#निरंकार (Formness) जब #निर्गुण (Attribute) से #सर्वगुण (Perfect) रूप धारण करता है तो निर-आकार से अलग हो कर बैठ बह नहीं जाता, बल्कि #नाम के रूप में अपनी सर्वगुण-ता के #अंतर्गत ही आसन लगा कर बैठ जाता है, तथा फिर किसी चाव् में प्रसन्नचित्त होकर उसकी देखभाल भी करता है।
अपनी सर्व-गुणता में निरंकार का 'नाम' के रूप में आसन लगाकर बैठना ही 'नाम' का व्यापक रूप (Widley) है ।
प्रेमी जब कुदरत को देखता है, तो उसको, उसमें, उसके व्यापक रूप की झलक मिलती है तथा उसका मन #विस्माद (आश्चर्य/Wonder) में आ जाता है । एकाग्र हो कर समाधि में स्थिर हो जाता है। उसकी अनुभवी आँखें खुल जाती हैं तथा उसको प्रत्यक्ष-रूप में #ब्रह्म (Creator) अपने #शब्द में भरपूर है ।
व्यापक 'नाम' सभी सर्व-गुणता में इस तरह बंधा हुआ है--जिस तरह माला के मोती में धागा । यदि माला से धागा खींच लिया जाए तो माला सरूप समाप्त हो जाएगा। सभी मोती बिखर जाएंगे।
बस, इस इसी तरह ही इस व्यापक 'नाम' के धागे को 'नाम' यदि अपनी निर-गुणता में खींच लिया जाए तो सभी सर्व-गुणता (खंड-ब्रह्मण्ड अथवा सब कुछ) ध्वस्त हो जाएगी ।
कुल मिलाकर बात यह है कि जिस व्यापक शक्ति के सहारे यह सभी ब्रह्माण्डी रचना अपने-अपने ठिकाने पर टिकी किसी नियमबद्ध ढंग से अपना धर्म निभा रही है, ही "व्यापक नाम" है ।
#Courtesy: (ਸਿਮਰਨ ਦੇ ਤਿੰਨ ਰੂਪ)
Principal Bharat Singh 'Hira'
गुरु ग्रन्थ साहिब जी से पुष्टि; (284)
No comments:
Post a Comment