Monday, 30 January 2017

His Command Can't be Described.

#हुकम_न_कहिआ_जाई' (Part-3)
His Command Can't Be Described.

...पर जो 'हुकम न कहिआ जाई' है, समझा (बुझा) कैसे जाए?

यह #Ego (हउमै) से पैदा हुई है तथा  हुक्म समझने-बुझने से मिट जाती है ।
हुक्म को बुझना भी #दुखभंजन (Breaking Sorrow) है तथा #आंनद प्रदान करती है ।
तो फिर #हुकमी_बन्दा (Slave Person)बन कर हुक्म को बुझना ही रियल में सुखी होना है ।
इस परमात्मा में परात्म ने अपनी #हूँ को मिटाना है, अपना तन, मन सौंपकर, Surrender करना है।
हुक्म मानना तथा अपने पति-परमेश्वर पर #Sacrifice (क़ुर्बान) होना है, #सिख_मार्ग यही है;-

तन मन धन सभ सऊपि गुर कऊ,
हुकमि मंनिम पाईऎ।।

Cont..

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