भगवान् भाव प्रिय है | वे चड़ाए गए पदार्थ को नहीं आपितु भक्त के भाव देखते हैं | भाव से ही परमात्मा अविलम्ब मिल जाते हैं | भगवान् संसार के समस्त, सुख,शान्ति,भोग,ऐश्वर्य, प्रभु के दुर्लभ प्रेम भक्ति को प्रदान करा देता है |
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