਜ਼ ਕਰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਤੈਥੋਂ ਬਿਨਾ (ਇਹ ਜਗਤ) ਛਲ ਹੈ ।

Tuesday, 17 January 2017

The Whole World's your Trader,

#You're #My_True_Banker,
#O_Lord! The Whole World's #Your_Trader.

You #Fashioned all #Vessels,
O Lord & that which #Dwells within also yours.

Whatever you place in that Vessel, that Alone Comes out again what can #The_Poor, #Creatures do?

The_Lord has given #The_Treasure of #His_Devotional_Worship to #Servant _Nanak.

#सच_साहु_हमारा_तूं_धणी...

हे प्रभु! तूं हमारा सच्चा, कायम रहने वाला धनी-सेठ है, तेरा बनाया हुआ जगत, तेरे दिए हुए #नाम की पूंजी से 'नाम' का व्यापार करने आया हुआ है ।
हे प्रभु! यहां के सभी जीव-जंतु, जो तुने ही पैदा किये हैं, जिनके अंदर #जीवन रूपी वस्तु ठहरी है ।
कोई बेचारा जीव केवल अपनी मेहनत से कुछ नहीं कर सकता, तूं जो गुण-अवगुण रूपी पदार्थ इस शरीर में डालता है, वही निकलता है।
हे हरि! तूं अपने दास नानक को भी कृपा करके अपनी भक्ति का खजाना बख्शा है।

#Aasa_Di_Waar.  #SGGS449. Cont..

Monday, 16 January 2017

Deeply Thoughts.

गहरी बात लिख दी है किसी नें 😇😇

👉बेजुबान पत्थर पे लदे है करोडो के गहने मंदिरो में।
उसी दहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हे हाथो को देखा है।।

👉सजे थे छप्पन भोग और मेवे मूरत के आगे।
बाहर एक फ़कीर को भूख से तड़प के मरते देखा है।।

लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार।
पर बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है।।

👉वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हॉल के लिए।
घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई को बदलते देखा है।

👉सुना है चढ़ा था सलीब पे कोई दुनिया का दर्द मिटाने को।
आज चर्च में बेटे की मार से बिलखते माँ बाप को देखा है।।

👉जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन।
आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है।

👉जिसने न दी माँ बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी।
आज लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा है।।

👉दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था  जिस बेटी को जबरन बाप ने।
आज पीटते उसी शौहर के हाथो सरे राह देखा है।।

👉मारा गया वो पंडित बे मौत सड़क दुर्घटना में यारो।
जिसे खुद को काल, सर्प, तारे और हाथ की लकीरो का माहिर लिखते देखा है।।

👉जिसे घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों।
आज उसी आँगन में खिंचती दीवार को देखा है।।

👉बन्द कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर।
अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा।।

👉आत्म हत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर।
अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता।।

👉गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है उन्होंने देख लिया कि।
इंसान हमसे अच्छा नोंचता  है।।

👉कुत्ते कोमा में चले गए, ये देखकर।
क्या मस्त तलवे चाटते हुए इंसान देखा है।।

सुभ प्रभात

Care Taker

प्रश्न है कि कुदरत का देख-भाल करने वाला (Care-Taker) कौन है?

इसका उत्तर स्पष्ट है कि कुदरत का प्रबंधक (Manager) है #मनुष्य_मन ।
फिर क्या मनुष्य का मन कुदरत से बाहर है?
कदाचित नहीं! मनुष्य का मन कुदरत का ही पार्ट है, उसका हिस्सा होते हुए भी कुदरत को देख रहा है। यह भी कहा जा सकता है कि मनुष्य मन कुदरत का साथी है, जिसका वो आप ही एक अंग है ।

इसका अर्थ हुआ कि कुदरत, मन के फैंसले आप देखता है या मन, कुदरत के द्वारा अपने आप को देखता है, इसी का नाम ही #विस्माद है। मन का अपने आप को देखना ही एक आश्चर्य है, करिश्मा है ।

अद्भुत कौतुक है, जिस द्वारा मन जुड़ जाता है, अथवा समाधि में लीन हो जाता है तथा वो सारी कुदरत मनोमय, चेतन सरूप सांस लेती तथा जीती जागती सुंदरता प्रतीत होती है।

इस सहज से स्वप्न में जहां उसको "व्यापक नाम" की झलक झलकती है, वहां उसको अपने आप में ही 'नाम' की व्यापकता  प्रत्यक्ष हो जाती है। अपने मन में 'नाम' को व्यापक देखना ही 'नाम की अंनत (अंतरस्थ) रूप" है ।

जब तीसरे गुरु, गुरु अमर दास जी 'मन तूं जोति सरूप है अपणा मूल पछाण" का उपदेश देते हैं तो आप का इशारा इस 'अंतरस्थ नाम'  का ही लक्ष्य होता है।
गुरु नानक जी का बचन;