एक बार एक किसान घोड़े पर अनाज की बोरी ले कर जा रहा था। अनाज को पीसाने के लिए जा रहा था। पर अचानक से बोरी घोड़े पर से नीचे गिर गई।
उस अनाज की बोरी को घोडे पर चढाने का किसान ने खुब प्रयत्न किया परंतु अकेला होने से और उसमे वजन ज्यादा होने के कारण वह उस बोरी को उठाकर घोडी पर रखने मे असमर्थ हो गया। उसके मन मे विचार आया। मै अकेला उठा नही सकता हूँ। कोई राहगीर आ जाए और मदद कर दे तो क्षण भर मे इसे घोडे चढाया जा सकता है। वह रास्ते पर रहागीर की राह देखने लगा। पर दूर तक उसे कोई नजर नही आया। वह मदद के लिए किसी इन्सान का इन्तजार कर रहा था ।
रस्ते पर खड़े होकर वह मार्ग पर कोई आये उसका इन्तज़ार करने लगा। तभी दूर से उसे घोड़े की आवाज सुनाई दी। उस दिशा मे जब उसने देखा तोउसे लगा की कोई घुड सवार आ रहा है।
किसान को लगा चलो अच्छा है। वह पास मे आएगा तो मदद के लिए विनंती करूंगा। फिर उसकी मदद से इस बोरी को चडाकर मेरी मंजिल की आगे बढूगा।
परंतु जैसे ही घोडा उसके पास मे आया घोड़े को देखकर वह हताश हो गया। क्योंकि उस घोडे के उपर नगर सेठ सवार थे। इतने बडे आदमी को अनाज की बोरी उठाने का नही बोल सकते है। किसान का चेहरा हताश हो गया। वह अपने घोड़े और बोरी के पास मुँह को निचे झूकाये खडा था। वह नगर सेठ जैसे बडे आदमी के पास इस काम के लिए मदद की गुहार नही कर पा रहा था।
नगर सेठ उसके पास मे आये। नगर सेठ बडे ही समझदार और सरल थे। वह किसान की मनोगत भावो को समझ गए थे। वह खुद के घोडे को रो कर घोडे पर से उतरे और किसान के पास गए। उस किसान से बोले- तुम्हे यह बोरी घोडे पर चढानी है और तु अकेला नही चढा पा रहा है। चल हम दोनो मिलकर इसे घोडे पर चढा देते है।
नगर सेठ के इन वाक्य को सुन कर वह स्तब्ध हो गया। नगर सेठ तो बोरी को उठाने को बढ गये यह देखकर उसे कुछ समझ मे नही आया। वह भी नगर सेठ के साथ बोरी उठाने लगा। दोनो ने मिलकर उस अनाज की बोरी को आखिरकार घोडे पर चढा ही दिया।
उस किसान ने हाथ जोड़कर उस नगर सेठ से कहा- सेठजी आपका खुब- खुब आभार। मेरे जैसा गरिब आपके इस उपकार का बदला कैसे चुका सकता है?
नगर सेठ उससे हँसते- हँसते बोले- आदमी तुझे बदला तो चुकाना ही पडेगा। और कैसे वह तो बहुत ही सरल है। ” तु जब भी किसी को मुसीबत मे देखे तो माँगे बिना उसे मदद करने पहुंच जाना। इस अवसर को तू चुकना मत और इसी तरह तू मेरे उपकार का बदला चुका सकता है।”
जीवन मे एक मात्र तरिका है जिससे हम उपकार के ऋण से मुक्त हो सकते है। इसके अलावा और कोई ताकत नही जिसके माध्यम से उपकार का ऋण चुका सके।
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