Sunday, 12 June 2016

उसका नाम क्यों भूलूँ

हे माई !
वो नाम क्यों भूलुं ?
वो मालिक सच्चा है ।।1।।
प्रभु का ‘नाम’ लेता हूँ,
तो जीवित रहता हूँ ।
उसे भूल जाऊँ तो मर जाऊँ ।
सच्चा नाम लेना बहुत कठिन है । पर,
जो सच्चे नाम की भूख लग जाए तो,
उस भूख से सारे दुख समाप्त हो जाते हैं । 1।
सच्चे नाम की थोड़ी बहुत उपमा करते हुए लोग हार गए, पर उस का मुल्य ना पा सके । यदि सभी मिलकर भी कहने लगें  तो
भी ना वो बड़ा हो जाएगा ना घटेगा ।2।
वो मरता नहीं, उस के लिए कोई शौक नहीं, वो दिये जा रहा है,
उसकी सामग्री समाप्त नहीं होती ।
उसका विशेष गुण यही है कि
उस जैसा और कोई नहीं ।
ना कोई हुआ है व ना कोई होगा ।3।
जितना बड़ा तूं आप है,
उतनी बड़ी तेरी बक्शीश है ।
जिस ने दिन किया है फिर रात भी बना दी है ।
ऐसे मालिक को जो भुलाते हैं,
वो कमजात हैं ।
हे नानक !
‘नाम’ के बिना लोग अति नीच हैं ।4।3।
SGSS. रचना: क्षी गुरु नानक देव जी, राग: आसा, बाणी: रहरासि साहिब, पन्ना-15

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