Tuesday, 20 June 2017

सर्व सांझी गुरबाणी

*सर्व सांझी गुरबाणी*

*गुरबाणी के अंदर विभिन्न धर्मों, मतों, समाज के वर्गों के महापुरूषों की बाणी मौजूद है जो सिख धर्म को सभी का सांझा धर्म बनाती है। दुनिया, में अन्य ऐसा कोई भी धर्म ग्रंथ नहीं है जिसमें अलग-अलग मजहबों के महापुरूषों की बाणी मौजुद हो, जिसमें हिन्दू, मुस्लिम, दलित, ब्राहमण, राजपुत आदि कई वर्गों के महापुरूषों की बाणी मौजुद हो, जिसमें एक भाषा ना होकर कई भाषाओं हिन्दी, ब्रज भाषा, संस्कृत, फारसी, सिंधी, अरबी, बंगाली, मराठी आदि भाषाओं के शब्द हों, जिसमें एक प्रभु के लिये हरि, राम, वाहेगुरू, ओंकार, गोबिंद, नारायण, अल्लाह, खुदा, गोपाल, दामोदर, बनवारी, करता, ठाकुर, दाता, परमेश्वर, निरंजन, केशो, निरंकार, मोहन, गोसाई, रघुनाथ, मुरारि, अंतरजामी आदि शब्दों (पदों) का प्रयोग किया गया हो। लेकिन इतने महापुरूषों की बाणी होने के बाद भी, इतनी भाषाएं होने के बाद भी, भगवान के लिये इतने पद होने के बाद भी गुरमत व गुरबाणी की विचारधारा केवल और केवल एक प्रभु व वास्तविक सच्चाई के साथ जोडती है।*

*लेकिन दुख की बात यह है कि ना तो हम गुरबाणी की शिक्षाएं ही किसी को बता पाये हैं और ना ही सिख इतिहास। दूसरों को तो क्या बताएं हम तो अपने सिख बच्चों को भी यह अनमोल खजाना नहीं दे पाये हैं और आज बहुत से सिख परिवार गुरबाणी व सिख इतिहास के इस खजाने से बहुत दूर जा चुके हैं, आज हमारे बच्चों को विक्रम-बेताल, भीम, अर्जुन, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, डोरेमॉन आदि सबका पता है परंतु बहुत ही कम सिख बच्चे जानते होंगें कि बीबी शरण कौर कौन थीं। हमारे बच्चों को सारे गायकों के नाम, हीरो-हीरोईनों के नाम याद हैं, परंतु गुरु ग्रंथ साहिब जी में कितने राग हैं, गुरबाणी में किन धर्मों के कौन-कौन से महापुरुषों की वाणी है, गुरबाणी में कितनी भाषाएं हैं, गुरबाणी में कितने गुरूओं की वाणी है यह सब हमें नहीं पता है। सभी सिख बच्चों को अकबर, बीरबल तथा तानसेन का भी पता होगा परंतु तानसेन के गुरू स्वामी हरिदास को भी शिक्षा देने वाले उनके गुरू थे भाई मरदाना जी यह सिख बच्चों को नहीं पता है। आज हमारे बच्चों ने भाई चित्तर सिंह, भाई बचितर सिंह,भाई हकीकत सिंह, भाई तारु सिंह, भाई जस्सा सिंह, भाई बघेल सिंह, हरि सिंह नलवा आदि को भुला दिया है लेकिन सारे गंदे गाने वाले गायक याद हैं। हमने उन भाई मनी सिंह जी को भुला दिया है जिन्होंने अपने परिवार के 60 से भी अधिक सदस्यों को सिख धर्म के लिए शहीद करवाया था।*

*शायद हमें यह सब इसलिए नहीं पता क्योंकि हम अपने घरों में अच्छी पुस्तकें नहीं रखते (अक्सर यह भी कहा जाता है कि सरदारों के बच्चे तो पढ़ते ही नहीं हैं लेकिन जब हमारे बच्चे  कार, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर ,फोन, लैपटॉप आदि चलाना सीख जाते हैं  तो वे सिख इतिहास के साथ क्यों नहीं जुड़ते, शायद इसलिये नहीं जुड़ते क्योंकि हम अपने घरों में अच्छी पुस्तकें नहीं रखते| हम दीवाली पर हजारों रुपए के पटाखे चला देते हैं लेकिन हजारों रुपये के पटाखे चलाने वालों के घरों में अच्छी पुस्तक एक भी नहीं होती!! फिर बच्चे गुरमत व सिख इतिहास से कैसे जुड़ेंगे?? जैसे बल्ब या रोशनी के बिना अंधेरा दूर नहीं हो सकता उसी प्रकार से अच्छी पुस्तकों के बिना ज्ञान भी प्राप्त नहीं हो सकता।अगर हम अपने घरों में अच्छी पुस्तकें रखेंगे तो हमारे बच्चे व घर के अन्य सदस्य उनको पढ़ेगें भी।*

*शायद हम गुरबाणी व सिख इतिहास के साथ जुड़ना ही नहीं चाहते और इसलिये हम गुरबाणी के अंदर मौजुद ज्ञान के खजाने से बहुत दुर हैं| हमें यह याद रखना चाहिए जब तक पत्ता पेड़ की टहनी के साथ जुड़ा हुआ है तब तक वह हरा व जीवित है पेड़ से टूटने पर वह पत्ता अपना जीवन नष्ट करके हवा के साथ यहां-वहां उड़कर भटकता है और अपना वजुद खो देता है| हमारे बच्चे भी पत्तों की तरह गुरमत व गुरबाणी से टूटने पर अवगुणों में फंस जाते हैं, नशे करने लगते हैं, झगड़े करने लगते हैं, अपने धर्म से पतित हो जाते हैं, माता पिता या अन्य घर के सदस्यों का सम्मान नहीं करते, अच्छे से पढ़ाई नहीं करते, अवगुणों में फंसकर जीवन में   रह जाते हैं और सफल नहीं हो पाते।*

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