#नाम (पार्ट-6)
#अपरंपर (अंनत/infinite) रूप में "नाम', वो अनहद (एक-रस/instructs) नाद है, जो #सुंन_समाधी (सुन्न अवस्था,जहां कुछ न हो 'टिकाऊ') में निरंतर गूंज रहा है। इस सुंन समाध में "निरंकार सुंन समाधी आपि" है तथा उसके इस रूप में #शब्द अथवा "नाम" #अभेद (inscrutable) है।
जब योगियों ने गुरु नानक जी से पूछा कि "शब्द कैसे बसता है? गुरु जी ने उत्तर दिया--""शब्द का वास 'अलख' (अदृश्य/unseen) में है"' ।
स्पष्ट है कि "शब्द' निरंकार से 'अभेद' है तथा 'अनहद नाद' (sound current) बन कर निरंतर गूंज रहा है ।
#Courtesy: (ਸਿਮਰਨ ਦੇ ਤਿੰਨ ਰੂਪ)
Principal Bhagat Singh 'Hira'
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