#साथ_कुछ_नहीं_जाएगा ।
मुझे याद है कि किसी परिवार के एक सदस्य का कोई आपरेशन होना था । घर के सभी सदस्य, सम्बंधी, मित्र 'बीमार' व्यक्ति को हिम्मत दे रहे थे कि "तुम चिंता ना करो, हम तुम्हारे साथ हैं ।" "हमारे होते हुये तुम परेशान क्यों होते हो।" और "घबरा मत, हम सब हैं ना ।" फिर जब अस्पताल में आपरेशन वाले कमरे में ले जाया गया तो स्टाफ ने किसी को भी अंदर नहीं जाने दिया ।
अंदर कमरे में उस बीमार व्यक्ति को अकेले में ही बेहोश कर आपरेशन किया गया । उसने वहां का डर, पीड़ा 'अकेले' ही सहन की । और होश रहने तक यही सोचता रहा कि मेरे सगे सम्बंधी एक निश्चित जगह तक ही साथ दे सकते थे, अब मेरे साथ जो भी होना है या बीतना है, अकेले ही भुक्तना होगा ।
बिलकुल यही हालात हमारे साथ तब भी होने हैं जब हमारा आखरी समय आएगा, जो भी निश्चित है । जब साँसें रुक जाएगीं, दिखना, सुनना बंद हो जाएगा । ये बच्चे, परिवार, धन पदार्थ सब उस आपरेशन थियेटर की तरह ही पीछे रह जाएंगे ।
"सुत स्मप्ति बनिता विनोद।।
छोडि गए बहु लोग भोग ।।1।।
हैवर गैवर राज रंग।।
तिआगि चलिओ है मुड़ नंग ।।2।।
चोआ चंदन देह फूलिआ।।
सो तनु धर संगि रुलिआ ।।3।। (230)
"पुत्र, सम्पति का प्रेम, यह सब बहुत सारे लोग पहले ही छोड़ कर जा चुके हैं । घोड़े हाथी तथा राज पाट के रंग, इन सभी को छोड़ कर मनुष्य जो अपने शरीर पर इत्र चंदन छिड़क कर अहंकार करता है। लेकिन वो शरीर जमीन की मिटटी में मिलता है ।"
"उरझि रहिओ रे.....(206)
"कउन बस्तु आई तेरे संग......।(283)
"वाउ संदे कपड़े......(318)
"जेती समग्री देखहु........। (614)
"लसकर जोड़े कीआ.......। (392)
"माइआ वेखि न भुलु........। (1087)
"नांगे आवनु नांगे जाना.....। (1157)
"धनु दारा समप्ति सगल.. (1426)
"जीउ मधु माखी संचै अपार...। (1252)
(श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी)
# मधुमक्खी शहद संग्रह करती है पर धुंआ देकर ले कोई और जाता है ।
# गाय अपने बछड़े के लिये दूध देती है, पी कोई और जाता है ।
# मनुष्य अपने लिये धन एकत्र करता है, लेकिन वह मुर्ख समझता नहीं है कि उसका जो शरीर है । वो एक दिन मिटटी की धूल बन जानी है ।"
यदि इस कच्चे धन की तरह प्रभु के नाम व प्रेम रूपी सच्चे धन को मन में बसाया जाए तो प्रभु मृत्यु के बाद भी सदैव हमारे साथ है । गुरमत यह नहीं कहती कि धन ना कमाओ । धन कमाओ, काम करो, बच्चों की पालना करो, अच्छी शिक्षा दो । पर उस अकाल पुरुख वाहेगुरु को सदा मन में बसाए रखो ।
"कबीर कोउडी जोरि कै जोरे लाख करोरि।।
चलती बार न कछु मिलिओ लई लंगोटि तोरि ।।"
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