वो दर कैसा है ? वो घर कैसा है ?
जहाँ बैठ कर तूं सभी का संभाल कर रहा है । तेरे बेशुमार किस्म के अनगिनत संगीतग्य साज बजते हैं ।
व अनेकों ही तेरे बजाने वाले हैं । तुझे गाने वाले हैं ।
तेरे कई गायक अनेकों राग-रागनि सहित, तुझे गाते हैं।
हवा, पानी व अग्नि गा रही है ।
तेरे दर पर धर्म अधिकारी बैठ तुझे गाते हैं । चित्र व गुप्त, जो लिखना जानते हैं । जिनकी लिखत धर्म राज विचारता है ।
सब तुझे गाते हैं, तेरे सजाये हुए सदैव सुन्दर शिवजी, ब्रह्मा व देवी आदि तुझे गा रहे हैं । अपने सिंघासन ऊपर बैठे इन्द्र अपने देविओं की मंडलियों सहित तेरी शोभा कर रहे हैं। समाधियों में लीन जोगीश्वर व विचारों में लगे साधू लोग तुझे गाते हैं ।
संयमशील, सच में विचरने वाले, संतुष्ट पुरुष व जस करते हैं ताकतवर योधा ।
तेरी ऊपमा करते हैं, बड़े बड़े ऋषि, सहित सारे जुगों के वेधों को पढ़ने वाले विद्वान ।
तुझे गाती हैं, स्वर्ग, मात व पाताल लोक की मन मोह लेने वाली सुंदरियाँ ।
तेरी कीर्ति करते हैं, तेरे पैदा किये हुए अमूल्य पदार्थ, सहित अड़सठ तीरथ ।
तुझे गाते हैं, बड़े-बड़े ज़ोर वाले बलवान योद्धे तुझे गाती हैं ,चारों तरह की जीव रचनाएं । तुझे गाता है, सारा ब्रामंड, उसके अलग अलग भाग ।
तुझे गाते हैं, देश, जो तुमने जगह-जगह टिका के रखे हैं ।
तुझे वही गाते हैं, जो तेरे भक्त हैं, जो तुझे अच्छे लगते है ।
तथा जो प्रेम-मयी आनंद में तेरी मत से रंगे हैं । और भी अनेक तुझे गाते हैं जो मेरे ध्यान में नहीं आ रहे ।
नानक, उनके बारे में क्या विचार कर सकता है ।
वो मालिक सच्चा है, उसकी प्रशंसा सच्ची है, वो सदा कायम रहने वाला है ।
जिस ने इस सृष्टि की रचना की है, वो अब भी है, सदा होगा, ना वो जाता है ना जाएगा । जिस ने अनेकों रंग व कई तरह की माया रूप सृष्टि साज़ी है ।
वो अपनी प्रशंसा से आप ही उसकी संभाल करता है ।
जो उसको भाता है वही करता है, उसको हुकुम नहीं किया जा सकता ।
वो बादशाह है, बादशाहों का मालिक है ।
हे नानक ! हमें उसकी रज़ा में रहना बनता है ।।1।।
रचना: श्री गुरु नानक देव जी, राग: आसा, बाणी: सो दर (रहिरास साहिब) पन्ना:14
गुरु ग्रन्थ साहिब जी ।
Saturday, 10 June 2017
वो दर कैसा है?
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