#गुरद्वारा_स्थान_के_पाँच_उद्देश्य ;
कल रात को एक एप्प पर एक भाई जी की कथा चल रही थी । जिसमे उन्होंने "गुरद्वारा साहिब" के पांच उद्देश्य बताए । एक, कथा कीर्तन, दूसरा "भूखे" को लंगर, तीसरा बच्चों को शिक्षा, चौथा, राहगीर को बिस्तरा, पांचवां, डिस्पेन्सरी ।
1,#कथा_कीर्तन; गुरद्वारा स्थान छोटा भी है, ग्रन्थी सूझवान पढ़ा-लिखा होना चाहिये । जो हमारे बच्चों के गुरबाणी और इतिहास के सवालों के सही सही जवाब दे सके । यदि ग्रन्थी स्टाफ को प्रबंधक पर्याप्त तनखाह नहीं दे सकते तो संगत स्वंय मिलकर दस्वन्ध एकत्र कर के दे ।
2, #लंगर; किसी विशेष समागम के साथ साथ आए गए गरीब गुरबे, भूखे के लिये लंगर ना सही कम से कम रसद (राशन) की व्यवस्था हो जिसे जरूरत मंद वहीं पका ले या दो- चार समय के लिये राशन घर ले जाए ।
3, #शिक्षा; यदि गुरद्वारा स्थान में स्कुल के लिये जगह नहीं, कोई बात नहीं । दरबार साहिब हाल में ही ग्रन्थी सहित सभी संगत में से सूझवान, रिटायर्ड अधिकारी, पढ़ी-लिखी बीबीआं (बहनें) समय निकाल कर अपनी अपनी ड्यूटी लें और किसी भी समाज के बच्चों को पढ़ा कर अपना योगदान दें ।
4, #बिस्तरा; यदि गुरु स्थान में अतिरिक्त कमरे ना भी हों, कुछ बिस्तरे जरूर होने चाहिए जो राहगीर को दो-चार घण्टे के लिये अपनी थकावट उतारने को उचित जगह मिल सके ।
5, #डिस्पेंसरी; यदि गुरु स्थान छोटा है तो कोई बात नहीं, दो-चार घण्टे के लिये डॉक्टर और जरूरत मन्द दवाइयाँ उपलब्ध होनी चाहिए । यदि हम में से कोई डाक्टर है तो सही किसी पेशेवर से यह सेवा ली जा सकती है । गोलक से या संगत आपस में सहयोग करके ।
Gurmeet Singh Gambhir
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