Wednesday, 13 July 2016

मनि_जीतै_जगु_जितु

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मन क्या है ? मन वो है जो मनन करे या सोचे ।
कहा जाता है कि मन संकल्प तथा विकल्प स्वरूप है ।
मन में हर पलें असंख्य विचार आते जाते हैं और उनमें बदलाव होता रहता है ।
मन बहुत चंचल है, कहीं एक स्थान टिकता नहीं, दौड़ता रहता है ।
मन में जब कभी विचार आता है, तभी दूसरे क्षण विचार बदल जाता है तथा इस प्रकार विचारों का तांता लगा रहता है ।
यदि हम व्यस्त रहते हैं तो मन भी भटकता नहीं है जिससे मन की चंचलता कम हो जाती है ।
पर जैसे ही हम व्यस्तता से मुक्त होते हैं, मन फिर भटकना शुरू कर देता है  तथा इस दौरान कहीं से भी मन में अनजाने विचार आ धमकते हैं ।
ये अनचाहे, अनियंत्रित, अनुपयोगिक, नाकार्त्मक विचार ही शैतान हैं ।
कहने का मतलब यह है कि जिस तरह शैतान या शैतानी उपज लोग खाली घरों में कब्ज़ा कर लेते हैं, इसी तरह हमारे नकारत्मक विचार ही होते हैं जिन के कारण मन में भय, निराशा, तनाव, कुंठा,तथा दबाव जैसे घातक मन के भाव पैदा हो जाते हैं तथा यही मन के भाव हमें मानसिक रूप से बीमार कर देते हैं ।
#संकल्प;
मन को भटकने मत दो ।
जब मन को व्यस्त (busy)रखना हो उसमें सकारत्मक सोच की ओर प्रेरित करो ।
नाकार्त्मक (Negetive)  सोच से बचने के लिये सकारात्मक (positive) चीजों को पसन्द कर उसे उसी वक्त मन के सपुर्द (surrender) कर देना चाहिए ।

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