सो दर केहा, सो घरु केहा, जितु बहि सरब समाले ||
वाजे नाद अनेक असंखा, केते वावणहारे ||
केते राग परी सिउ कहिअनि, केते गावणहारे ||
हे निरंकार ! वह दर-घर बड़ा ही आश्चर्युक्त है जहाँ बैठ कर तू सारे जीवों को संभाल रहा है | तेरी इस रची हुई कुदरत में अनेक तथा अनगणित बाजे तथा राग हैं, अनन्त ही जीव उन बाजों को बजाने वाले हैं, रागनियों सहित अनन्त ही राग कहे जाते हैं तथा अनेक ही जीव इन रागों को गाने वाले है जो तुझे गा रहे हैं |
गावहि तुह्नो, पउणु पाणी बैसंतरु, गावै राजा धरमु दुआरे ||
गावहि चितु गुपतु लिखि जाणहि, लिखि लिखि धरमु वीचारे |
गावहि तुह्नो, पउणु पाणी बैसंतरु, गावै राजा धरमु दुआरे ||
गावहि चितु गुपतु लिखि जाणहि, लिखि लिखि धरमु वीचारे |
हे निरंकार ! पवन, पाणी, अग्नि तेरे गुण गा रहे हैं | धर्मराज तेरे दर -घर खड़ा होकर तेरी बडाई कर रहा है | वह चित्र गुप्त भी, जो जीवों के अच्छे बुरे कर्मों के लेखे लिखना जानते हैं तथा जिन के लिखे हुये को धर्मराज विचार करता है, तेरे गुण गा रहे हैं |
गावहि इसरू बरमा देवी, सोहनि सदा सवारे ||
गावहि इंद् इदासणि बैठे, देवतिआ दरि नाले ||
...हे परमात्मा ! देवियाँ, शिव तथा ब्रह्मा जो तेरे सँवारे हुये हैं, तुझे गा रहे हैं | कई इंद्र अपने तख़्त पर बैठे हुये देवताओं सहित तेरे दर पर तुझे सराह रहे हैं |...
गावहि इसरू बरमा देवी, सोहनि सदा सवारे ||
गावहि इंद् इदासणि बैठे, देवतिआ दरि नाले ||
...हे परमात्मा ! देवियाँ, शिव तथा ब्रह्मा जो तेरे सँवारे हुये हैं, तुझे गा रहे हैं | कई इंद्र अपने तख़्त पर बैठे हुये देवताओं सहित तेरे दर पर तुझे सराह रहे हैं |...
गावहि सिध समाधी अंदरि, गावहि साध विचारे ||
गावानि जति सती संतोखी, गावहि वीर करारे ||
सिद्द लोग समाधियां लगा लगा कर तुझे गा रहे हैं, साधु विचार कर कर तुझे सराह रहे हैं | जती, दानी तथा संतोष युक्त मनुष्य तेरे गुण गा रगे हैं तथा अनन्त बलशाली शूरवीर तेरा गुणगान कर रहे हैं |
गावनि पंडित पढनि रखीसर, जुगु जुगु वेदा नाले ||
गावहि मोहणीआ मनु मोहनि, सुरगा मछ पइआले ||
गावहि मोहणीआ मनु मोहनि, सुरगा मछ पइआले ||
हे परमात्मा ! पंडित तथा महा ऋषि, जो वेदों को पढते हैं, वेदों सहित तुम्हें गा रहे हैं | सुंदर स्त्रियाँ जो स्वर्ग, मात् लोक तथा पाताल में अर्थात प्रत्येक स्थान पर मनुष्य का मन मोह लेती हैं, तुम्हें गा रही हैं |
गावनि रतन उपाए तेरे, अठसठि तीरथ नाले ||
गावनि रतन उपाए तेरे, अठसठि तीरथ नाले ||
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