Thursday, 23 June 2016

रट्टा लगाना

रटा हुआ (repeating) ज्ञान दिलो-दिमाग को स्थिर नहीं करता । पूजा-पाठ के दौरान ध्यान दूसरी दिशा में जाए,लाजमी है । अंतर्ध्यान के लिये ज्ञान को अपनाना होगा।

ड्राइविंग, टाइपिंग की जब आदत बन जाए तो हाथ पांव अपना काम करते हैं और दिमाग अपना कोई दूसरा काम करता है जैसे मोबाइल सुनना, दूसरे से बातचीत करना । क्योंकि आपके पास ध्यान और ज्ञान दोनों हैं । जिसकी हमें आदत सी हो गई है । यही अवस्था (पाठ या मन्त्रों का उच्चारण) प्रभु को ध्यान करने में है । पर यदि हमें ज्ञान नहीं तो ध्यान कैसे लग सकता है ?

सो पूजा-पाठ के सम्मान के साथ प्रभु के गुणों का बखान, उसके नियम का पालन, उसके हुकूम की तामील, व् उसका कृतज्ञ होना जरूरी है ।

प्रभु को सिर्फ जानना ही जरूरी है । अंतर्ध्यान की शिक्षा अपने आप से मिलेगी ।

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