नीला तारा
देखो! क्या तकदीर सड़ी,
बीबी इन्द्रा जिद् फड़ी।
पन्थ खालसा मार मुकाना,
एक नुक्ते पर आज अड़ी।
की ना कोई सोच विचार,
दिल्ली से ले फोज़ चढ़ी।
सिखों ने ऐसी जंग लड़ी,
लाशों के ऊपर लाश चढ़ी।
जैसे धुल के उड़ी हैं फौजें,
सिंघों लगाई मौत झड़ी।
हो गया सब कुछ उल्टा पलटा,
उतर गई मस्ती, सिर चड़ी।
ये क्या हो गया,क्या कर बैठी
रोए पीटे सहज' खड़ी।
बोल तुझे क्यों कौन छुड़ाए,
अब नहीं आती वो घड़ी ।
खुद की कब्र ही खोद बैठी,
अपनी ना तक़दीर पढ़ी।
पंथ खालसा मार मुकाना,
काठ की घोड़ी आप चढ़ी।
हिंदी अनुवाद ।
No comments:
Post a Comment