Monday, 18 July 2016

हे परमात्मा !

हे परमात्मा !
यदि तुम स्वयं अपने गुण मेरे में पैदा ना करो तो मेरे से भक्ति नहीं हो सकती ।
मेरी कोई हस्ती नहीं कि मैं
आपके गुण गा सकूँ,
यह सब आपकी  ही कर्पा है ।

हे निरंकार !
तेरी  सदा ही जय हो !
तूँ आप ही माया हैं ,
आप ही वाणी  हैं ,
तूँ आप ही ब्रह्मा हैं,
भाव यह सृष्टि को बनाने  वाले माया, वाणी, या बरह्मा तुझसे  अलग हस्ती वाले नहीं हैं, जो लोगों ने  मान रखे  हैं ।
तूँ सदा ही स्थिर है, सुन्दर है,
तेरे मन में सदा ही खुशहाली है ।
तूँ ही जगत रचने वाला  हैं,
तुझे ही जानकारी है कि तुम कैसे बने ।

(जपु जी साहिब)

No comments:

Post a Comment