Friday, 23 June 2017

विडंबना!

*एक तरफ तो राष्ट्रपति द्वारा मंज़ूर संविधान में छोटी से छोटी संस्था से लेकर लोकसभा के चुनाव गुप्त तरीके से करवाने का प्रावधान है, दूसरी ओर  राष्ट्रपति के चुनाव में अलग अलग राजनीतिक पार्टियां स्वंय राष्ट्रपति के चुनाव में सदस्य  को अपने मत  को स्वंय अपनी मर्ज़ी से देने का अधिकार नहीं है , जिसके लिए उसके नेता के कहे मुताबिक दबाकर व्हिप जारी होता है! जिसके खिलाफ जाने पर सदस्य को अपनी सदस्य खोने का भय है।*
*Seriously*

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