Monday, 3 December 2012

गावै को ताणु हौवै........(३) जपु जी साहिब |


गावै को ताणु हौवै किसै ताणु ।।
गावै को दाति जाणै नीसाणु ।।

जिस किसी मनुष्य में सामर्थ्य होती है वह परमात्मा के बल का गायन करता है (भाव, उसका गुण-कीर्तन करता है, उसके उन कार्यों का कथन करता है जिनसे उसकी अपार शक्ति प्रकट हो) । कोई मनुष्य उसके द्वारा दिये गये पदार्थों का ही गुण-गान करता है (क्योंकि इन देय-पदार्थों को वह परमात्मा की कृपा का) निशान समझता है।





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