*काश !* हमें गुरुद्वारा साहिब जी के *निशान साहिब*' के नाम *'निशान* और अधिक से अधिक *ऊंचाई* रखने का असल उदेश्य समझ आ सके । ताकि;-
कोई मुसाफिर शरीर दूर से इस निशान को देख कर *सराय व्यवस्था* से आराम पा सके ।
कोई भूखा-प्यासा शरीर दूर से ही इस निशान साहब को देखकर *लंगर व्यवस्था* इस तन की भूख मिटा सके ।
कोई बीमार शरीर दूर से ही इस निशान को देख कर *चिकत्सा व्यवस्था*' मुफ़्त के इलाज़ और दवाइयों से अपने शरीर के दुःख भगा सके ।
कोई निर्वस्त्र शरीर दूर से ही इस निशान को देख कर *बिस्तर व्यवस्था* से सर्द और गरम हवाओं में अपना तन ढंकने को कपड़ा पा सके ।
कोई ज्ञानहीन शरीर इस दूर से ही इस निशान को देख कर *शिक्षा व्यवस्था* से पारम्भिक शिक्षा पा सके ।
कोई पापी और अपराधी शरीर दूर से ही इस निशान को देख कर *गुरमत कक्षा व्यवस्था*' से इस गुरद्वारा साहिब में रखे गुरु ग्रन्थ साहिब तथा उनकी व्याख्या करती पुस्तकों से अपनी संसारिक तथा आध्यात्मिक अवस्था की शिक्षा हासिल करते हुए स्वंय तथा औरों को इस अंध विश्वासी, कर्मकांड से भरी दुनिया को अँधेरे से दूर करे व् करवा सके ।
गंभीर
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