Monday, 16 January 2017

Care Taker

प्रश्न है कि कुदरत का देख-भाल करने वाला (Care-Taker) कौन है?

इसका उत्तर स्पष्ट है कि कुदरत का प्रबंधक (Manager) है #मनुष्य_मन ।
फिर क्या मनुष्य का मन कुदरत से बाहर है?
कदाचित नहीं! मनुष्य का मन कुदरत का ही पार्ट है, उसका हिस्सा होते हुए भी कुदरत को देख रहा है। यह भी कहा जा सकता है कि मनुष्य मन कुदरत का साथी है, जिसका वो आप ही एक अंग है ।

इसका अर्थ हुआ कि कुदरत, मन के फैंसले आप देखता है या मन, कुदरत के द्वारा अपने आप को देखता है, इसी का नाम ही #विस्माद है। मन का अपने आप को देखना ही एक आश्चर्य है, करिश्मा है ।

अद्भुत कौतुक है, जिस द्वारा मन जुड़ जाता है, अथवा समाधि में लीन हो जाता है तथा वो सारी कुदरत मनोमय, चेतन सरूप सांस लेती तथा जीती जागती सुंदरता प्रतीत होती है।

इस सहज से स्वप्न में जहां उसको "व्यापक नाम" की झलक झलकती है, वहां उसको अपने आप में ही 'नाम' की व्यापकता  प्रत्यक्ष हो जाती है। अपने मन में 'नाम' को व्यापक देखना ही 'नाम की अंनत (अंतरस्थ) रूप" है ।

जब तीसरे गुरु, गुरु अमर दास जी 'मन तूं जोति सरूप है अपणा मूल पछाण" का उपदेश देते हैं तो आप का इशारा इस 'अंतरस्थ नाम'  का ही लक्ष्य होता है।
गुरु नानक जी का बचन;

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